गौमाता की रक्षा करें Gaumata ki rakshya kre
Gaumata ki rakshya kren. गौमाता की रक्षा करें, Protect Gaumata, meri gaumata , gau bachaao, गाय का सम्मान करो और हर घर में एक गाय जरुर रखों ताकि गाय का बचाव हो सके, गाय वह है जिसे हिन्दू अपनी माता का दर्जा देते है, लेकिन आज के समय में वो ही गौ माता सहारे के लिए भटक रही है, गाय की रक्षा करो.
गाय को शास्त्रों में माता का स्थान दिया गया है। गाय की सेवा करने के कारण भगवान श्री कृष्ण गोपाल कहे जाते हैं।
शास्त्रों में तो यह भी कहा गया है कि शिवलोक, बैकुण्ठ लोक, ब्रह्मलोक, देवलोक, पितृलोक की भांति गोलोक भी है। गोलोक के स्वामी भगवान श्री कृष्ण हैं।
गाय का इतना महत्व यूं ही नहीं है। गाय का दूध माता के दूध के समान फायदेमंद माना जाता है इसलिए बच्चों को गाय का दूध पिलाया जाता है। गाय के गोबर से घर आंगन और पूजा स्थान की शुद्घि होती है। आपने देखा होगा कि गोपूजा के दिन लोग गाय के सिंग में तेल और सिंदूर लगाते हैं। कल्याण पत्रिका में इसका वैज्ञानिक कारण बतया गया है है।
गाय के सिंग का आकार सामान्यतः पिरामिड जैसा होता है। यह एक शक्तिशाली एंटीना के रूप में काम करता है। सींगों की मदद से गाय आकाशीय ऊर्जाओं को शरीर में संचित कर लेती है। यह उर्जा हमें गोमूत्र, दूध और गोबर के द्वारा मिलती है।
आपने देखा होगा कि देशी गाय के पीठ पर कूबर निकला होता है। यह सूर्य की उर्जा और कई आकाशीय तत्वों को शरीर में ग्रहण करने का काम करता है। यह उर्जा हमें गाय दूध के माध्यम से प्राप्त होता है।
आजकल विदेशी नस्ल की गाय पालने का चलन बढ़ गया है। जिनके ना तो कूबर होते हैं और सींग भी बढ़ने नहीं दिए जाते हैं। यही कारण है कि जिन्होंने देशी गाय के दूध का स्वाद चखा है उन्हें विदेशी नस्ल की गायों के दूध में वह स्वाद नहीं मिलता है।
http://www.gaumata.com/
Thanks for reading...
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गाय को शास्त्रों में माता का स्थान दिया गया है। गाय की सेवा करने के कारण भगवान श्री कृष्ण गोपाल कहे जाते हैं।
शास्त्रों में तो यह भी कहा गया है कि शिवलोक, बैकुण्ठ लोक, ब्रह्मलोक, देवलोक, पितृलोक की भांति गोलोक भी है। गोलोक के स्वामी भगवान श्री कृष्ण हैं।
गाय का इतना महत्व यूं ही नहीं है। गाय का दूध माता के दूध के समान फायदेमंद माना जाता है इसलिए बच्चों को गाय का दूध पिलाया जाता है। गाय के गोबर से घर आंगन और पूजा स्थान की शुद्घि होती है। आपने देखा होगा कि गोपूजा के दिन लोग गाय के सिंग में तेल और सिंदूर लगाते हैं। कल्याण पत्रिका में इसका वैज्ञानिक कारण बतया गया है है।
गाय के सिंग का आकार सामान्यतः पिरामिड जैसा होता है। यह एक शक्तिशाली एंटीना के रूप में काम करता है। सींगों की मदद से गाय आकाशीय ऊर्जाओं को शरीर में संचित कर लेती है। यह उर्जा हमें गोमूत्र, दूध और गोबर के द्वारा मिलती है।
आपने देखा होगा कि देशी गाय के पीठ पर कूबर निकला होता है। यह सूर्य की उर्जा और कई आकाशीय तत्वों को शरीर में ग्रहण करने का काम करता है। यह उर्जा हमें गाय दूध के माध्यम से प्राप्त होता है।
आजकल विदेशी नस्ल की गाय पालने का चलन बढ़ गया है। जिनके ना तो कूबर होते हैं और सींग भी बढ़ने नहीं दिए जाते हैं। यही कारण है कि जिन्होंने देशी गाय के दूध का स्वाद चखा है उन्हें विदेशी नस्ल की गायों के दूध में वह स्वाद नहीं मिलता है।
गऊ ह्त्या बंद करो
जागो गऊ भक्त श्री कृष्ण की सन्तानों ,
गऊ माता को बचालो ...
गऊ माँ बचेगी तभी देश बचेगा .....
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