पढियें महापुरुषों के अनमोल शब्द - Padhiyen Mahapurushon ke anmol shabd
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प्रिय मित्र इस पोस्ट में आप महापुरुषों द्वारा कहे गए अनमोल शब्दों को पढ़ सकते हो. ये शब्द बहुत समय पहले कहे गए है और ये आज भी महत्वपूर्ण है.
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महापुरुषों के अनमोल शब्दों की लिस्ट :-
- वाणी के बजाय कार्य से दिए गए उदाहरण कहीं ज्यादा प्रभावी होते हैं - अज्ञात
- मनुष्य का पतन कार्य की अधिकता से नहीं वरन कार्य की अनियमितता से होता है - अज्ञात
- कायर आदमी अपनी मौत से पहले न जाने कितनी बार मरता है - अज्ञात
- खुशियों को दामन में भरने पर वह थोड़ी सी लगती हैं, लेकिन यदि उन्हें बांटा जाये तो वे और ज्यादा बड़ी नजर आती हैं - अज्ञात
- दो की दोस्ती में एक का धर्य जरुरी है अज्ञात क्रोध ऐसी आँधी है जो विवेक को नष्ट कर देती है - अज्ञात
- हर आदमी कहता है की मैं अच्छा हूँ, लेकिन लोग क्या मानते हैं यह महत्वपूर्ण है - अज्ञात
- जो सभी का मित्र होता है वो किसी का मित्र नहीं होता - ओशो
- सत्य से कीर्ति प्राप्त की जाती है और सहयोग से मित्र बनाए जाते हैं - कौटिल्य अर्थशास्त्र
- हज़ार योद्धाओं पर विजय पाना आसान है, लेकिन जो अपने ऊपर विजय पाता है वही सच्चा विजयी है - गौतम बुद्ध
- अकर्मण्यता के जीवन से यशस्वी जीवन और यशस्वी मृत्यु श्रेष्ठ होती है - चंद्रशेखर वेंकट रमण
- यदि मार्ग काँटों भरा हो, और आप नंगे पांव हो तो रास्ता बदल लेना चाहिए - चाणक्य
- ब्रह्माज्ञानी को स्वर्ग तृण है, शूर को जीवन तृण है, जिसने इंद्रियों को वश में किया उसको स्त्री तृण-तुल्य जान पड़ती है, निस्पृह को जगत तृण है - चाणक्य
- पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता - चाणक्य
- मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता - चाणक्य
- मनुष्य का सबसे बड़ा यदि कोई शत्रु है तो वह है उसका अज्ञान - चाणक्य
- जिस प्रकार जल कमल के पत्ते पर नहीं ठहरता है, उसी प्रकार मुक्त आत्मा के कर्म उससे नहीं चिपकते हैं - छांदोग्य उपनिषद
- अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है, कायरों की नहीं - जवाहरलाल नेहरू
- कर्म, ज्ञान और भक्ति का संगम ही जीवन का तीर्थ राज है - दीनानाथ दिनेश
- शासन के समर्थक को जनता पसंद नहीं करती और जनता के पक्षपाती को शासन। इन दोनो का प्रिय कार्यकर्ता दुर्लभ है - पंचतंत्र
- क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात कहने के बजाय दूसरों के ह्रदय को ज्यादा दुखाता है। - प्रेमचंद
- मन एक भीरु शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है - प्रेमचंद
- मानव जीवन धूल की तरह होता है, हम इसे रो-धोकर इसे कीचड़ बना देते हैं -बकुल वैद्य
- अच्छे शब्दों के प्रयोग से बुरे लोगों का भी दिल जीता जा सकता है - भगवान बुद्ध
- इच्छाएं ही सब दुखों का मूल कारण है - भगवान बुद्ध
- जिस प्रकार बिना जल के धान नहीं उगता उसी प्रकार बिना विनय के प्राप्त की गई विद्या फलदायी नहीं होती - भगवान महावी
- ख्याति नदी की भाँति अपने उद्गम स्थल पर क्षीण ही रहती है किंदु दूर जाकर विस्तृत हो जाती है - भवभूति
- सारा हिन्दुस्तान गुलामी में घिरा हुआ नहीं है। जिन्होंने पश्चिमी शिक्षा पाई है और जो उसके पाश में फँस गए हैं, वे ही गुलामी में घिरे हुए हैं - महात्मा गाँधी
- सत्य से बड़ा तो इश्वर भी नहीं - महात्मा गाँधी
- किसी को माफ़ करना कमजोरी नहीं वरन सामर्थ्यवान ही ऐसा कर सकता है - महात्मा गाँधी
- सत्याग्रह बल से नहीं ,हिंशा के त्याग से होता है - महात्मा गाँधी
- लोग चाहे मुट्ठी भर हों, लेकिन संकल्पवान हों, अपने लक्ष्य में दृढ आस्था हो, वे इतिहास को भी बदल सकते हैं - महात्मा गाँधी
- मुठ्ठी भर संकल्पवान लोग जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं - महात्मा गांधी
- तपस्या धर्म का पहला और आखिरी कदम है - महात्मा गांधी
- विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है - रवींद्रनाथ ठाकुर
- सौंदर्य और विलास के आवरण में महत्त्वाकांक्षा उसी प्रकार पोषित होती है जैसे म्यान में तलवार - रामकुमार वर्मा
- कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है - विदुर
- ऐसे देश को छोड़ देना चाहिए जहाँ धन तो है लेकिन सम्मान नहीं - विनोबा भावे
- जैसे सूर्य आकाश में छुप कर नहीं विचर सकता उसी प्रकार महापुरुष भी संसार में गुप्त नहीं रह सकते - व्यास
- बुद्धि के सिवाय विचार प्रचार का कोई दूसरा शस्त्र नहीं है, क्योंकि ज्ञान ही अन्याय को मिटा सकता है - शंकराचार्य
- सारा जगत स्वतंत्रता के लिए लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है - श्री अरविंद
- खुद के लिये जीनेवाले की ओर कोई ध्यान नहीं देता पर जब आप दूसरों के लिये जीना सीख लेते हैं तो वे आपके लिये जीते हैं - श्री परमहंस योगानंद
- अपनी पीड़ा सह लेना और दूसरे जीवों को पीड़ा न पहुंचाना, यही तपस्या का स्वरूप है - संत तिरुवल्लुवर
- बच्चों को पालना, उन्हें अच्छे व्यवहार की शिक्षा देना भी सेवाकार्य है, क्योंकि यह उनका जीवन सुखी बनाता है - स्वामी राम सुखदास
- कामनाएँ समुद्र की भाँति अतृप्त हैं। पूर्ति का प्रयास करने पर उनका कोलाहल और बढ़ता है - स्वामी विवेकानंद
- उठो जागो और लक्ष्य तक मत रुको - स्वामी विवेकानंद
- सबसे उत्तम तीर्थ अपना मन है जो विशेष रूप से शुद्ध किया हुआ हो - स्वामी शंकराचार्य
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