Story Of Soil In Hindi
Story Of Soil In Hindi
Story Of Soil For All by me.We urge you have friends, you will definitely share this post to us. Millions of thousand people's access to this knowledge. Thanks!
Note: I have not written this story. May'm writing because I want to mention it here because the soil so useful to us.
Note: यह कहानी मैंने नही लिखी है। मई इसे यहाँ इसलिए लिख रहा हूँ क्योकि मै बताना चाहता हूँ की मिट्टी हमारे लिए कितनी उपयोगी है।
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मिट्टी की कहानी
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एक आवाज : सुनिए......... ज़रा एक मिनट को रुक जाइए। ज़रा मेरी बात सुनिए। जरा ठहरिये तो………! नहीं सुनता , कोई भी मेरी बात नही सुनता। किसी के पास समय नहीं है की मेरी तरफ़ ध्यान भी दे। भाई साहब आप तो पढ़े-लिखे समझदार इंसान दीखते है, आप मेरी बात समझ सकते है। मुझे मालूम है आप बहुत व्यस्त हैं, लेकिन मुझे अपनी बात कहने का बस एक मौक़ा दे दीजिये। जरा रुकिए तो। नहीं रुकते ना। तो सुन लो पीछे पछताओगे, आठ-आठ आँसू रोओगे पर तब कुछ भला न होगा। मै तुम्हें कोस नही रही, चेतावनी दे रही हूँ। तुम जो मेरे साथ कर रहे हो, उसका नतीजा तुम्हें जल्दी ही भुगतना पड़ेगा। सुनो कोई तो सुनो।
(रूककर, जैसे किसी से बात कर रही हो ) तुम इस तरह घूर-घूर कर क्या देख रहे हो मेरी तरफ़ ।
मै तो तुम्हे पागल लग रही होउंगी, है ना ! मैं अदना-सी मिट्टी, जिसे तुम जैसे चाहो रौंद सकते हो, इतनी बड़ी-बड़ी बातें कैसे कर रही हूँ? हाँ मैं मिट्टी हूँ। वही मिट्टी जिसे तुम सहर के लोग मलबा समझते हो। जैसे चाहते हो वैसा वयवहार करते हो। पर जान लो, मै अदना-मामूली नही हूँ।
दुनिया में जितने भी तरह के जीवन है , सब किसी-न-किसी तरह मुझ पर ही निर्भर है। सुबह-शाम जो गपागप खाना खाते हो न, मेरी ही कृपा हैं। अपने खाने के किसी एक चीज का नाम बताओ जो मेरे बिना तुम्हे मिल सकती है। तुम मटन-चिकन की बात करोगे, है ना ? पर बकरियाँ या मुर्गे क्या कहते है, और वह कहाँ से आता है, कभी सोचा है ? अब तुम मछली की बात करोगे। कहोगे कि मछली तो पानी में रहती है, उसे मुझसे क्या लेना-देना। पर ओ मुर्ख जीव, छोटी मछलियो का खाना है प्लैकटन, जो मै ही उन्हें देती हूँ।
Coming Soon...
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मिट्टी की कहानी
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एक आवाज : सुनिए......... ज़रा एक मिनट को रुक जाइए। ज़रा मेरी बात सुनिए। जरा ठहरिये तो………! नहीं सुनता , कोई भी मेरी बात नही सुनता। किसी के पास समय नहीं है की मेरी तरफ़ ध्यान भी दे। भाई साहब आप तो पढ़े-लिखे समझदार इंसान दीखते है, आप मेरी बात समझ सकते है। मुझे मालूम है आप बहुत व्यस्त हैं, लेकिन मुझे अपनी बात कहने का बस एक मौक़ा दे दीजिये। जरा रुकिए तो। नहीं रुकते ना। तो सुन लो पीछे पछताओगे, आठ-आठ आँसू रोओगे पर तब कुछ भला न होगा। मै तुम्हें कोस नही रही, चेतावनी दे रही हूँ। तुम जो मेरे साथ कर रहे हो, उसका नतीजा तुम्हें जल्दी ही भुगतना पड़ेगा। सुनो कोई तो सुनो।
(रूककर, जैसे किसी से बात कर रही हो ) तुम इस तरह घूर-घूर कर क्या देख रहे हो मेरी तरफ़ ।
मै तो तुम्हे पागल लग रही होउंगी, है ना ! मैं अदना-सी मिट्टी, जिसे तुम जैसे चाहो रौंद सकते हो, इतनी बड़ी-बड़ी बातें कैसे कर रही हूँ? हाँ मैं मिट्टी हूँ। वही मिट्टी जिसे तुम सहर के लोग मलबा समझते हो। जैसे चाहते हो वैसा वयवहार करते हो। पर जान लो, मै अदना-मामूली नही हूँ।
दुनिया में जितने भी तरह के जीवन है , सब किसी-न-किसी तरह मुझ पर ही निर्भर है। सुबह-शाम जो गपागप खाना खाते हो न, मेरी ही कृपा हैं। अपने खाने के किसी एक चीज का नाम बताओ जो मेरे बिना तुम्हे मिल सकती है। तुम मटन-चिकन की बात करोगे, है ना ? पर बकरियाँ या मुर्गे क्या कहते है, और वह कहाँ से आता है, कभी सोचा है ? अब तुम मछली की बात करोगे। कहोगे कि मछली तो पानी में रहती है, उसे मुझसे क्या लेना-देना। पर ओ मुर्ख जीव, छोटी मछलियो का खाना है प्लैकटन, जो मै ही उन्हें देती हूँ।
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