श्री हरि की आरती Shree Hari ki aarti
विष्णु भगवान जी की आरती Vishnu Bhagwan ji ki aarti, विष्णु आरती इन हिंदी, विष्णु आरती सुनाइए, विष्णु आरती सुनाओ, विष्णु आरती भजन, विष्णु आरती कथा, विष्णु आरती ओम जय जगदीश, विष्णु आरती ओम जय जगदीश हरे, विष्णु भगवान आरती ओम जय जगदीश, ओम विष्णु आरती, विष्णु भगवान की आरती ओम जय.
प्रिय मित्र, सनातन संस्कृति में पूजा का अपना एक अलग महत्व है, अब आप इन्टरनेट पर भी आरती पढ़ सकते हैं. इस पोस्ट पर आप शिव जी की आरती पढ़ सकते हो.
जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे।
मायातीत, महेश्वर मन-वच-बुद्धि परे॥ जय..
आदि, अनादि, अगोचर, अविचल, अविनाशी।
अतुल, अनन्त, अनामय, अमित, शक्ति-राशि॥ जय..
अमल, अकल, अज, अक्षय, अव्यय, अविकारी।
सत-चित-सुखमय, सुन्दर शिव सत्ताधारी॥ जय..
विधि-हरि-शंकर-गणपति-सूर्य-शक्तिरूपा।
विश्व चराचर तुम ही, तुम ही विश्वभूपा॥ जय..
माता-पिता-पितामह-स्वामि-सुहृद्-भर्ता।
विश्वोत्पादक पालक रक्षक संहर्ता॥ जय..
साक्षी, शरण, सखा, प्रिय प्रियतम, पूर्ण प्रभो।
केवल-काल कलानिधि, कालातीत, विभो॥ जय..
राम-कृष्ण करुणामय, प्रेमामृत-सागर।
मन-मोहन मुरलीधर नित-नव नटनागर॥ जय..
सब विधि-हीन, मलिन-मति, हम अति पातकि-जन।
प्रभुपद-विमुख अभागी, कलि-कलुषित तन मन॥ जय..
आश्रय-दान दयार्णव! हम सबको दीजै।
पाप-ताप हर हरि! सब, निज-जन कर लीजै॥ जय..
Thanks for reading...
Tags: विष्णु भगवान जी की आरती Vishnu Bhagwan ji ki aarti, विष्णु आरती इन हिंदी, विष्णु आरती सुनाइए, विष्णु आरती सुनाओ, विष्णु आरती भजन, विष्णु आरती कथा, विष्णु आरती ओम जय जगदीश, विष्णु आरती ओम जय जगदीश हरे, विष्णु भगवान आरती ओम जय जगदीश, ओम विष्णु आरती, विष्णु भगवान की आरती ओम जय.
प्रिय मित्र, सनातन संस्कृति में पूजा का अपना एक अलग महत्व है, अब आप इन्टरनेट पर भी आरती पढ़ सकते हैं. इस पोस्ट पर आप शिव जी की आरती पढ़ सकते हो.
जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे।
मायातीत, महेश्वर मन-वच-बुद्धि परे॥ जय..
आदि, अनादि, अगोचर, अविचल, अविनाशी।
अतुल, अनन्त, अनामय, अमित, शक्ति-राशि॥ जय..
अमल, अकल, अज, अक्षय, अव्यय, अविकारी।
सत-चित-सुखमय, सुन्दर शिव सत्ताधारी॥ जय..
विधि-हरि-शंकर-गणपति-सूर्य-शक्तिरूपा।
विश्व चराचर तुम ही, तुम ही विश्वभूपा॥ जय..
माता-पिता-पितामह-स्वामि-सुहृद्-भर्ता।
विश्वोत्पादक पालक रक्षक संहर्ता॥ जय..
साक्षी, शरण, सखा, प्रिय प्रियतम, पूर्ण प्रभो।
केवल-काल कलानिधि, कालातीत, विभो॥ जय..
राम-कृष्ण करुणामय, प्रेमामृत-सागर।
मन-मोहन मुरलीधर नित-नव नटनागर॥ जय..
सब विधि-हीन, मलिन-मति, हम अति पातकि-जन।
प्रभुपद-विमुख अभागी, कलि-कलुषित तन मन॥ जय..
आश्रय-दान दयार्णव! हम सबको दीजै।
पाप-ताप हर हरि! सब, निज-जन कर लीजै॥ जय..
Thanks for reading...
Tags: विष्णु भगवान जी की आरती Vishnu Bhagwan ji ki aarti, विष्णु आरती इन हिंदी, विष्णु आरती सुनाइए, विष्णु आरती सुनाओ, विष्णु आरती भजन, विष्णु आरती कथा, विष्णु आरती ओम जय जगदीश, विष्णु आरती ओम जय जगदीश हरे, विष्णु भगवान आरती ओम जय जगदीश, ओम विष्णु आरती, विष्णु भगवान की आरती ओम जय.
एक टिप्पणी भेजें
प्रिय दोस्त, आपने हमारा पोस्ट पढ़ा इसके लिए हम आपका धन्यवाद करते है. आपको हमारा यह पोस्ट कैसा लगा और आप क्या नया चाहते है इस बारे में कमेंट करके जरुर बताएं. कमेंट बॉक्स में अपने विचार लिखें और Publish बटन को दबाएँ.