कैसे पकड़ें कम्प्यूटर हैकिंग Computer Hacking kaise pakde
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खतरनाक साबित हो सकती है और इससे कैसे बचा जा सकता है? कैसे पकड़ें हैकिंग? कम्प्यूटर हैक हो गया है, यह कैसे पता करें?
- क्या आपके कम्प्यूटर पर अपने आप नए प्रोग्राम इंस्टॉल हो रहे हैं?
- क्या सिस्टम, मोबाइल या ई-मेल के पासवर्ड अपने आप बदल गए हैं?
- सिर्फ आपके सिस्टम पर ही इंटरनेट कनेक्शन धीमा चल रहा है?
- कम्प्यूटर से एंटीवायरस प्रोग्राम अपने आप अनइंस्टॉल हो गया है?
- क्या आपके ई-मेल पर लगातार बड़ी संख्या में स्पैम मेल्स आ रहे हैं?
- क्या अनजाने प्रोगाम्स सिस्टम पर रन होने की परमिशन मांग रहे हैं?
- क्या अपने आप ही आपके ब्राउजर का होमपेज बदल गया है?
कौन करता है: हैकर्स ऐसे कम्प्यूटर एक्सपर्ट्स होते हैं जो किसी भी सॉफ्टवेयर या नेटवर्क
की कमजोरी को पकड़कर उसमें सेंध लगाते हैं। हैकर्स में शौकिया कम्प्यूटर
एक्सपर्ट्स से लेकर पढ़े-लिखे आईटी एक्सपर्ट्स तक होते हैं। कुछ हैकर्ससिर्फ
टेक्नोलॉजी के ज्ञान का प्रदर्शन करने के लिए ऐसा करते हैं तो कुछ अपने
शौक के लिए। लेकिन सबसे खतरनाक वे हैकर्स हैं जो वेबसाइट्स, कम्प्यूटरों और
मोबाइलों
को क्रैश कर देते हैं या फिर गुप्त जानकारियां और पासवर्ड्स चुराकर उन
लोगों को बेच देते हैं जो इसका दुरुपयोग कर सकते हैं। कुछ हैकर्स अन्य
आर्थिक फायदों के लिए भी हैकिंग करते हैं।
नुकसान किसे होता है:
- आम आदमी: हैकिंग का शिकार होने पर आपके मोबाइल, कम्प्यूटर, ई-मेल में मौजूद जरूरी दस्तावेज और निजी तस्वीरें चोरी होने का डर बना रहता है। इसके अलावा बैंक अकाउंट या क्रेडिट कार्ड की जानकारी चोरी होने पर आर्थिक नुकसान होता है। आइडेंटिटी थेफ्ट (पहचान की चोरी) भी हैकिंग के जरिए होती है, जिसमें हैकर्स आपके नाम से गैरकानूनी काम करते हैं।
- कंपनियां: हैकर्स एक कंपनी के ग्राहकों की जानकारी (फोन नंबर आदि) और बिजनेस या नए प्रोजेक्ट का डाटा चुराकर प्रतिद्वंदी कंपनी को बेच देते हैं। इससे पहली कंपनी को भारी आर्थिक नुकसान तो पहुंचता ही है, कंपनी की साख भी कम होती है।
- सरकार: दुनियाभर के तमाम देश समय-समय पर हैकिंग का दंश झेल चुके हैं। इसका नुकसान देश की सुरक्षा प्रणाली पर खतरे के रूप में सामने आता है।
एथिकल हैकर्स: गैरकानूनी हैकिंग को रोकने के लिए भी हैकर्स की ही मदद लेनी पड़ती है
जिन्हें एथिकल हैकर्स कहते हैं। इन्हें कंपनियां और सरकारें नौकरी पर रखती
हैं ताकि ये उनकी वेबसाइट्स का परीक्षण कर उन्हें हैकिंग प्रूफ बना सकें।
यह कानून के दायरे में ही रहकर तमाम तरीकों से वेबसाइट्स को हैक कर देखते
हैं कि साइट को कैसी सुरक्षा की जरूरत है।
हैकिंग युद्ध: माना जा रहा है कि आने
वाले समय में देशों की बीच अगर युद्ध होंगे तो वे भी ऑनलाइन ही होंगे।
हैकर्स की सेना दूसरे देशों की सेना और सुरक्षा तंत्र से जुड़ी खुफिया
जानकारी चुराकर नुकसान पहुंचा सकती है। इसकी गंभीरता को देखते हुए पिछले
साल भारत सरकार को नेशनल साइबर सिक्युरिटी पॉलिसी तक बनानी पड़ी है। अन्य
देश भी साइबर सुरक्षा पर बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं।
कहां है खतरा:
- मोबाइल: मोबाइल से डाटा चुराना हैकर्सका नया शगल है। स्मार्टफोन में इंटरनेट कनेक्शन होने का फायदा हैकर्स उठाते हैं। सस्ते चाइनीज मोबाइलों से हैकिंग और भी आसान है, क्योंकि इसमें पहले से ही ऐसे सॉफ्टवेयर मौजूद होते हैं जो हैकिंग में मदद करते हैं। इन दिनों क्लाउड सर्विस यानी ऑनलाइन ड्राइव (गूगल ड्राइव, वन ड्राइव आदि) पर डाटा सेव करने का चलन भी बढ़ा है। इससे भी हैकर्स आपका निजी डाटा चुरा रहे हैं। सस्ते चाइनीज मोबाइल न खरीदें। अपनी निजी तस्वीरें और जरूरी डॉक्यूमेंट्स मोबाइल में सेव न करें। अगर कोई तस्वीर खींचते भी हैं तो उसे क्लाउड पर अपलोड करने की बजाए किसी एक्सटर्नल ड्राइव (पेन-ड्राइव या सीडी आदि) में सुरक्षित रख लें।
- कम्प्यूटर: अगर आपका कम्प्यूटर किसी नेटवर्क से जुड़ा है या फिर उस पर इंटरनेट या वाईफाई कनेक्शन है तो आपके डाटा के चोरी होने की आशंका बनी रहती है। इसके जरिए आपके ई-मेल, डॉक्यूमेंट्स और परिवार से जुड़ी जानकारियों की चोरी संभव है, जिसका इस्तेमाल आइडेंटिटी थेफ्टजैसे अपराधों के लिए किया जा सकता है। इससे बचाव के लिए कम्प्यूटर में संवेदनशील जानकारियां न रखें। निजी जानकारियों का बैकअप बनाकर पेन ड्राइव, सीडी आदि में रखें। समय-समय पर अपने ब्राउजर्सकी हिस्ट्री क्लियर करते रहें। पासवर्ड कम्प्यूटर पर सेव न करें और इन्हें समय-समय पर बदलते रहें। कम्प्यूटर में मौजूद फायरवॉल ऑप्शन को हमेशा ऑन रखें।
- बैंकिंग: ऑनलाइन बैंकिंग और क्रेडिट कार्ड को हैक कर हैकर्स आपका पैसा अन्य अकाउंट्स में ट्रांसफर कर लेते हैं। साथ ही गैरकानूनी ट्रांजिक्शन्स के लिए भी आपके बैंक अकाउंट या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे आपको भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है। कैसे बचें - अपने बैंकिंग पासवर्ड को कम्प्यूटर/मोबाइल पर सेव न करें और इसे बदलते रहें। लॉगइन करने के लिए बैंकिंग साइट्स पर मौजूद वर्चुअल कीबोर्ड का ही इस्तेमाल करें।
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