हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई Hindu Muslim sikh isaai
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में हैं भाई-भाई. Hindu Muslim sikh isaai, Aapas me sab bhai bhai. हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई निबंध. हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई कविता. हिन्दू मुस्लिम एकता इन हिंदी. हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई पर लेख. धार्मिक एकता पर कविता. धर्म की राह बताती कविता.
धर्म कोई भी हो हमें सभी धर्म का सम्मान करना चाहिए क्योंकि ईश्वर कभी भी किसी को हिंदू, मुस्लमान, सिख और ईसाइ बनाकर नहीं भेजता है।
धर्म कोई भी हो हमें सभी धर्म का सम्मान करना चाहिए क्योंकि ईश्वर कभी भी किसी को हिंदू, मुस्लमान, सिख और ईसाइ बनाकर नहीं भेजता है।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में सब भाई - भाई।
ईश्वर को सभी धर्मों में अलग अलग नामों से पुकारा जाता है लेकिन मेरे सोच के अनुसार वह अनेक होते हुए भी एक है इसलिए हमें कभी भी आपस में बैर नही रखना चाहिए सभी के धर्मों का सम्मान करना चाहिए। कोई कहता है कि में हिंदू हूं और कोई कहता है कि में मुस्लमान हूं, कोई कहता है कि में सिख हूं और कोई कहता है कि में ईसाई हूं लेकिन मैं गर्व से कहता हूं कि मैं एक भारतीय हूं क्योंकि चाहें कोई किसी भी धर्म का क्यों न हो यदि वह भारत में पैदा हुआ है तो उसका जन्म स्थल भारत का ही कहलायेगा तो हुआ न कि हम भारतीय हैं।
कहते है कि ईश्वर एक है लेकिन रूप अनेक हैं वह कहीं राम तो कहीं कृष्ण, कहीं भगवान शिव कही विष्णु के रूप में दिखाई देते हैं। हम इन्हे क्यों पूजते हैं? इसका उत्तर एक ही मिलेगा कि उन्होंने संसार में प्रेम और जनकल्याण के लिए काम किएं है इललिए वे पूजे जाते हैं।
जिस प्रकार से प्रेम एक इसके रूप अनेक होते हैं ठीक उसी प्रकार से ईश्वर एक इसके रूप अनेक होते हैं। क्योंकि आपने देखा होगा कि एक मां आपने बच्चों से कैसे प्यार करती है और एक प्रेमी आपने प्रेमिका से तथा एक भाई अपने बहन से और एक बाप अपने बच्चों से तथा एक शिक्षक छात्र से, सब का प्यार देखने में अलग होता है लेकिन है तो वह प्यार ही।
ऋग्वेद के अनुसार ईश्वर एक है लेकिन दृष्टिभेद से मनुष्यों ने उसे भिन्न-भिन्न रूपों में देखा है। जिस प्रकार एक व्यक्ति दृष्टिभेद के कारण परिवार में अपने लोगों द्वारा पिता, चाचा, भाई, फूफा, मामा, दादा, भतीजा, बहनोई, पुत्र, पोता, भांजा, नाती आदि नामों से संबोधित होता है, उसी प्रकार से ईश्वर भी अनेक रूपों में देखा तथा जाना जाता है।
धर्म की राह बताती कविता
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, इससे ऊपर आना होगा।
सत्य, अहिंसा, प्रेम के दीपक, दिल में तुम्हें जलाना होगा,
मजहब की सलाखों की कैद से, बाहर तुमको आना होगा।
नवनिर्माण, नवविकास के गीतों को, फिर से तुमको गाना होगा,
आर्यावर्त को विश्व का सिरमौर, फिर से तुमको बनाना होगा।
आजादी के संकल्पों को, फिर से तुमको दोहराना होगा,
शोषित, पीड़ित, वंचित के पक्ष में, तुमको आगे आना होगा।
इस धरती के कण-कण को, माथे से तुम्हें लगाना होगा,
गीत मिलन के और प्यार के, फिर से तुमको गाना होगा।
नफरत और विद्वेष भाव को, मन से दूर भगाना होगा,
रामराज्य को इस पावन धरा पर, फिर से तुमको लाना होगा।
Thanks for reading...
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ऋग्वेद के अनुसार ईश्वर एक है लेकिन दृष्टिभेद से मनुष्यों ने उसे भिन्न-भिन्न रूपों में देखा है। जिस प्रकार एक व्यक्ति दृष्टिभेद के कारण परिवार में अपने लोगों द्वारा पिता, चाचा, भाई, फूफा, मामा, दादा, भतीजा, बहनोई, पुत्र, पोता, भांजा, नाती आदि नामों से संबोधित होता है, उसी प्रकार से ईश्वर भी अनेक रूपों में देखा तथा जाना जाता है।
धर्म की राह बताती कविता
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, इससे ऊपर आना होगा।
सत्य, अहिंसा, प्रेम के दीपक, दिल में तुम्हें जलाना होगा,
मजहब की सलाखों की कैद से, बाहर तुमको आना होगा।
नवनिर्माण, नवविकास के गीतों को, फिर से तुमको गाना होगा,
आर्यावर्त को विश्व का सिरमौर, फिर से तुमको बनाना होगा।
आजादी के संकल्पों को, फिर से तुमको दोहराना होगा,
शोषित, पीड़ित, वंचित के पक्ष में, तुमको आगे आना होगा।
इस धरती के कण-कण को, माथे से तुम्हें लगाना होगा,
गीत मिलन के और प्यार के, फिर से तुमको गाना होगा।
नफरत और विद्वेष भाव को, मन से दूर भगाना होगा,
रामराज्य को इस पावन धरा पर, फिर से तुमको लाना होगा।
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