अपनी भावनायें कैसे व्यक्त करें Apni bhavnaye kaise vyakt kren
अपनी भावनायें कैसे व्यक्त करें? Apni bhavnaye kaise vyakt kren? How to express your feelings? अपने विचार सबके सामने कैसे रखें? आपके दिल मेक्या है यह कैसे शेयर करें? क्या आप जो लिखते है वो अन्य लोगों को पसंद आता है यह नहीं? ब्लॉग लिखने से पहले किस बात पर ध्यान दें? क्या लिखें और क्या ना लिखें? क्या मन में पैदा होने वाली सभी बातें ब्लॉग पर लिखने योग्य होती है? यदि आपने कुछ ऐसा वैसा लिख दिया तो आपके ब्लॉग का और विजिटर का क्या होगा? जानने के लिए यह लेख पूरा पढ़ें.
ब्लॉगिंग अभिव्यक्ति का माध्यम है। पर सार्वजनिक रूप से अपने को अभिव्यक्त
करना आप पर जिम्मेदारी भी डालता है। लिहाजा, अगर आप वह लिखते हैं जो अप्रिय
हो, तो धीरे धीरे अपने पाठक खो बैठते हैं।
यह समाज में इण्टरेक्शन जैसी ही बात है। भद्दा, भोंण्डा, कड़वा, अनर्गल
या प्रसंगहीन कहना आपको धीरे धीरे समाज से काटने लगता है। लगभग वही बात
ब्लॉग पर लागू होती है। सम्प्रेषण का एक नियम होता है कि आप कहें कम, सुनें अधिक। तीव्र भावनायें व्यक्त करने में आनन-फानन में पोस्ट लिखना, उसे एडिट न करना और पब्लिश बटन दबाने की जल्दी दिखाना – यह निहित होता है।
अन्यथा अगर आपमें तीव्र भावनायें हैं, आप पोस्ट
लिखते और बारम्बार सोचते हैं तो एडिट कर उसके शार्प एजेज (sharp edges)
मुलायम करते हैं। और तब आपसे असहमत होने वाले भी उतने असहमत नहीं रहते।
मैने यह कई बार अपनी पोस्टों में देखा है।
अपनी तीव्र भावनायें व्यक्त करने के लिये लिखी
पोस्टों पर पब्लिश बटन दबाने के पहले पर्याप्त पुनर्विचार जरूरी है। कई बार
ऐसा होगा कि आप पोस्ट डिलीट कर देंगे। कई बार उसका ऐसा रूपान्तरण होगा कि
वह मूल ड्राफ्ट से कहीं अलग होगी। पर इससे सम्प्रेषण का आपका मूल अधिकार
हनन नहीं होगा। अन्तर बस यही होगा कि आप और जिम्मेदार ब्लॉगर बन कर
उभरेंगे।
बिना विचारे जो लिखै सो पाछें पछिताय !
ब्लॉग बिगारै आपनो जगमें होत हँसाय
जग में होत हँसाय मिलेंगे थोडे पाठक
सत्य लिखोगे तो भी सब समझेंगे नाटक
विवेक सिंह यों कहें लिखो जी विचार करके
करो तोलकर व्यक्त भाव अपने अंदर के !
ब्लॉग बिगारै आपनो जगमें होत हँसाय
जग में होत हँसाय मिलेंगे थोडे पाठक
सत्य लिखोगे तो भी सब समझेंगे नाटक
विवेक सिंह यों कहें लिखो जी विचार करके
करो तोलकर व्यक्त भाव अपने अंदर के !
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