बदलता मौसम छोटी-मोटी बीमारियां Badalataa mausham chhoti moti bimariya
बदलता मौसम छोटी-मोटी बीमारियां Badalataa mausham chhoti moti bimariya, Changing weather small illnesses. बदलते मौसम में आने वाली बीमारियाँ. बदलते मौषम की बिमारियों से कैसे बचें. बदलते मौसम में रखें अपनी सेहत का ऐसे ख्याल. बदलते मौसम की बिमारियों से बचने के उपाय.
चाहे सर्दी से गर्मी हो या गर्मी से बरसात, मौसम बदलने के साथ ही शरीर में
अलग-अलग तरह के परिवर्तन दिखने लगते हैं।
बदलता मौसम अपने साथ कुछ
छोटी-मोटी बीमारियां भी लेकर आता है। ऎसे में अगर शरीर का ध्यान नहीं रखा
जाए तो यह किसी बड़ी तकलीफ का कारण बन सकता है। स्किन ड्राइनेस- सर्दियां शुरू होते ही शरीर में जो पहला बदलाव होता है, वह है स्किन ड्राइनेस।
ड्राई स्किन को मॉइश्चर नहीं किया जाए तो त्वचा में खुजली और लाल चकते होने लगते है। त्वचा रूखी होकर फटने लगती है। कई बार फटी त्वचा से खून भी निकलने लगता है। कारण : ठंडक बढ़ने व वातावरण में नमी कम होने से। उपाय : नहाने के बाद मॉइश्चराइजर, वैसलीन या नारियल तेल लगाएं।
ड्राई स्किन को मॉइश्चर नहीं किया जाए तो त्वचा में खुजली और लाल चकते होने लगते है। त्वचा रूखी होकर फटने लगती है। कई बार फटी त्वचा से खून भी निकलने लगता है। कारण : ठंडक बढ़ने व वातावरण में नमी कम होने से। उपाय : नहाने के बाद मॉइश्चराइजर, वैसलीन या नारियल तेल लगाएं।
सांस की तकलीफ- बुजुर्गो व अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होती है। कारण : ठंडी हवा व वायु प्रदूषण का फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। इस समय सबसे ज्यादा दमे की तकलीफ होती है। उपाय : धूल व धुएं से बचें। तकलीफ बढ़ने पर डॉक्टर को दिखाएं।
निमोनिया और बुखार- बदलते मौसम के साथ सिर भारी रहने, शरीर गर्म होने, गला जाम होने जैसे लक्षण आम होते हैं। बच्चों में निमोनिया व कफ जमने की दिक्कत ज्यादा होती है। कारण : बदलते मौसम में हम ठंडा पानी पीना, खुली हवा में कम कपड़ों में बाहर निकल जाना, बाहर से आते ही पंखा चला लेना जारी रखते हैं।
उपाय : बुखार, सर्दी-जुकाम होने पर खुद से ही दवाएं न लें बल्कि डॉक्टर से संपर्क करें।
दिल की बीमारियां- बढ़ती सर्दी के साथ दिल की बीमारियां भी परेशान करने लगती हैं। बुजुर्गो में हार्ट अटैक का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। कारण : शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखने के लिए दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है। नसों के संकुचन से रक्त संचार भी प्रभावित होता है जिससे हार्ट अटैक हो सकता है। उपाय : बुजुर्गो को सुबह-सुबह उठने, ठंडे पानी से नहाने और सैर पर जाने की आदत में मौसम के हिसाब से बदलाव करना चाहिए।
पेट में गड़बड़ी- सर्दी में खानपान की वैरायटी बढ़ने से लोग हैवी डाइट लेते हैं जिससे पाचनतंत्र गड़बड़ा जाता है। इससे बचने के लिए ओवरईटिंग न करें।
पर्याप्त तरल लें- सर्दी के दिनों में लोग चाय, कॉफी ज्यादा और पानी कम पीते हैं जिससे डिहाइड्रेशन होने लगता है। इनकी बजाय आप सूप या जूस प्रयोग कर सकते हैं। सब्जियां जैसे पालक, गाजर, बथुआ, मैथी आदि में प्राकृतिक रूप से पानी होता है, इन्हें अपने आहार में शामिल करें।
सर्दी के दिनों में व्यायाम करने में आलस न अपनाएं। एक्सरसाइज करते समय पसीना आने पर फौरन गर्म कपड़े न उतारें। इस मौसम में ज्यादा देर तक गर्म पानी से न नहाएं क्योंकि यह आपकी त्वचा से नमी को चुराकर उसे रूखा बना देता है।
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किन ड्राइनेस-
सर्दियां शुरू होते ही शरीर में जो पहला बदलाव होता है, वह है स्किन
ड्राइनेस। ड्राई स्किन को मॉइश्चर नहीं किया जाए तो त्वचा में खुजली और लाल
चकते होने लगते हंै। त्वचा रूखी होकर फटने लगती है। कई बार फटी त्वचा से
खून भी निकलने लगता है। कारण : ठंडक बढ़ने व वातावरण में नमी कम होने से।
उपाय : नहाने के बाद मॉइश्चराइजर, वैसलीन या नारियल तेल लगाएं। -
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स्किन ड्राइनेस-
सर्दियां शुरू होते ही शरीर में जो पहला बदलाव होता है, वह है स्किन
ड्राइनेस। ड्राई स्किन को मॉइश्चर नहीं किया जाए तो त्वचा में खुजली और लाल
चकते होने लगते हंै। त्वचा रूखी होकर फटने लगती है। कई बार फटी त्वचा से
खून भी निकलने लगता है। कारण : ठंडक बढ़ने व वातावरण में नमी कम होने से।
उपाय : नहाने के बाद मॉइश्चराइजर, वैसलीन या नारियल तेल लगाएं। -
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