भारत के दस रहस्यमय जंगल Bharat ke 10 rahasyamaya jangal
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जंगल में रहना बहुत ही रोमांचक और खतरों से भरा है। भारत कई प्रकार के जंगली जीवों का, अनेक पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों का घर है।
घने जंगल और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के कारण यह देश धरती का सबसे सुंदरतम स्थान है। तप और ध्यान करने के लिए प्राचीनकाल में भारत सबसे उपयुक्त स्थान हुआ करता था। भारत के मध्य में स्थित 'दंडकारण्य' में हजारों ऋषियों के आश्रम थे और यहां दुनिया की सबसे प्राचीन गुफाएं और प्राचीन नगर के अवशेष आज भी मौजूद हैं।
- कान्हा किसली (मध्यप्रदेश) : एशिया के सबसे सुरम्य और खूबसूरत वन्यजीव रिजर्वों में से एक है कान्हा राष्ट्रीय उद्यान। खुले घास के मैदान यहां की विशेषता हैं। बांस और टीक के वृक्ष इसकी सुंदरता को और बढ़ा देते हैं। यहां काला हिरण, बारहसिंगा, सांभर और चीतलों को एकसाथ देखा जा सकता है। इसके अलावा यहां बाघ, तेंदुआ, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, गौर, भैंसे, सियार आदि हजारों पशु और पक्षियों का झुंड है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्यप्रदेश राज्य में स्थित है। यह मुख्यत: एक बाघ अभयारण्य है, जो 2051.74 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। मंडला और जबलपुर शहर से सड़क मार्ग द्वारा 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' तक पहुंचा जा सकता है।
- काजीरंगा राष्ट्रीय अभयारण्य, असम (1985) : काजीरंगा गुवाहाटी से 250 किलोमीटर पूर्व और जोरहट से 97 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान मध्य असम में 430 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। इसे यूनेस्को ने अपनी धरोहर में शामिल कर रखा है। यह उद्यान एक सींग वाले भारतीय गैंडे (राइनोसेरोस, यूनीकोर्निस) का निवास है। काजीरंगा को वर्ष 1905 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। सर्दियों में यहां साइबेरिया से कई मेहमान पक्षी भी आते हैं। काजीरंगा में विभिन्न प्रजातियों के बाज, विभिन्न प्रजातियों की चीलें और तोते आदि भी पाए जाते हैं। 2012 में असम में आई भीषण बाढ़ के कारण इस उद्यान में 540 से ज्यादा जीवों की मौत हो गई थी। यहां बाढ़ का खतरा बना रहता है।
- सुंदरवन राष्ट्रीय अभयारण्य, पश्चिम बंगाल (1987) : सुंदरवन अभयारण्य पश्चिम बंगाल (भारत) में खानपान जिले में स्थित है। इसकी सीमा बांग्लादेश के अंदर तक है। सुंदरवन भारत के 14 बायोस्फीयर रिजर्व में से एक बाघ संरक्षित क्षेत्र है। इस उद्यान को भी विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।
- सरिस्का एवं रणथम्भौर (राजस्थान) : राजस्थान में दो नेशनल पार्क और एक दर्जन से अधिक अभयारण्य तथा दो संरक्षित क्षेत्र हैं। पुरानी अरावली पर्वतमाला के सूखे जंगलों में सरिस्का नेशनल पार्क एवं टाइगर रिजर्व स्थित है तो दूसरी ओर रणथम्भौर के जंगल। सरिस्का को वर्ष 1955 में एक अभयारण्य घोषित किया गया था और 1979 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत टाइगर रिजर्व बनाया गया था। यह पार्क जयपुर से मात्र 110 किमी और दिल्ली से 200 किमी की दूरी पर है। जंगल से भरी घाटी को उजाड़ पर्वतमालाओं ने घेर रखा है। पार्क 800 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जबकि 498 वर्ग किमी इसका मुख्य भाग है। रणथम्भौर राष्ट्रीय वन्यजीव उद्यान ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। जहां पहले आबादी से भरपूर मजबूत रणथम्भौर किला था। रणथम्भौर किला समुद्र की सतह से 401 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बना है। इस किले के कारण ही इस जंगल को रणथम्भौर का जंगल कहा जाता है। यहां बाघ के अलावा तेंदुआ, हिरण, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर और कई तरह के पक्षी बड़ी संख्या में हैं।
- गिर वन्यजीव अभयारण्य : गिर वन राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य, गुजरात राज्य व पश्चिम-मध्य भारत में स्थित है। 1424 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य में शेर, सांभर, तेंदुआ और जंगली सूअर प्रमुखता से पाए जाते हैं। गिर वन राष्ट्रीय उद्यान में तुलसी-श्याम झरने के पास भगवान कृष्ण का एक छोटा सा मंदिर भी है। जंगल के शेर के लिए अंतिम आश्रय के रूप में गिर का जंगल, भारत के महत्वपूर्ण वन्य अभयारण्यों में से एक है। गिर के जंगल को सन् 1965 में वन्यजीव अभयारण्य बनाया गया।
- जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क : जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत में एक महत्वपूर्ण पार्क है। यह पार्क उत्तरांचल का अभिन्न अंग है। इस पार्क में विभिन्न प्रकार के सुंदर-सुंदर पुष्प और वन्यजीव पाए जाते हैं। यहां के सुरक्षित प्राकृतिक स्थलों में हाथी, चीता, शेर आदि रहते हैं। पार्क में 110 प्रकार के पेड़, 50 स्तनपायी नस्ल के प्राणी, पक्षियों के 580 जातियां, 25 प्रकार के रेंगने वाले जीव पाए जाते हैं। यह पार्क प्रोजेक्ट टाइगर का एक अभिन्न अंग है। रघुराई तथा जगदीप, राजपूत जो कि जाने-माने फोटोग्राफर हैं, ने वन्य जीवन के सौंदर्य को अपने चित्रों में केंद्रित किया है। पार्क के प्राकृतिक पहाड़ों की गोद में चीते दिखाई देते हैं। विभिन्न प्रकार की नाकॅटरनल बिल्लियां यहां पाई जाती हैं। इसके अलावा अनेक जंगली बिल्लियां भी मिलती हैं।
- बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान : बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। एक समय यह मैसूर राज्य के महाराजा की निजी आरक्षित शिकारगाह थी। यहां के कई शेरों और चीतों का शिकार किया गया। सन् 1931 में मैसूर राज्य के महाराजा ने इस अभयारण्य को वेणुगोपाल वन्यजीव पार्क नाम दिया था।
- कैम्पबॅल बे राष्ट्रीय उद्यान : यह राष्ट्रीय उद्यान भारत के केंद्रशासित राज्य अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर स्थित है। यह द्वीप समूह हिन्द महासागर (बंगाल की खाड़ी) में स्थित है। निकोबार द्वीप समूह के सबसे बड़े द्वीप ग्रेट निकोबार पर स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है जिसे सन् 1992 में भारत के एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिकृत किया गया और अब यह ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है।
- इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान : इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के दंतेवाड़ा जिले में स्थित है। यह दुर्लभ जंगली भैंसे की अंतिम आबादी वाली जगहों में से एक है। इसका कुल क्षेत्रफल 2799.08 वर्ग किलोमीटर है। यह राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र 'टाइगर रिजर्व' है। इंद्रावती नदी के किनारे बसे होने के कारण इसका नाम इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान है। इंद्रावती को 1981 में 'राष्ट्रीय उद्यान' का दर्जा प्राप्त हुआ और 1983 में भारत की प्रसिद्ध 'प्रोजेक्ट टाइगर नामक योजना' के तहत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। यहा प्रमुख रूप से जंगली भैंसे, बारहसिंगा, बाघ, चीते, नीलगाय, सांभर, जंगली कुत्ते, जंगली सूअर, उड़ने वाली गिलहरियां, साही, बंदर और लंगूर आदि अन्य अनेक जीव-जंतु पाए जाते हैं।
- ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान : रेट हिमालयन नेशनल पार्क हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के 1,171 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में लगभग 754.4 वर्ग किलोमीटर तक फैला जंगल है। शेष क्षेत्र ईको जोन में आता है। 23 जून 2014 को इसे प्राकृतिक विश्व धरोहर घोषित किया गया। यूनाइटेड नेशन एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (यूनेस्को) ने दोहा में आयोजित 38वें सत्र में नेशनल पार्क को यह दर्जा मिला। कुल्लू और मनाली जिले की घाटियां विश्वप्रसिद्ध हैं। यह भारत का एक प्रमुख पर्यटन केंद्र भी है। इस उद्यान में पर्वत श्रृंखला रखुंडी टॉप, घुमतराओ, तीर्थन, पातल, मुझोणी, खोलीपोई, चादनीथाच आदि मनोरम स्थान आते हैं।
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