क्यों लगाते है हम तिलक Kyo lagate hain hum tilak
क्यों लगाते है हम तिलक Kyo lagate hain hum tilak, Why do we put Tilak. माथे पर तिलक लगाने का क्या महत्व है? तिलक लगाने का तरीका. तिलक लगाने के फायदे. तिलक लगाने के चमत्कारीक लाभ. जानिए क्यों लगाया जाता है माथे पर तिलक. तिलक माथे के बीच में ही क्यों लगाया जाता है?
मस्तक पर तिलक प्रति दिन जरुर करना चाहिए.
अपने देश में है मस्तक पर तिलक लगाने की प्रथा प्रचलित है। यह प्राचीन
है।
मनुष्य के मस्तक के मध्य में विष्णु भगवान का निवास है, इसलिए तिलक इसी
स्थान पर लगाया जाना चाहिए है। स्त्रियां लाल कुंकुम का तिलक लगाती हैं। यह भी बिना प्रयोजन नहीं है।
लाल रंग ऊर्जा एवं स्फूर्ति का प्रतीक होता है। तिलक स्त्रियों के सौंदर्य
में अभिवृद्धि करता है। तिलक लगाना देवी की आराधना
से भी जुड़ा है। देवी की पूजा करने के बाद माथे पर तिलक लगाया जाता है। तिलक देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
हिन्दु परम्परा में मस्तक पर तिलक लगाना शूभ माना जाता है इसे सात्विकता का प्रतीक माना जाता है विजयश्री प्राप्त करने के उद्देश्य रोली, हल्दी, चन्दन या फिर कुम्कुम का तिलक या कार्य की महत्ता को ध्यान में रखकर, इसी प्रकार शुभकामनाओं के रुप में हमारे तीर्थस्थानों पर, विभिन्न पर्वो-त्यौहारों, विशेष अतिथि आगमन पर आवाजाही के उद्देश्य से भी लगाया जाता है ।
मस्तिष्क के भ्रु-मध्य ललाट में जिस स्थान पर टीका या तिलक लगाया जाता है यह भाग आज्ञाचक्र है । शरीर शास्त्र के अनुसार पीनियल ग्रन्थि का स्थान होने की वजह से, जब पीनियल ग्रन्थि को उद्दीप्त किया जाता हैं, तो मस्तष्क के अन्दर एक तरह के प्रकाश की अनुभूति होती है । पीनियल ग्रन्थि के उद्दीपन से आज्ञाचक्र का उद्दीपन होगा । इसी वजह से धार्मिक कर्मकाण्ड, पूजा-उपासना व शूभकार्यो में टीका लगाने का प्रचलन है.
उस के उद्दीपन से हमारे शरीर में स्थूल-सूक्ष्म अवयन जागृत हो सकें । इस आसान तरीके से सर्वसाधारण की रुचि धार्मिकता की ओर, आत्मिकता की ओर, तृतीय नेत्र जानकर इसके उन्मीलन की दिशा में किया गया | जिससे आज्ञाचक्र को नियमित उत्तेजना मिलती रहती है ।
तन्त्र शास्त्र के अनुसार माथे को इष्ट इष्ट देव का प्रतीक समझा जाता है . हमारे इष्ट देव की स्मृति हमें सदैव बनी रहे इस तरह की धारणा , ध्यान में रखकर, मन में उस केन्द्रबिन्दु की स्मृति हो सकें । शरीर व्यापी चेतना शनैः शनैः आज्ञाचक्र पर एकत्रित होती रहे । अतः इसे तिलक या टीके के माध्यम से आज्ञाचक्र पर एकत्रित कर, तीसरे नेत्र को जागृत करा सकें ताकि हम परा – मानसिक जगत में प्रवेश कर सकें ।
मनोविज्ञान की दृष्टि से भी तिलक लगाना उपयोगी माना गया है। माथा चेहरे
का केंद्रीय भाग होता है उसके मध्य में तिलक लगाकर, दृष्टि को बांधे रखने
का प्रयत्न किया जाता है। तिलक हिंदू संस्कृति का पहचान है। तिलक केवल
धार्मिक मान्यता नहीं है तिलक लगाने से मन को शांति मिलती है. चन्दन को
पत्थर पर घिस कर लगाते है . ऐनक के सामने हमारी मुखमंडल की आभा काफी सौम्य
दिखता है. तिलक से मानसिक उतेज़ना पर काफी नियंत्रण पाया जा सकता है.
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