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महान चाणक्य के अनमोल विचार - Mahaan Chankya ke anmol vichar
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प्रिय दोस्त इस पोस्ट पर आप महान चाणक्य के अनमोल विचार पढ़ सकते हो और यदि आप इनसे सहमत हो तो आप इन विचारों को अपने जीवन में धारण जरुर करें. इन विचारों को अपने दोस्तों तक पहुँचाने के लिए इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक शेयर करें.
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- अमृत सबसे बढ़िया औषधि है , अच्छा भोजन सर्वश्रेष्ठ सुख है , और नेत्र सभी इन्द्रियों से श्रेष्ठ है, लेकिन मानव का मस्तिष्क शरीर के सभी भागो में श्रेष्ठ है |
- आगे आने वाली मुसीबत के लिए धन संचय करे | ऐसा ना कहे की धनवान व्यक्ति को मुसीबत कैसी ? जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन भी तेजी से घटता है |
- आप दौलत , मित्र , पत्नि और राज्य गंवाकर वापस पा सकते है , लेकिन यदि आप अपनी काया गँवा देते है तो वो कभी वापस नहीं मिलेगी |
- इस धरती पर अन्न , जल और मीठे वचन ये असली रत्न है | मूर्खो को लगता है कि पत्थर के टुकड़े ही रत्न है |
- ऋण , शत्रु और रोग को हमें जल्द ही समाप्त कर देना चाहिए |
- एक दुर्जन और एक सर्प में यह अंतर है की साप तभी डंक मारेगा जब उसकी जान को खतरा हो लेकिन दुर्जन पग-पग पर हानि पहुँचाने की कोशिश करेगा |
- एक विद्वान् व्यक्ति को अपने भोजन की चिंता नहीं करनी चाहिए | उसे सिर्फ अपने धर्म को निभाने की चिंता होनी चाहिए , क्योकि हर व्यक्ति का भोजन पर जन्म से ही अधिकार है |
- कोकिल तब तक मौन रहते है , जब तक वो मीठा गाने की क़ाबलियत हासिल नहीं कर लेते और सबको आनंद नहीं पहुँचा सकते |
- गरीबी , दुःख और एक बंदी का जीवन यह सब व्यक्ति के किये हुए पापों का ही फल है और आप इन्हें स्वयँ अपने कर्मो के द्वारा बदल सकतें है |
- जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मर्यादा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है, लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के सामान भयंकर आपत्ति एवं विपत्ति में भी अपनी मर्यादा नहीं बदलते |
- जब व्यक्ति दौलत खोता है तो उसके मित्र , पत्नि , नौकर , और सगे सम्बन्धी उसे छोड़कर चले जाते है | और जब वह दौलत वापस हासिल करता है तो ये सब लौट आते है | इसलिए दौलत ही सबसे अच्छा रिश्तेदार है |
- जिस प्रकार एक गाय का बछड़ा हजारों गायों में अपनी माँ के पीछे चलता है , उसी तरह मनुष्य के अच्छे और बुरे कर्म भी सदैव उसके साथ चलते है |
- जिस प्रकार एक फूल में खुशबू है , तिल में तेल है , लकड़ी में अग्नि है , दूध में घी है , और गन्ने में गुड़ है , उसी प्रकार यदि आप ठीक से देखते हो तो हर व्यक्ति में परमात्मा है |
- जिस व्यक्ति का पुत्र उसके नियंत्रण में हो, जिसकी पत्नि आज्ञानुसार काम करे और जो मनुष्य अपने कमाये हुए धन से संतुष्ट हो , ऐसे व्यक्ति के लिए यह संसार ही उसका स्वर्ग है |
- जिसे दौलत , अनाज और विधा अर्जित करने में और भोजन करने में शर्म नहीं आती वह सदैव सुखी रहता है |
- जैसे मछली द्रष्टि से , कछुआ ध्यान देकर और पंछी स्पर्श करके अपने बच्चों को पालते है, वैसे ही सज्जन पुरुष की संगती मनुष्य का पालन पोषण करती है |
- जो अस्वच्छ कपडे पहनता है , जिसके दाँत साफ़ नहीं , जो बहुत खाता है , जो कठोर शब्द बोलता है, जो सूर्योदय के बाद उठता है | उसका कितना भी बड़ा व्यक्तित्व क्यों न हो , वह लक्ष्मी की कृपा से वंचित रह जायेगा |
- जो नींच लोग होते है वो दूसरों की कीर्ति को देखकर जलते है | वो दूसरों के बारे में अपशब्द कहते है क्योंकि उनकी कुछ करने की औकात नहीं है |
- जो भविष्य के लिए तैयार है और जो किसी भी परिस्थिति को चतुराई से निपटाता है | ये दोनों व्यक्ति सुखी है , लेकिन जो आदमी सिर्फ नसीब के सहारे चलता है वह बर्बाद होता है |
- जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्त्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होंगे | उसे पता चलेगा की किस कार्य को करना चाहिए और किसे नहीं , उसे पता चलेगा की भला क्या है और बुरा क्या , उसे सर्वोतम का भी ज्ञान होगा |
- दान गरीबी को ख़त्म करता है , अच्छा आचरण दुःख को मिटाता है, विवेक अज्ञान को नष्ट करता है, जानकारी भय को समाप्त करती है |
- दुष्ट पत्नि , झूठा मित्र , बदमाश नौकर और सर्प के साथ निवास साक्षात् मृत्यु के समान है |
- बूंद-बूंद से सागर बनता है | इसी तरह बूंद-बूंद से ज्ञान, गुण और संपत्ति प्राप्त होती है |
- मेरी नजरों में वह आदमी मृत है जो जीते जी धर्म का पालन नहीं करता , लेकिन जो धर्म पालन में अपने प्राण दे देता है वह मरने के बाद भी बेशक लम्बा जीता है |
- यदि नाग अपना फ़ना खड़ा करे तो भले ही वह जहरीला ना हो तो भी उसका यह करना सामने वाले के मन में डर पैदा करने को पर्याप्त है , यहाँ यह बात कोई मायने नहीं रखती की वह जहरीला है की नहीं |
- वन की अग्नि चन्दन की लकड़ी को भी जला देती है | अर्थात दुष्ट व्यक्ति किसी का भी अहित कर सकते है |
- वर्षा के जल के समान कोई जल नहीं है, खुद की शक्ति के समान कोई शक्ति नहीं है , नेत्र ज्योति के समान कोई प्रकाश नहीं है , और अन्न से बढकर कोई संपत्ति नहीं है |
- विद्यार्थी; नौकर; भूखा इंसान; राजा; खजांची; चौकीदार; और बुद्दिमान इसमे से कोई भी " सो " जाए तो तुरंत ही उनको जगा देना चाहिए !!!
- विधा अर्जन करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है | वह विदेश में माता के समान रक्षक एवं हितकारी होती है | इसीलिए विधा को एक गुप्त धन कहा जाता है |
- विधा सफ़र में हमारा मित्र है , पत्नि घर पर मित्र है , औषधि बीमार व्यक्ति की मित्र है , और मरते वक्त तो पुण्यकर्म ही मित्र है |
- शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाए रखें |
- सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात , सत्संग और संगती का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है |
- हम उसके लिए बिलकुल ना पछताए जो बीत गया है | हम भविष्य की चिंता भी ना करे | क्योंकि विवेक बुध्दि रखने वाले लोग केवल वर्तमान में जीते है |
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