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पुरुष के प्रजनन तंत्र की संरचना जानिए Purush ke prajanan tantar ki sanrachna janiye
पुरुष के प्रजनन तंत्र की संरचना जानिए Purush ke prajanan tantar ki sanrachna janiye. The structure of the male reproductive system. मानव नर जनन तंत्र. नर जनन तंत्र का चित्र. मनुष्य में नर जनन तंत्र. पुरुष जनन तंत्र को संक्षेप में कुछ ऐसे समझें. मनुष्य का बच्चें पैदा करने वाला हिस्सा और अंगों के नाम. मानव जनन अंग के बारे में कुछ जानकारी.
पुरुष के वे अंग जो प्रजनन क्रिया में भाग लेते हैं पुरुष प्रजनन अंग कहलाते हैं. इन अंगों को दो भागों में बांटा जा सकता है - बाह्य प्रजनन अंग और अंदरुनी प्रजनन अंग. आइये आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम पुरुष के बाह्य प्रजनन अंगो और अंदरुनी प्रजनन अंगो की जानकारी प्राप्त करते है.
पुरुष के वे अंग जो प्रजनन क्रिया में भाग लेते हैं पुरुष प्रजनन अंग कहलाते हैं. इन अंगों को दो भागों में बांटा जा सकता है - बाह्य प्रजनन अंग और अंदरुनी प्रजनन अंग. आइये आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम पुरुष के बाह्य प्रजनन अंगो और अंदरुनी प्रजनन अंगो की जानकारी प्राप्त करते है.
बाह्य प्रजनन अंगः
- शिश्नः यह पुरुष का वह प्रजनन अंग है जो संभोग क्रिया में भाग लेता है. जब पुरुष को यौन उत्तेजना होती है तो उसके शिश्न के नसों मे खुन भर जाता है. शिश्न बडे आकार का होकर सख्त और कडा हो जाता है. उत्तेजना की चरम स्थिती मे वीर्यपात हो सकता है और यदि इस दौरान पुरुष का शुक्राणु, स्त्री के अंडाणु से मिल जाता तो स्त्री गर्भवती हो जाती है.
- अंडकोष की थैलीः यह वह भाग है जो थैली के रुप में शिश्न के नीचे स्थित होती है जिसमें दो अंडकोष होते हैं. थैली अंडकोष को सुरक्षित रखती है तथा शुक्राणु उत्पादन के लिए अंडकोष को समुचित वातावरण प्रदान करती है.
- अंडकोषः ये दो गोलाकार या अंडाकार ग्रंथियां होती हैं जो जन्म के समय से अंडकोष थैली में रहती है. यह किशोरावस्था से शुक्राणु बनाती है तथा पुरुष हर्मोन्स टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन करतीं हैं.
अंदरुनी प्रजनन अंगः
- शुक्राणु नलीः यह वह मार्ग हैं जिससे शुक्राणु बाहर आते हैं. यह नली अंडकोष को शिश्न के साथ जोडती है जो पेशाब नली से मिल जाती है. हॉलाकि, पेशाब नली से एक बार में या तो पेशाब या यौन उत्तेजना के समय केवल वीर्य हीं बाहर निकल सकता है.
- शुक्राणु: शुक्राणु पुरुष की यौन कोशिकाएं हैं और ये इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल सुक्ष्मदर्शी से हीं देखा जा सकता है. इनका आकर टैडपौल ( मेढक शिशु ) जैसा होता है तथा इनकी गति इनकी पूंछ के द्वारा निर्धारित होती है. शुक्राणु, 12-14 वर्ष की आयु में बनने शुरु होते हैं और एक वीर्यपात में इनकी संख्या 20-50 करोड होती है. लेकिन इसमें से केवल एक शुक्राणु हीं स्त्री के अंडे के निषेचन के लिए प्रयाप्त होता है.
- वीर्य- वह द्रव्य है जिसमें शुक्राणु तैरते हैं तथा पोषण प्राप्त करते हैं. वीर्यपात के दौरान वीर्य शुक्राणुओं के साथ पुरुष शिश्न से बाहर निकलता हैं.
- पेशाब की नलीः यह वह नलिका है जो मुत्राशय से शुरु होकर शिश्न के अग्र भाग से एक छिद्र के माध्यम से पेशाब और वीर्य बाहर निकालती है. यह ध्यान देने वाली बात है कि पेशाब और वीर्य दोनो एक साथ बाहर नहीं निकल सकते है.