अनार की खेती करने का वैज्ञानिक तरीका Anar ki kheti karne ka vaigyanik tarika
अनार की खेती कैसे करें Anaar ki kheti kaise karen अनार की खेती करने का वैज्ञानिक तरीका Anar ki kheti karne ka vaigyanik tarika. जानिये अनार की आधुनिक खेती कैसे करें Anar ki aadhunik kheti kaise karen. अनार की खेती करने की जानकारी. Anar ki kheti krne ki jankari in hindi. खेती मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा. अधिकतम उपज के लिए ध्यान रखने योग्य बातें. बेहतर फसल के लिए टिप्स सुझाव और उपाय. कम खर्च में ज्यादा पैदावार कैसे ले. अच्छी फसल तैयार करने के लिए अपनाए ये तरीके.
अनार भारत में पाये जाने वाले फलों में से एक है या हम कह सकते हैं की अनार का भारत में पाये जाने फलों में एक अलग ही स्थान है। इसका कारण है अनार कई बिमारियों से हमें बचाता है। अनार सेहत के लिए भी लाभदायक होता है। अनार का जूस शारीरिक दुर्बलता को दूर करता है और खून की कमी को पूरा करता है।
अनार भारत में पाये जाने वाले फलों में से एक है या हम कह सकते हैं की अनार का भारत में पाये जाने फलों में एक अलग ही स्थान है। इसका कारण है अनार कई बिमारियों से हमें बचाता है। अनार सेहत के लिए भी लाभदायक होता है। अनार का जूस शारीरिक दुर्बलता को दूर करता है और खून की कमी को पूरा करता है।
इनके आलावा अनार का व्यापार भारत में बड़े स्तर पर किया जाता है। अनार अन्य फलों के अपेक्षा अधिक दाम पर बिकता है। अनार की भारत में ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर भी मागें हैं। आप अनार की खेती करके लाखों कमा सकते हैं। हम आपको अनार की बेहतरीन खेती के बारे में बता रहे हैं जिससे आपको कम लागत पर अधिक मुनाफा होगा।
अनार के लिए जलवायु- जब आप अनार की खेती के बारे में सोच रहे हैं तो आपको सही मौसम का पता होना जरुरी है की अनार का पौधा किस मौसम में लगाया चाहिए। जहाँ तक अनार के पौधे को लगाने का सवाल है आप सामान्य ठण्ड के मौसम में अनार की खेती कर सकते हैं। या फिर कम तापमान वाली गर्मी में भी अनार की खेती की जा सकती है। अनार की खेती बरसात के मौसम में भी की जा सकती है। अनार अधिकतर सूखे मौसम में ज्यादा फलता है। अनार के फल को बढ़ने के लिए गर्म मौसम की जरूरत होती है। नमी वाले मौसम में अनार बढ़ते नहीं है तथा उनमे मिठास उतपन्न नहीं हो पाती है। 38℃ के आस पास तापमान होने के कारण अनार के पौधों में फल लगते हैं।
अनार की खेती के लिए भूमि- दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात आती है अनार की खेती के भूमि का चयन वैसे तो अनार की खेती किसी भी तरह की भूमि पर की जा सकती है पर अच्छी उत्पादन मात्रा के लिए दोमट मिट्टी सर्वश्रेठ मानी जाती है। जहाँ तक हो सके अनार की खेती करने के लिए दोमट मिट्टी वाली भूमि का चयन करना चाहिए। एक बात का ध्यान दे अनार के पौधे बहुत नर्म मिट्टी में अच्छे से नहीं उग पाते हैं अनार के पौधों को उगने के लिए बालू जैसी भुरभुरी मिट्टी अच्छी होती है।
अनार की कुछ प्रजातियां- तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात अनार के प्रजातियों के बारे में जान लेना जरुरी है यहाँ आपको अनार के कुछ प्रजातियों के बारे में बताया गया है- 1. ढोलका- अनार की ये प्रजातियां ढोलका के नाम से जानी जाती हैं अनार के इस प्रजाति के छिलके का अधिकतर रंग सफेद/हरा होता है। और इनके दाने का रंग गुलाबी और सफेद होता है। इस प्रजाति के फल अधिक मात्रा में फलते हैं। 2. मसकित- इस प्रजाति के फलों का रस बहुत मीठा होता है ये आकार में छोटे होते हैं तथा इनके छिलके मोटे होते हैं। 3. गणेश- इस प्रजाति के फलों का आकार सामान्य होता है ना ही बहुत बड़ा और ना ही बहुत छोटा। इनका उत्पादन भी अधिक मात्रा में होता है। 4. जलोर- इस प्रजाति के फलों का आकार बड़ाहोता है। इस प्रजाति के फलों के छिलके गहरे लाल रंग के होते हैं। इनके आलावा भी अनार की कई प्रजातियां होती है।
अनार के लिए खाद प्रबन्ध- अनार की उचित खेती के लिए अच्छी तरह से खाद का प्रबन्ध करना आवश्यक है। अच्छे खाद प्रबन्ध से ही अच्छा उत्पादन संभव है तो आइये जानते हैं अनार की खेती के लिए खाद प्रबन्ध कैसा हो अगर आप अनार की खेती के लिए खाद की खरीदारी बाजार से कर रहें हैं तो इस बात का ध्यान रखिये की खाद में नत्रजन पोटैसियम (पोटास) और फास्फोरस जैसे तत्व सामिल हो आप अपने खेत के हिसाब से अलग अलग भी खाद की व्यवस्था कर सकते हैं। जैसे नत्रजन , पोटास , फास्फोरस को अलग अलग भी ले सकते हैं। अगर आप अनार की जैविक खेती करना चाहते हैं तो इससे आपका लागत कम होगा और मुनाफा ज्यादा। तो आइये जानते हैं की जैविक खाद कैसे तैयार करें। माइक्रो फर्टी सिटी कम्पोस्ट 40 से 45 किग्रा. माइक्रो सुपर पॉवर 50 से 55 किग्रा. माइक्रो निम् 20 से 25 किग्रा. अरण्डी की खली 50 से 55 किग्रा. सुपर गोल्ड कैल्सीफ़ेल्ट 10 से 12 किग्रा. इन सबको आपस में अच्छी तरीके से मिलाकर खाद तैयार कर ले। साल में कम से कम 2 बार जैविक खाद को गोबर की खाद के साथ अच्छे तरीके से मिलाकर अनार के पौधों को देनी चाहिए। अधिक फूल की प्राप्ति या भरपूर मात्रा में फूल की प्राप्ति के लिए पौधे में फूल आने के 10 से 12 दिन पहले 500 (ML) माइक्रो झाइम को 2 किग्रा. सुपर गोल्ड के साथ मैग्नीशियम को पानी में घोलकर अच्छे तरीके से अनार के पौधों पर छिड़काव करना चाहिए। अनार के पौधे पर जब फल लगने वाले हो तो ऐसा ही छिड़काव करें और हर 20 से 25 दिनों के बाद इस प्रक्रिया को लगातार करते रहें। ऐसा करने से अनार की उत्पादन छमता बढ़ जाती है।
अनार के पौधे रोपण- अनार के पौधों को रोपने के लिए सबसे पहले 50 से 60 सेंटीमीटर (CM) गहरे और 50 से 60 सेंटीमीटर (CM) चौड़े गड्ढे खोद लेना चाहिए फिर उसमे अनार के पौधे को अच्छे से लगाना चाहिए एक अनार के पौधे से दूसरे अनार के पौधे की दुरी 4 से 5 मीटर की होनी चाहिए। पौधा लगाने के बाद उसमे पानी दे देना चाहिए जिससे की मिट्टी पौधे के पास बैठ जाये।
अनार के पौधों की सिंचाई- पौधे को लगाने के बाद सिंचाई का वक्त आता है। अनार के पौधों में तब तक उचित मात्रा में पानी देना चाहिए या सिंचाई करनी चाहिए जब तक की अनार के पौधे में नयी पत्तियां न आने लगे। जब अनार के पौधे पर फूल आने लगे तो 5 से 7 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए। अगर बर्षा हो रही हो तो सिंचाई नहीं करनी चाहिए। ठण्ड के मौसम में 15 से 20 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए। इस बात का ध्यान दें की अनार की खेती जहाँ आप कर रहे हो वहाँ नमी का होना जरुरी है। अच्छे फल के उत्पादन के लिए अच्छी तरह की सिंचाई व्यवस्था अपनानी चाहिए।
अनार में लगने वाले किट/रोग और उनसे बचाव- अनार की अच्छी खेती करने हेतु और अनार की उत्पादन मात्रा बढ़ाने हेतु अनार में लगने वाले किट/रोग से बचाव जरुरी है - 1. इंडर/बिला- ये कीड़े बहुत अनार के पौधे और उत्पादन क्षमता पर बहुत बुरा असर डालते हैं। ये कीड़े अनार के पौधे के छाल में छिद्र करके अनार के पौधे को अंदर से खोखला बना देते हैं। जिससे पौधे के खराब होने की सम्भावना बढ़ जाती है। इस प्रकार के कीटों से बचाव के लिए सबसे पहले तो इन्होंने जिस पौधे में जहा पर छिद्र किया है वहा की अच्छे से साफ सफाई कर लेनी चाहिए और इंजेक्शन में मिट्टी का तेल या पेट्रोल भरके छिद्र वाले स्थान पर इंजेक्शन द्वारा भर देना चाहिए और उसे गीली मिट्टी से ढक देना चाहिए ऐसा करने से कीड़े नस्ट हो जाते हैं। 2. महू- इस प्रकार के किट अनार के पौधे से निकलने वाली नए पत्तियों और फूलो पर आक्रमण करते हैं। ये पत्तियों और फूलों का रस चूसते हैं जिनके कारण ये टेढ़ी मेढ़ी होकर ख़राब हो जाती हैं। अगर ऐसा खुछ असर अनार के पौधे पर दिखे तो नीम का काढ़ा बनाकर पौधे पर छिड़काव करना चाहिए। 3. फल भेदक- ये ऐसी तितली की प्रजाति है जो अनार के फलों के लिए हानिकारक होती हैं। इस तितली के अण्डों से निकली हुई तितलिया फलों के अंदर प्रवेश करके अनार के दानो को काफी नुकशान पहुचती हैं। इनके कारण अनार का फल अंदर से सड़ जाता है। ये फलों को ख़राब कर देती हैं। इससे बचाव के लिए नीम का काढ़ा बनाकर पौधों पर अच्छे से छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने पर फलों को ख़राब होने से रोका जा सकता है। 4. निमेटोड- इनके कारण फल छोटे हो जाते हैं और उत्पादन मात्रा भी कम हो जाती है। ये अधिकतर पौधों की जड़ों में लगते हैं। इनसे बचाव के लिए अरण्डी की खली या नीम की खली या माइक्रो नीम खाद का प्रयोग करना उचित है।
अनार की उपज- जहाँ तक अनार की उपज की बात है तो वो आपके मेहनत पर निर्भर करता है अनार की उपज अलग अलग पौधे और जलवायु , मिट्टी के अनुसार अलग अलग हो सकती है। अनार के पौधे में खास बात यह है की अगर अच्छे से पौधे की देखभाल की जाये तो एक पौधा 20 से 30 वर्षों तक फल दे सकता है। अगर अनार का पौधा 8 से10 साल पुराना है तो वह वर्ष भर में 100 से 150 फल दे सकता है। इसके लिए आपको अनार के पौधे पर कुछ ध्यान देना होगा जैसे अगर अनार का पौधा बड़ा हो गया है तो पौधे से पतली साखएं काट लेनी चाहिए। अगर पौधे के किसी साखा का पत्ता पिला होने लगे और साखा सुख जाये तो उसे भी काट कर हटा लेना चाहिए। ऐसा करने से अनार के तने को मजबूती मिलती है। और पौधा अच्छी तरह से विकसित होता है।
अनार के फलों की तुड़ाई- सबसे अंत में फलों की तुड़ाई का काम किया जाता है। अनार के फलों को पकने में 4 से 5 महीने का वक्त लग सकता है। फल जब पक जाता है तो फल का रंग हल्का पिला या लाल हो जाता है। उसके बाद जब ऐसा कुछ दिखे तो फलों की तुड़ाई का कार्य किया जाना चाहिए।
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