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हरे प्याज की खेती करने का वैज्ञानिक तरीका Hare Pyaj i kheti karne ka vaigyanik tarika
हरे प्याज की खेती करने का वैज्ञानिक तरीका Hare Pyaj i kheti karne ka vaigyanik tarika हरे प्याज की उन्नत खेती कैसे करें Green Onion Ki Kheti is prkar kare, Hare Pyaj (Green Onion) Ki Kheti Kaise Kare हरे प्याज की आधुनिक खेती करने की जानकारी Hare Pyaj (Green Onion) ki aadhunik kheti karne ki jankari. Hare Pyaj (Green Onion) Ki Kheti Kaise Kare – हरे प्याज की उन्नत खेती कैसे करें. प्याज की व्यावसायिक खेती. प्याज की खेती कैसे करें? कैसे करें प्याज की खेती और बढाएं अपनी आमदनी. समय पर रोपाई कर प्याज की अधिक पैदावार लें.
हरा प्याज एक कन्दीय फसल है लेकिन इसकी जड़ या कन्द छोटा होता है। इसके सेवन से विटामिन, कैल्शियम, लोहा तथा खनिज-लवण प्रचुर मात्रा में प्राप्त होते हैं। यह यूरोपीय देशों की एक प्रमुख फसल है लेकिन आजकल इसे भारत में भी गृह-वाटिका व फार्म हाउस तथा कुछ प्रगतिशील कृषक भी उगाने लगे हैं। इसकी गांठें अधिक निर्माण नहीं करतीं तथा पत्तियां लम्बी लहसुन की भांति होती हैं। तना सफेद व पत्ते चौड़े सीधे, नुकीले होते हैं।
हरा प्याज एक कन्दीय फसल है लेकिन इसकी जड़ या कन्द छोटा होता है। इसके सेवन से विटामिन, कैल्शियम, लोहा तथा खनिज-लवण प्रचुर मात्रा में प्राप्त होते हैं। यह यूरोपीय देशों की एक प्रमुख फसल है लेकिन आजकल इसे भारत में भी गृह-वाटिका व फार्म हाउस तथा कुछ प्रगतिशील कृषक भी उगाने लगे हैं। इसकी गांठें अधिक निर्माण नहीं करतीं तथा पत्तियां लम्बी लहसुन की भांति होती हैं। तना सफेद व पत्ते चौड़े सीधे, नुकीले होते हैं।
आवश्यक भूमि व जलवायु - हरे प्याज की फसल या खेती के लिये दोमट या हल्की बलुई दोमट जीवांश- युक्त भूमि सर्वोत्तम रहती है तथा पी. एच. मान 6.0-7.0 के बीच का उत्तम होता है। यह फसल ठण्डी जलवायु को अधिक पसंद करती है। अधिक ठण्ड जो लम्बे समय तक रहे, तो अधिक वृद्धि होती है। 20 डी०सेग्रेड तापमान उत्तम पाया गया है लेकिन अंकुरण के लिये 35 डी०सेग्रेड तापमान उचित रहता है।
खेत की तैयारी - खेत की तैयारी हेतु 2-3 जुताइयां मिट्टी पलटने वाले हल से या ट्रैक्टर हैरों द्वारा करते हैं जिससे सभी घास सूखकर नष्ट हो जाये तथा मिट्टी बारीक हो जाये। 1-2 जुताई और करके खेत को भली-भांति भुरभुरा करके तैयार कर लेना चाहिए। खेत में घास व ढेले नहीं रहने चाहिए।
हरे प्याज की उन्नत किस्में - 1. प्राइज टेकर मसूल वर्ण 2. अमेरिकन फ्लैग 3. लंदन फ्लैग 4. मैमथ-कोलोसल तथा अन्य स्थानीय किस्में आदि।
बीज की मात्रा - हरे प्याज के बीज की मात्रा मौसम पर निर्भर करती है। उचित समय पर बोने पर 5-6 किलो बीज प्रति हैक्टर आवश्यकता पड़ती है।
बुवाई का समय एवं पौध तैयार करना - हरे प्याज के बीज की बुवाई का उचित समय मध्य सितम्बर से अक्टूबर तक रहता है। लेकिन नवम्बर के माह तक लगाया जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल के माह में बुवाई करना उचित होता है।
हरे प्याज के बीजों द्वारा पौध तैयार करें। पौधशाला में बीज की बुवाई करके उचित खाद डालकर क्यारियों में बोना चाहिए। बीज की पंक्तियों में 4-5 सेमी. तथा बीज से बीज की दूरी 1-2 मि.मी. रखनी चाहिए। बीज बोने के बाद पंक्तियों में बारीक पत्ती का खाद छिड़ककर बीज को ढके तथा नमी कम होने पर हत्की सिंचाई करते रहें। इस प्रकार से 10-12 दिन में बीज अंकुरित हो जाता है तथा पौधे 25-30 दिन बाद रोपाई के योग्य हो जाते हैं।
खाद एवं उर्वरकों की मात्रा - गोबर की सड़ी खाद 8-10 टन प्रति हैक्टर तथा नत्रजन 100 किलो, फास्फोरस 80 किलो तथा पोटाश 60 किलो प्रति हैक्टर दें। गोबर के खाद की मात्रा को खेत की जुताई के समय मिलायें तथा नत्रजन यूरिया या CAN जिसकी आधी मात्रा फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा अन्तिम जुताई के समय दें व खेत में भली-भांति मिलायें। यूरिया या केन (CAN) की शेष मात्रा को दो-तीन बराबर भागों में बांट कर रोपाई के 20-25 दिन के अन्तराल पर तीनों मात्राओं को फसल में टॉप-ड्रेसिंग के रूप में दें तथा अन्य समस्त-क्रियाएं भी भली-भांति पूरी करते रहें।
रोपाई की विधि एवं पौंधों की दूरी - जब पौध 8-10 सेमी. ऊंची हो जाये तो क्यारियों में रोपना चाहिए। क्यारियों में पौधों को पंक्ति में लगायें। इन पंक्तियों की आपस की दूरी 30 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी. रखना चाहिए। पौधों की रोपाई हल्की नाली बनाकर भी कर सकते हैं। पौधों को 3-4 बजे सायं से रोपना आरम्भ करें तथा रोपने के पश्चात् हल्की सिंचाई अवश्य करें। पौधों की जड़ को 8-10 सेमी. गहरी अवश्य दाबें जिससे पौधे सिंचाई के पानी से ना उखड़ पायें।
सिंचाई - प्रथम सिंचाई पौध रोपने के पश्चात् करें तथा अन्य सिंचाइयां 10-12 दिन के अन्तराल से करते रहें। इस प्रकार से 10-12 सिंचाइयों की आवश्यकता पड़ती है। जब भूमि की ऊपरी सतह सूखने लगे तो सिंचाई करनी चाहिए।
निकाई-गुड़ाई - हरे प्याज की निकाई-गुड़ाई अन्य फसलों की तरह की जाती है। दूसरी सिंचाई के बाद खेत में जंगली पौधे उग आते हैं। इनका निकालना बहुत आवश्यक है। इनको निकाई-गुड़ाई द्वारा समाप्त किया जा सकता है। इस प्रकार से 2-3 निकाई-गुड़ाई की पूरी फसल में जरूरत पड़ती है। इसी प्रक्रिया को जिसमें जंगली पौधे या खरपतवार नष्ट हो जाते हैं उसे खरपतवार-नियन्त्रण कहते हैं। मुख्य फसल के अतिरिक्त अन्य सभी को हटाया जाता है।
हरे प्याज की तुड़ाई - हरे प्याज के पौधे प्याज या लहसुन की तरह वृद्धि कर तना मोटा 2-3 सेमी. व्यास का हो जाये तो उखाड़ लेना चाहिए तथा लम्बी पत्तियों के कुछ भाग को काटकर अलग कर देते हैं तथा जड़ वाले भाग को हरे प्याज की तरह धोकर बण्डल या गुच्छी जिसमें एक दर्जन या दो दर्जन हरे प्याज रखते हैं तथा इन्हीं को मण्डी या मॉर्डन सब्जी बाजार की दुकानों पर भेज देते हैं।
उपज - हरे प्याज की उपज हरी प्याज की भांति मिलती है। यह प्रति पौधा पत्तियों सहित 125-150 ग्राम उपज देता है जोकि पूरी खेत में 400-500 क्विंटल प्रति हैक्टर प्राप्त होती है।
कीट एवं बीमारियां - कीट व बीमारियां अधिक नहीं लगतीं लेकिन कोई कीट एफिड आदि देरी की फसल में लगते हैं जिनका नियन्त्रण करने के लिए रोगोर, नूवान का 1% का घोल बनाकर स्प्रे करते हैं। देरी वाली फसल में पाउडरी मिलड्यू नामक बीमारी भी लगती है जो फफूंदीनाशक बेवस्टीन, डाइथेन एम-45 के 1 ग्रा. प्रति लीटर के घोलकर स्प्रे करने से नियन्त्रण हो जाती है।
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