प्याज की खेती करने का वैज्ञानिक तरीका Pyaj ki kheti karne ka vaigyanik tarika
प्याज की खेती कैसे करें pyaj ki kheti kaise kare प्याज की खेती करने का वैज्ञानिक तरीका Pyaj ki kheti karne ka vaigyanik tarika. खेती मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा. अधिकतम उपज के लिए ध्यान रखने योग्य बातें. बेहतर फसल के लिए टिप्स सुझाव और उपाय. कम खर्च में ज्यादा पैदावार कैसे ले. अच्छी फसल तैयार करने के लिए अपनाए ये तरीके. प्याज की वैज्ञानिक खेती कैसे करें. प्याज की खेती-बुआई एवं खेत की तैयारी. प्याज की उन्नत खेती कैसे करे जाने हिंदी में. प्याज की खेती से कमाएं खूब. सब्जी की खेती कैसे करें? प्याज उत्पादन तकनीक एवं फसल सुरक्षा उपाय.
प्याज के नाम से सभी लोग परिचित होगें। प्याज भारत में खाये जाने वाली सब्जियों में से एक है। प्याज को किसी सब्जी में मिला दिया जाता है तो उसका स्वाद बढ़ जाता है। प्याज अनेक प्रकार मिट्टी में उगाई जा सकती है। जहाँ सिंचाई की सुबिधा ठीक हो वहाँ प्याज आसानी से उगाई जा सकती है। इस पोस्ट में प्याज की वैज्ञानिक खेती के बारे में बताया गया है।
प्याज के नाम से सभी लोग परिचित होगें। प्याज भारत में खाये जाने वाली सब्जियों में से एक है। प्याज को किसी सब्जी में मिला दिया जाता है तो उसका स्वाद बढ़ जाता है। प्याज अनेक प्रकार मिट्टी में उगाई जा सकती है। जहाँ सिंचाई की सुबिधा ठीक हो वहाँ प्याज आसानी से उगाई जा सकती है। इस पोस्ट में प्याज की वैज्ञानिक खेती के बारे में बताया गया है।
सबसे पहले खेती के बारे में जान लेते हैं एक खेती परम्परागत होती है जिसे हम कई वर्षों से लगातार करते चले आते हैं। और एक आधुनिक खेती होती है। जिसे वैज्ञानिक खेती भी कहा जाता है। वैज्ञानिक खेती में समय के साथ कई बदलाव हुए हैं या होते रहते हैं। वैज्ञानिक खेती के द्वारा कम दाम में अच्छी फसल उत्पादन पा सकते हैं। प्याज कई दिनों तक ख़राब नहीं होती है। प्याज का दाम भी बाजार में अच्छा लगता है। प्याज की खेती करके अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। बस कुछ नियमो का पालन करना होगा। तो आइये जानते हैं प्याज की वैज्ञानिक खेती के बारे में।
प्याज के लिए जलवायु- वैसे तो प्याज को हर जलवायु में उगाया जा सकता है। अगर थोड़ा सावधानी रखी जाये तो प्याज की बढ़िया उत्पादन संभव है। प्याज की खेती के लिए जलवायु की बात करें तो ना अधिक गर्मी और ना अधिक ठंडी उत्तम होती है। इसलिए प्याज को ठंडी के मौसम को जाते समय बोया जाता है। प्याज की अच्छी बढ़त के लिए 20 डिग्री. से. से 27 डिग्री. से. का तापमान अच्छा होता है। प्याज के फलों को पकने के समय 30 डिग्री. से. से 35 डिग्री. से. तापमान बढ़िया रहता है।
प्याज के लिए भूमि को तैयार करना- प्याज के लिए भूमि तैयार करने में सतर्कता बरतनी चाहिए। पहले तो खेत में से घास खर पतवार कंकर पत्थर को निकाल लेना चाहिए। और मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। प्याज की खेती के लिए 5.8 से 6.5 के के बिच पी. एच. मान के जीवांश युक्त हल्की दोमट मिट्टी या हल्की दोमट भूमि को अच्छा माना जाता है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए की प्याज को जहाँ लगाया जा रहा है वहाँ सूर्य का प्रकाश अच्छी तरह पहुचें।
प्याज की विभिन्न प्रजाती- 1. सफ़ेद रंग के प्याज- सफ़ेद रंग के प्याज को उषा वाइट (USHA WHITE) , उषा राउंड (USHA ROUND) , उषा फ्लैट (USHA FLAT) आदि के नाम से जाना जाता है। 2. पिले रंग के प्याज- पिले रंग के प्याज को अर्ली ग्रीन (EARLY GREEN , BROWN SPANISH) आदि के नाम से जाता है। 3. लाल रंग के प्याज- लाल रंग के प्याज अच्छी किस्म के होते हैं। जैसे- उषा माधवी , उषा रेड , पंजाब सिलेक्शन एग्री फाउंड डार्क रेड , एग्री फाउंड लाइट रेड अर्का निकेतन आदि।
प्याज के लिए खाद की व्यवस्था- प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 1. गोबर की खाद- 300 से 350 क्विंटल 2. नाइट्रोजन- 80 किग्रा. 3. फास्फोरस- 50 किग्रा. 4. पोटास- 80 किग्रा. सबसे पहले गोबर की खाद को भूमि तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर की दर से 300 से 350 क्विंटल खेत में मिला लेनी चाहिए। उसके बाद नाइट्रोजन 80 किग्रा , फास्फोरस 50 किग्रा. और पोटास 80 किग्रा की जरूरत प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में पड़ती है। पोटास और फास्फोरस की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी के समय या प्याज को रोपने के पहले खेत में मिला लेनी चाहिए। बाकि बची हुई नाइट्रोजन को दो बार छिड़काव करनी चाहिए। पहला छिड़काव प्याज रोपने के 30 दिन के बाद और दूसरा छिड़काव 45 दिन के बाद।
प्याज के लिए सिंचाई की व्यवस्था- प्याज की खेती के लिए सिंचाई का विषेस ध्यान रखना पड़ता है। रबी के प्याज के लिए समय समय पर 10 से 12 सिंचाई की जरूरत पड़ती है। गर्मी के मौसम में 7 दिनों के अंतराल में और ठंडी के दिनों में 15 दिनों के अंतर या दो सप्ताह के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। रबी के फसल में जब प्याज के पत्ते पिले होने लगे तो 15 दिनों के लिए सिंचाई रोक देनी चाहिए। ताकि पत्ते पिले होकर सुख जाये और खुदाई करके प्याज निकली जा सके। एक बात का ध्यान दे प्याज के पास अधिक मात्रा में पानी को नहीं जमने दिया जाना चाहिए। अधिक पानी जमने के कारण प्याज की जड़े गल जाती हैं।
प्याज के लिए खरपतवार नियंत्रण- प्याज के लिए खर पतवार घास फूस आदि हानिकर होते हैं। जो की अच्छी उपज के लिए सही नहीं है। अतः इनको समय पर नियंत्रण करना आवश्यक हो जाता है। इसके नियंत्रण के लिए 2 किग्रा. वासालीन प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि में छिड़क कर मिला दें। फिर 45 दिनों के बाद जुताई करने पर खर पतवार से नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। चौड़ी पत्ति वाले खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए 2.5 किग्रा टेरोनेरान प्रति हेक्टेयर की दर से 800 लीटर पानी में मिलाकर रोपाई के 20 से 25 दिनों के बाद छिड़काव करना चाहिए।
प्याज के लिए किट और रोग का नियंत्रण- प्याज की अच्छी उपज पाने हेतु समय समय पर किट पतंगों और रोगों का नियंत्रण करना आवश्यक होता है। प्याज की फसल में बैगनी धब्बा रोग पाया जाता है इस रोग में प्याज के पत्तियो में आरम्भ से पिले से सफ़ेद धसे हुए धब्बे लगते हैं। जिनके बीच का भाग बैगनी रंग का होता है। यह रोग काफी प्याज को बहुत हानि पहुचता है और बहुत तेजी से बढ़ता है। यह पत्तियों से फैलकर बिच के स्तम्भो में फ़ैल जाता है। इस रोग के कारण प्याज का भण्डारण करना मुश्किल होता है। क्योंकि इसके कारण प्याज अधिक मात्रा में गल जाती है। इस रोग से बचाव के लिए कोई फफूंदनाशक दवा जैसे COPPER OXYCHLORIDE का इस्तेमाल करके इस रोग से बचाव किया जा सकता है। प्याज में अन्य प्रकार के किट होते हैं जो प्याज के पत्तियों के बहरी भाग को खरोच कर रस चूसते हैं। इनके कारण पत्तियों पर छोटे छोटे बहुत सारे धब्बे बन जाते हैं। समय रहते ही इनसे बचना जरुरी है नहीं तो प्याज की उपज कम हो जाती है। इनसे बचाव के लिए किटनाशक दवा का प्रयोग करना चाहिए।
प्याज की खुदाई का समय- सबसे अंत में प्याज की खुदाई का काम होता है। अगर प्याज तैयार हो जाती है तो उसके पौदे सुखकर गिर जाते हैं तो आप समझ लीजिये की प्याज तैयार हो गई है। इसके बाद प्याज को मिट्टी से खुदाई करके निकालना चाहिए। निकालते समय प्याज कटनी नहीं चाहिए। जब प्याज को मिट्टी से निकाल लिया जाये तो उसे खेत में 2 से 3 दिनों तक रखकर धुप में सुखाना चाहिए इससे प्याज की अनावश्यक नमी समाप्त हो जाती है।
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