शिमला मिर्च की वैज्ञानिक खेती कैसे करे Shimla mirch ki vaigyanik kheti kaise karen
शिमला मिर्च की खेती. शिमला मिर्च की वैज्ञानिक खेती कैसे करे Shimla mirch ki vaigyanik kheti kaise karen शिमला मिर्च की खेती कैसे करे Shimla mirch ki kheti kaise karen शिमला मिर्च की खेती करने का आधुनिक तरीका Shimla mirch ki kheti karne ka Aadhunik tarika. खेती मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा. अधिकतम उपज के लिए ध्यान रखने योग्य बातें. बेहतर फसल के लिए टिप्स सुझाव और उपाय. कम खर्च में ज्यादा पैदावार कैसे ले. अच्छी फसल तैयार करने के लिए अपनाए ये तरीके.
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आप जब भी इसकी खेती करने जा रहे हो तो सबसे पहले आपको उचित भूमि का चयन करना होगा ताकि अच्छी पैदावार हो | शिमला मिर्च की खेती हेतु चिकनी दोमट मिट्टी जिसमे जल निकासी का अच्छा प्रबंध किया गया हो, उसे हीं सबसे best माना जाता है। इसकी खेती के लिए भूमि का PH value 6 से 6.5 होना चाहिए। इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी में भी शिमला मिर्च की खेती को किया जा सकता है, लेकिन तब जब मिट्टी में अधिक खाद व उसके पौधे का समय समय से सिंचाई का प्रबंधन अच्छे से किया गया हो ।
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आप जब भी इसकी खेती करने जा रहे हो तो सबसे पहले आपको उचित भूमि का चयन करना होगा ताकि अच्छी पैदावार हो | शिमला मिर्च की खेती हेतु चिकनी दोमट मिट्टी जिसमे जल निकासी का अच्छा प्रबंध किया गया हो, उसे हीं सबसे best माना जाता है। इसकी खेती के लिए भूमि का PH value 6 से 6.5 होना चाहिए। इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी में भी शिमला मिर्च की खेती को किया जा सकता है, लेकिन तब जब मिट्टी में अधिक खाद व उसके पौधे का समय समय से सिंचाई का प्रबंधन अच्छे से किया गया हो ।
शिमला मिर्च के लिए जलवायु - शिमला मिर्च की खेती के लिए नर्म आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है । शिमला मिर्च के फसल की अच्छी प्राप्ति हेतु और इसके अच्छे वृद्धि हेतु कम से कम 21 से 250 C तक का temperature अच्छा रहता है। ज्यादा पाला से शिमला मिर्च के फसल को नुकसान हो सकता है। ठंड के समय शिमला मिर्च के पौधों पर फूल कम लगते है, इसके फलो का size भी छोटा और टेढ़ा मेढ़ा हो जाता है ।
शिमला मिर्च की उन्नत किस्मे - शिमला मिर्च की उन्नत किस्मों का नाम कुछ इस प्रकार से है :-
अर्का गौरव,
अर्का मोहिनी,
कैलिफोर्निया वांडर,
ऐश्वर्या,
अलंकार,
हरी रानी,
पूसा दिप्ती,
ग्रीन गोल्ड, आदि ।
खाद प्रबंधन - शिमला मिर्च की खेती के लिए खेत की तैयारी करते time हीं खेत में करीब 25 tons गोबर की सड़ी हुई खाद को मिला देना होता है। उसके बाद पौधों के रोपाई के वक्त 60 kg nitrogen, 80 kg sulfur और लगभग 60 kg potash को डाला जाता है। 60 kg nitrogen को half half कर के दो बार मे में डाला जाता है एक पौधों की रोपाई के time और फिर दूसरा उसके 55 days के बाद ।
बीज बोने का समय व बीजोपचार - शिमला मिर्च के बीज को साल में 3 बार बोया जा सकता है first June से July तक, second august से September तक और third November से december तक। शिमला मिर्च के बीजो (seeds) की बुआई कियारियों में करने से पूर्व उसे 2.5 kg थाइरम या बाविस्टिन से treated करके हीं बोना चाहिए। बीज बोने समय प्रत्येक कतार की distance 10 cm होनी चाहिए। बीज को कम से कम 1 cm गहरी नाली बनाकर उसमे बोया जाता है । जब बीज की बुआई पूरी हो जाये तो उसके बाद उसे गोबर की खाद और मिट्टी से ढंक कर उसकी हल्की सी सिंचाई कर दें ।
पौध रोपण का समय और विधि - शिमला मिर्च के बीज को बोने के बाद जब उससे पौधा निकल आए तो फिर उस पौधे को खेत में रोपा जाता है । पौधे को रोपने का समय july से august, September से October और december से January तक होता है । लगभग 15 cm लम्बा और 3-4 पत्तियों वाले पौधे को रोपने के प्रयोग में लाया जाता है। शिमला मिर्च के पौधे को शाम के समय में रोपा जाता है। पौधों से पौधों का distance 60-45 cm तक की होनी चाहिए। पौधे को रोपने से पहले उसके जड़ को एक liter पानी में 1 gram बाविस्टिन को घोल कर उसमें डुबो कर ½ hour के लिए छोड़ दें ।
सिंचाई प्रबंधन - पौधे को रोपने के फ़ौरन बाद हीं खेत की सिंचाई कर देनी चाहिए। शिमला मिर्च की खेती में कम सिंचाई या फिर जरुरत से ज्यादा सिंचाई कर देने से उसके फलो को हानी पहुंच सकता है। गर्मी में 1 week और ठंड में 10 से 15 days के मध्यान्तर पर खेत की सिंचाई करना चाहिए। बरसात में अगर खेत में पानी जमने लगे तो पानी के निकालने का जल्द से जल्द प्रबंध करे ।
निराई–गुड़ाई - पहली निराई गुड़ाई पौधे को रोपने के 25 day बाद और दूसरी निराई गुड़ाई कम से कम 45 day के बाद कर के खरपतवार को साफ़ कर देना चाहिए। पौधे को रोपने के ठीक 30 days बाद उस पर दोबारा मिट्टी चढ़ा दिया जाता है ताकि पौधे मजबूत रहे और गिरे नही।
रोग व कीट नियंत्रण - शिमला मिर्च में लगने वाले कीट माहो, थ्रिप्स, सफेद मक्खी और मकडी है, इन सभी कीटो से बचने के लिए लगभग 1 लीटर पानी में डायमेथोएट या मेलाथियान का को घोल तैयार कर हर 15 दिन के अंतर पर 2 बार छिड़काव करे ।
आम रोग - शिमला मिर्च में लगने वाले रोगों का नाम कुछ इस तरह से है :-
आर्द्रगलन रोग– यह रोग नर्सरी Stage में हीं लगता है इसलिए रोग से बचने के लिए बीज बुआई के time बीजो का treated किया जाना चाहिए ।
भभूतिया रोग– यह रोग mostly गर्मी में लगता है । इस रोग से पत्तियों पर white चूर्ण जैसे spot पड़ जाते है उसके बाद पत्तियां yellow हो कर सूखने लगती है । इससे बचने के लिए 0.2% के घोल को हर 15 days के interval पर कम से कम 3 बार छिड़काव करना होगा ।
जीवाणु उकठा – इस रोग से फसल मुरझाकर सूखने लगता है । इस रोग से बचने के लिए पौधों की रोपाई से पूर्व हीं लगभग 15 kg ब्लीचिंग पाउडर को per hectare के दर से भूमि में mix कर देना चाहिए ।
पर्ण कुंचन – इस रोग के प्रकोप से पत्ते सिकुड़ कर छोटे हो जाते है साथ हीं इसके पत्ते हरे रंग से भूरे रंग के हो जाते है । इस रोग के रोकथाम हेतु बुवाई से पूर्व लगभग 10 gram कार्बोफ्यूरान-3G को Per square meter के हिसाब से भूमि में मिला दें। उसके बाद पौधे को रोपने के लगभग 20 days बाद डाइमिथोएट 30 ई.सी. को 1 ml लीटर पानी में घोल कर उसका छिड़काव करना चाहिए । इसका छिड़काव हर 15 days के मध्यान्तर पर करते रहना चाहिए ।
श्यामवर्ण – रोग से पत्तियो पर काले धब्बे होने लगते है और फिर आहिस्ता आहिस्ता इसके शाखाएं भी सूखने लगती है। इस रोग से प्रभावित फल भी झड़ने लगते है। इससे बचने के लिए उपचारित किया हुआ बीजों का ही use किया जाना चाहिए । इसके अलावा 0.2% मेन्कोजेब या फिर डायफोल्टान का घोल बनाकर हर 20 दिन के interval 2 बार छिड़काव करना चाहिए ।
फलो की तुड़ाई - पौधों को रोपने के ठीक 60 से 70 days के बाद शिमला मिर्च के फल तोड़ने के लिए तैयार हो जाते है । इसके फलो की तुड़ाई लगभग 100 से 120 days तक चलता रहता है।
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