बाजरा की आधुनिक खेती करने की जानकारी Bajra ki aadhunik kheti karne ki jankari
बाजरा की आधुनिक खेती करने की जानकारी Bajra ki aadhunik kheti karne ki jankari बाजरा की खेती कैसे करे Bajra ki Kheti Kaise Kare बाजरा की वैज्ञानिक खेती करने का तरीका Bajra ki vaigyanik kheti karne ka tarika hindi me jankari. आधुनिक तरीके से करें बाजरे की खेती. बाजरा उत्पादन की वैज्ञानिक खेती. बाजरा की उन्नत खेती. बाजरे की खेती करने की पूरी जानकारी. बाजरा की किस्म. बाजरी की खेती. बाजरा की उन्नत किस्म. बाजरा बीज.
एक जमाना था जब ज्वार, बाजरा या मक्का जैसे अनाजों को मोटा व मामूली माना जाता था. गरीब तबके के लोग ही ज्वार, बाजरा व मक्का जैसे अनाजों की रोटियां खाया करते थे. मगर अब इन अनाजों को खाना शान की बात समझा जाता है. मौल्स में इन अनाजों के आटे काफी महंगे दामों पर मिलते हैं. अगर बाजरा की बात की जाए तो कबूतरों को चुगाने वाले इस सलेटी अनाज में भरपूर खूबियां होती हैं.
एक जमाना था जब ज्वार, बाजरा या मक्का जैसे अनाजों को मोटा व मामूली माना जाता था. गरीब तबके के लोग ही ज्वार, बाजरा व मक्का जैसे अनाजों की रोटियां खाया करते थे. मगर अब इन अनाजों को खाना शान की बात समझा जाता है. मौल्स में इन अनाजों के आटे काफी महंगे दामों पर मिलते हैं. अगर बाजरा की बात की जाए तो कबूतरों को चुगाने वाले इस सलेटी अनाज में भरपूर खूबियां होती हैं.
इस का फाइबर वाला आटा सेहत के लिए मुफीद होता है. इस के आटे से सोंधी रोटियां व लाजवाब पुए बनाए जाते हैं. बाजरे की रोटी में गुड़ व देशी घी मिला कर तैयार किया गया मलीदा बेहद स्वादिष्ठ होता है. गुड़ व तिल डाल कर बनाए गए बाजरे के पुए देख कर मुंह में पानी आ जाता है. वैसे चारे के लिहाज से इस का ज्यादा इस्तेमाल होता है. बाजरा ऊंची बढ़ने वाली फसल है, जो ज्यादातर चारे के लिए लगाई जाती है. बाजरा के पौधों में कल्ले काफी मात्रा में निकलते हैं. अपने सूखारोधक गुण की वजह से बाजरे की फसल भारत के सभी हिस्सों में उगाई जाती है. माकूल हालात में इस की 1 से ज्यादा कटाई ली जा सकती हैं. इसे हरे और सूखे चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. बाजरे के चारे से साइलेज भी उम्दा बनता है.
भूमि का चुनाव - बाजरे की फसल हर किस्म की जमीन में उगाई जा सकती है. फिर भी इस के लिहाज से रेतीली और रेतीली दोमट जमीन बेहतर होती है. बाजरे के खेत में जल निकलने का सही इंतजाम होना चाहिए, क्योंकि यह फसल ज्यादा पानी नहीं बरदाश्त कर सकती है.
खेत की तैयारी - हल और हैरो का इस्तेमाल कर के जमीन को सही तरीके से जोत कर तैयार करना चाहिए. खेत की सही तैयारी के लिए 2-3 बार जुताई करना जरूरी होता है. जमीन की तैयारी में खयाल रखने वाली बात यह है कि खेत में नमी ठीकठाक मात्रा में होनी चाहिए. नमी कम लगे तो उसे सिंचाई से दूर करना चाहिए.
उर्वरक व खाद - किसी भी फसल के लिए खाद व उर्वरक का सही मात्रा में इस्तेमाल करना लाजिम होता है. बाजरे की खेती के लिए 10 बैलगाड़ी गोबर की सड़ी खाद, 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस व 20 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से फसल की बोआई से पहले खेत में डालना चाहिए. बोआई के 1 महीने बाद 20 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से फसल में बिखेर कर डालना चाहिए. इस के बाद 20 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से हर कटाई के बाद सिंचाई कर के डालना चाहिए.
बीज और बोआई - बाजरे की फसल को खरीफ और गरमी के मौसम में बोया जाता है. मोटे तौर पर बाजरे की बोआई का सही वक्त मध्य फरवरी से ले कर जूनजुलाई तक है. जहां तक बीजों की मात्रा की बात है, तो 5-7 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सही रहता है. बोआई के वक्त लाइनों की आपसी दूसरी 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए. बीजों को 2 सेंटीमीटर से ज्यादा गहरा नहीं बोना चाहिए.
निराईगुड़ाई - किसी भी फसल की खेती में निराईगुड़ाई की बहुत ज्यादा अहमियत होती है. बाजरे की खेती के मामले में भी निराईगुड़ाई बेहद जरूरी होती है. बोआई के बाद वक्तवक्त पर खेत की निराईगुड़ाई कर के सफाई करते रहना चाहिए. खरपतवारों को लगातार निकालते रहने से फसल की बढ़वार और पैदावार पर माकूल असर पड़ता है.
सिंचाई - किसी भी फसल में सिंचाई की अहमियत से इनकार नहीं किया जा सकता है. खरीफ के मौसम में अगर लंबे अरसे तक बारिश न हो, तो फसल को 10-12 दिनों के अंतराल पर सींचते रहना चाहिए. इस बात का खयाल रखें कि फरवरीमार्च में बोई गई फसल को हर 8-10 दिनों बाद पानी की दरकार होती है.
कटाई - पौधों में फूल आने से पहले फसल को चारे के लिहाज से काटना सही रहता है. अगर किसी वजह से इस दौरान फसल न काट सकें तो 50 फीसदी फूल आने पर फसल जरूरी काट लेनी चाहिए. बोआई के करीब 65-70 दिनों बाद फसल इस स्थिति में पहुंचती है.
चारे की पैदावार - आमतौर पर बाजरे के चारे की पैदावार 300-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. 1 बार से ज्यादा कटाई वाली फसल की पैदावार करीब 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है.
उन्नतशील प्रजातियां - बाजरे की उन्नतशील प्रजातियां हैं बाजरा जाइंट, एचसी 20 व रजको बाजरा आदि. रजको बाजरा प्रजाति की 3-4 बार कटाई की जा सकती है.
पोषक तत्त्व - बतौर चारा बाजरा पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है. 50 फीसदी फूल आने पर इस के चारे में 7.1 फीसदी कूड प्रोटीन मौजूद होता है. कुल मिला कर मुख्य रूप से पशुओं के लिए बोया जाने वाला बाजरा गुणों की खान होता है. फाइबर से भरपूर यह अनाज इनसानों के लिए भी काफी मुफीद होता है. गांव के लोग रोटी के साथसाथ बाजरे की खिचड़ी भी खाते हैं. इस के दानों को भाड़ में भुनवा कर भी खाया जाता है. कारोबारी और जागरूक किस्म के किसान बाजरे का आटा पिसवा कर उसे 500 ग्राम, 1 किलोग्राम व 2 किलोग्राम की पैकिंग में बेच कर भरपूर कमाई कर सकते हैं.
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