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आइये जाने किस काम को कब करें और किस काम को बिलकुल ना करें - Kisi kaam ko karen aur kise naa kren
वैसे आपने देखा होगा कि कोई भी व्यक्ति जब चाहे किसी भी काम को शुरू कर देता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए निश्चित समय होता है। जो व्यक्ति शास्त्रों के अनुसार दिए गए समय पर किसी काम को करता है उसे अवश्य ही इसका पूरा फल मिलता है।
आइये जाने किस काम को कब करें और किस काम को बिलकुल ना करें-
आइये जाने किस काम को कब करें और किस काम को बिलकुल ना करें-
- कार्तिक में तिल-दान, नदी-स्नान, सदा साधु पुरुषों का सेवन और पलाश-पत्र से बनी पत्तल में भोजन मोक्ष देने वाला है।
- 'पुष्कर पुराण' में आता हैः जो मनुष्य कार्तिक मास में संध्या के समय भगवान श्रीहरि के नाम से तिल के तेल का दीप जलाता है, वह अतुल लक्ष्मी, रूप, सौभाग्य एवं सम्पत्ति को प्राप्त करता है।'
- कार्तिक मास में बैंगन तथा करेला और माघ मास में मूली का त्याग कर देना चाहिए।
- कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूनम तक का व्रत 'भीष्मपंचक व्रत' कहलाता है। जो इस व्रत का पालन करता है, उसके द्वारा सब प्रकार के शुभ कृत्यों का पालन हो जाता है। यह महापुण्यमय व्रत महापातकों का नाश करने वाला है। निःसंतान व्यक्ति पत्नी सहित यह व्रत करे तो उसे संतान की प्राप्ति होती है।
- जो चतुर्मास में प्रतिदिन नक्षत्रों का दर्शन करके ही एक बार भोजन करता है, वह धनवान, रूपवान और माननीय होता है।
- कार्तिक मास में बैंगन और माघ मास में मूली का त्याग कर देना चाहिए।
- जो मनुष्य नियम, व्रत अथवा जप के बिना चौमासा बिताता है वह मूर्ख है और जिसने साधन-भजन द्वारा इस अमूल्य काल का लाभ उठाया उसने मानो अमृत-कुंभ पा लिया।
- सावन में साग वर्जित है और भादों में दही-छाछ। कहावत भी हैः
- भादों की दही भूतों को, कार्तिक की दही पूतों को।
- चैत्र मास में 15 दिन 'अलोने व्रत (बिना नमक का आहार लेना) रखने से रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है व वर्ष भर रोगों से रक्षा होती है।
- पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके हजामत बनवानी चाहिए। इससे आयु की वृद्धि होती है। हजामत बनवाकर बिना नहाये रहना आयु की हानि करने वाला है। (महाभारत, अनुशासन पर्व)
- हाथ-पैर के नाखून नियमित रूप से काटते रहो। नख के बढ़े हुए मत रखो।
- अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को बुधवार व शुक्रवार के अतिरिक्त अन्य दिनों में बाल नहीं कटवाने चाहिए।
- सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है। पुत्रवान को इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए। मंगलवार को बाल कटाना मृत्यु का कारण भी हो सकता है। बुधवार को बाल, नख काटने-कटवाने से धन की प्राप्ति होती है। गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है। शुक्रवार लाभ और यश की प्राप्ति कराने वाला है। शनिवार मृत्यु का कारण होता है। रविवार तो सूर्यदेवका दिन है, इस दिन क्षौर कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है।
- मलिन दर्पण में मुँह न देखें। (महाभारत, अनुशासन पर्व)
- सिर पर तेल लगानि के बाद उसी हाथ से दूसरे अंगों का स्पर्श नहीं करना चाहिए। (महाभारत, अनुशासन पर्व)
- पुस्तकें खुली छोड़कर न जायें। उन पर पैर न रखें और उनसे तकिये का काम न लें। धर्मग्रन्थों का विशेष आदर करते हुए स्वयं शुद्ध, पवित्र व स्वच्छ होने पर ही उन्हें स्पर्श करना चाहिए। उँगली मे थूक लगाकर पुस्तकों के पृष्ठ न पलटें।
- दूसरे के पहने हुए कपड़े, जूते आदि न पहनें।(महाभारत, अनुशासन पर्व)
- हाथ-पैर से भूमि कुरेदना, तिनके तोड़ना, बार-बार सिर पर हाथ फेरना, बटन टटोलते रहना – ये बुरे स्वभाव के चिह्न हैं। अतः ये सर्वथा त्याज्य हैं।
- पूर्व अथवा दक्षिण दिशा की ओर ही सिर करके सोना चाहिए, इससे जीवनशक्ति का विकास होता है तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है। जबकि उत्तर व पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने से जीवनशक्ति का ह्रास होता है व रोग उत्पन्न होते हैं।
- हाथ-पैरों को सिकोड़कर, पैरों के पंजों की आँटी (क्रास) करके, सिर के पीछे तथा ऊपर हाथ रखकर व पेट के बल नहीं सोना चाहिए।
- सूर्यास्त के दो ढाई घंटे बाद सो जाना व सूर्योदय से दो ढाई घंटे पूर्व उठ जाना उत्तम है।
- शास्त्राध्ययन करके प्रणव(ॐ) का दीर्घ उच्चारण करते हुए अथवा श्वासोच्छवास में भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करते हुए सोने से नींद भी उपासना हो जाती है।
- स्वस्थ रहने के लिए कम-से-कम छः घंटे और अधिक से अधिक साढ़े सात घंटे की नींद करनी चाहिए, इससे कम या ज्यादा नहीं।
- जब आप शयन करें तब कमरे की खिड़कियाँ खुली हों और रोशनी न हो।
- आसन को पैर से खींचकर या फटे हुए आसन पर न बैठें।(महाभारत, अनुशासन पर्व)
- सत्संग से उठते समय आसन नहीं झटकना चाहिए। ऐसा करने वाला अपने पुण्यों का नाश करता है।
- जूठे मुँह पढ़ना-पढ़ाना, शयन करना, मस्तक का स्पर्श करना कदापि उचित नहीं है।
- यमराज कहते हैं- 'जो मनुष्य जूठे मुँह उठकर दौड़ता और स्वाध्याय करता है, मैं उसकी आयु नष्ट कर देता हूँ। उसकी सन्तानों को भी उससे छीन लेता हूँ। जो अनध्याय के समय भी अध्ययन करता है, उसके वैदिक ज्ञान और आयु का नाश हो जाता है।'(महाभारत, अनुशासन पर्व)
- जिसके गोत्र और प्रवर अपने ही समान हों तथा जो नाना के कुल में उत्पन्न हुई हो, जिसके कुल का पता न हो, उसके साथ विवाह नहीं करना चाहिए।
- पूर्व अथवा दक्षिण दिशा की ओर ही सिर करके सोना चाहिए, इससे जीवनशक्ति का विकास होता है तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है। जबकि उत्तर व पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने से जीवनशक्ति का ह्रास होता है व रोग उत्पन्न होते हैं।
- हाथ-पैरों को सिकोड़कर, पैरों के पंजों की आँटी (क्रास) करके, सिर के पीछे तथा ऊपर हाथ रखकर व पेट के बल नहीं सोना चाहिए।
- सूर्यास्त के दो ढाई घंटे बाद सो जाना व सूर्योदय से दो ढाई घंटे पूर्व उठ जाना उत्तम है।
- शास्त्राध्ययन करके प्रणव(ॐ) का दीर्घ उच्चारण करते हुए अथवा श्वासोच्छवास में भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करते हुए सोने से नींद भी उपासना हो जाती है।
- स्वस्थ रहने के लिए कम-से-कम छः घंटे और अधिक से अधिक साढ़े सात घंटे की नींद करनी चाहिए, इससे कम या ज्यादा नहीं।
- जब आप शयन करें तब कमरे की खिड़कियाँ खुली हों और रोशनी न हो।
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