वह हमेशा हार कर भी जीत जाता है - Motivational Story Of Poor Student
एक लडके को शतरंज खेलने का बहुत शौक था. लेकिन शतरंज के अलावा उसे कुछ भी नहीं आता था. उसकी इच्छा थी की वह एक अच्छे विद्यालय से शिक्षा प्राप्त करे ओर विद्वान बनें. उसने अपने गांव से बहुत दूर एक प्रसिद्ध विद्यालय के बारे में सुना था.
एक दिन वह उस विद्यालय में गया और वहां के प्रमुख शिक्षक से प्रवेश के लिए निवेदन किया. शिक्षक ने कहा- इस विद्यालय में प्रवेश के लिए तुम्हारें अंदर कोई विशिष्ट योग्यता होनी चाहिए, तुम मे ऐसी कौन-सी विशेषता है जिसके आधार पर तुम्हें प्रवेश दिया जाये ?
मेंने तो शतरंज के अलावा और कुछ सीखा ही नहीं उसने जवाब दिया. शिक्षक ने कहा – केवल शतरंज के आधार पर तुम्हें प्रवेश नही दिया जा सकता. लडके के बार-बार निवेदन करने पर आखिरकार शिक्षक ने उसके सामने शर्त रखी कि अगर वह विद्यालय के किसी विद्यार्थी को शतरंज में हरा देगा तो उसे प्रवेश मिल सकता है.
शिक्षक ने विद्यालय के सर्वश्रेष्ठ शतरंज खिलाडी को इस प्रतियोगिता के लिए बुलाया और खेल शुरू करने का आदेश दिया. खेल शुरू होने से ठीक पहले उन्होंने एक घोषणा की कि यदि वह लडका जीत जायेगा तो उसे वहां प्रवेश मिल जायेगा लेकिन दूसरे विद्यार्थी को विद्यालय से बाहर निकाल दिया जायेगा.
शतरंज का खेल शुरू हुआ लडके ने शानदार शुरुआत की क्योंकि अब शतरंज का छोटा सा बोर्ड ही उसकी पूरी दुनिया थी. वह जानता था कि उसे यहां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना ही है.
खेल के दौरान उस लडके ने विधार्थी का चेहरा देखा उसके चेहरे पर तनाव के चिन्ह थे, उसे डर था कि कहीं उसे विद्यालय से न निकाल दिया जाये. वह बहुत घबराया हुआ था लडका महसूस कर रहा था कि इस खेल में उसका जीतना निश्चित हैं और प्रवेश मिलने के बाद कुछ नया सीखने की शुरुआत करेगा.
तभी उसने सोचा कि यदि मेरा चयन इस विद्यालय के लिए हो जायेगा तो मुझे सबकुछ नए सिरे से सीखना होगा जबकि इस विद्यार्थी को बाहर निकाल दिया जायेगा और इसकी वर्षो की मेहनत व्यर्थ हो जाएगी.
अगर मैं जीतता हूं तो इस विद्यालय को एक ऐसा विद्यार्थी मिलेगा जिसे शतरंज के अलावा कुछ आता ही नहीं लेकिन अगर यह विद्यार्था हारता हैं तो एक योग्य विद्यार्थी का भविष्य खराब हो जायेगा इसलिए मुझे यह खेल यहीं खत्म कर देना चाहिए.
अब वह हारने के लिए खेलने लगा. अचानक शिक्षक ने शतरंज का बोर्ड उठाकर दूर फैंक दिया उन्होंने कहा- तुमने शतरंज के अलावा भी बहुत कुछ सीखा है. तुम जीतना चाहते हो और उस जीत को हासिल करने के लिए संघर्ष करना भी जानते हो लेकिन दूसरों का अस्तित्व खत्म नहीं करना चाहते.
तुम बडे उद्देश्यों के लिए त्याग करना भी जानते हो. हमारे विद्यालय में यही पढाया जाता हैं इसलिए इस विद्यालय में प्रवेश के लिए तुम आमंत्रित हो.
जो व्यक्ति खुद की न सोच कर दूसरों के भले की सोचता है वह हमेशा हार कर भी जीत जाता है. और वह व्यक्ति जो बेईमानी से जीतते है, दूसरों के भले की नहीं सोचते है ऐसे व्यक्ति जीत कर भी जीत हासिल नहीं कर पाते.
एक दिन वह उस विद्यालय में गया और वहां के प्रमुख शिक्षक से प्रवेश के लिए निवेदन किया. शिक्षक ने कहा- इस विद्यालय में प्रवेश के लिए तुम्हारें अंदर कोई विशिष्ट योग्यता होनी चाहिए, तुम मे ऐसी कौन-सी विशेषता है जिसके आधार पर तुम्हें प्रवेश दिया जाये ?
मेंने तो शतरंज के अलावा और कुछ सीखा ही नहीं उसने जवाब दिया. शिक्षक ने कहा – केवल शतरंज के आधार पर तुम्हें प्रवेश नही दिया जा सकता. लडके के बार-बार निवेदन करने पर आखिरकार शिक्षक ने उसके सामने शर्त रखी कि अगर वह विद्यालय के किसी विद्यार्थी को शतरंज में हरा देगा तो उसे प्रवेश मिल सकता है.
शिक्षक ने विद्यालय के सर्वश्रेष्ठ शतरंज खिलाडी को इस प्रतियोगिता के लिए बुलाया और खेल शुरू करने का आदेश दिया. खेल शुरू होने से ठीक पहले उन्होंने एक घोषणा की कि यदि वह लडका जीत जायेगा तो उसे वहां प्रवेश मिल जायेगा लेकिन दूसरे विद्यार्थी को विद्यालय से बाहर निकाल दिया जायेगा.
शतरंज का खेल शुरू हुआ लडके ने शानदार शुरुआत की क्योंकि अब शतरंज का छोटा सा बोर्ड ही उसकी पूरी दुनिया थी. वह जानता था कि उसे यहां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना ही है.
खेल के दौरान उस लडके ने विधार्थी का चेहरा देखा उसके चेहरे पर तनाव के चिन्ह थे, उसे डर था कि कहीं उसे विद्यालय से न निकाल दिया जाये. वह बहुत घबराया हुआ था लडका महसूस कर रहा था कि इस खेल में उसका जीतना निश्चित हैं और प्रवेश मिलने के बाद कुछ नया सीखने की शुरुआत करेगा.
तभी उसने सोचा कि यदि मेरा चयन इस विद्यालय के लिए हो जायेगा तो मुझे सबकुछ नए सिरे से सीखना होगा जबकि इस विद्यार्थी को बाहर निकाल दिया जायेगा और इसकी वर्षो की मेहनत व्यर्थ हो जाएगी.
अगर मैं जीतता हूं तो इस विद्यालय को एक ऐसा विद्यार्थी मिलेगा जिसे शतरंज के अलावा कुछ आता ही नहीं लेकिन अगर यह विद्यार्था हारता हैं तो एक योग्य विद्यार्थी का भविष्य खराब हो जायेगा इसलिए मुझे यह खेल यहीं खत्म कर देना चाहिए.
अब वह हारने के लिए खेलने लगा. अचानक शिक्षक ने शतरंज का बोर्ड उठाकर दूर फैंक दिया उन्होंने कहा- तुमने शतरंज के अलावा भी बहुत कुछ सीखा है. तुम जीतना चाहते हो और उस जीत को हासिल करने के लिए संघर्ष करना भी जानते हो लेकिन दूसरों का अस्तित्व खत्म नहीं करना चाहते.
तुम बडे उद्देश्यों के लिए त्याग करना भी जानते हो. हमारे विद्यालय में यही पढाया जाता हैं इसलिए इस विद्यालय में प्रवेश के लिए तुम आमंत्रित हो.
जो व्यक्ति खुद की न सोच कर दूसरों के भले की सोचता है वह हमेशा हार कर भी जीत जाता है. और वह व्यक्ति जो बेईमानी से जीतते है, दूसरों के भले की नहीं सोचते है ऐसे व्यक्ति जीत कर भी जीत हासिल नहीं कर पाते.
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