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शवयात्रा से आने के बाद नहाना क्यों जरूरी माना जाता है? Shavyatra se aane ke baad snan jaruri kyo?
शवयात्रा से आने के बाद नहाना क्यों जरूरी माना जाता है? - Shavyatra se aane ke baad snan jaruri kyo? शमशान से आकर नहाना क्यों जरुरी है? Shamshan se aakar nahana kyon jaruri hai? अंतिम संस्कार के बाद क्यों जरूरी है स्नान करना? इस काम के बाद नहाना कभी न भूलें.
किसी भी शवयात्रा में जाना और मृत शरीर को कंधा देना लगभग सभी धर्मों में बड़े ही पुण्य कार्य माना गया है। धर्म शास्त्रों का कहना है कि शवयात्रा में शामिल होने और अंतिम संस्कार के मौके पर उपस्थित रहने से, इंसान को कुछ देर के लिए ही सही लेकिन जिंदगी की सच्चाई का आभास होता है और मन में वैराग्य होता है। जब शमशान जाने के आध्यात्मिक लाभ हैं, तो वहां से आकर तुरंत नहाने की जरूरत क्या है?
नहाया तो जब जाता है जब हम अशुद्ध हो जाते हैं। फिर पुण्य का कार्य करके तुरंत नहाने की क्या आवश्यकता है? दरअसल इसका कारण यह है कि शव का अंतिम संस्कार होने से पूर्व ही वह वातावरण में उपस्थित सूक्ष्म एवं संक्रामक कीटाणुओं से ग्रसित हो जाता है।
इसके अतिरिक्त स्वयं मृत व्यक्ति भी किसी संक्रामक रोग से ग्रसित हो सकता है। अत: वहां पर उपस्थित इंसानों पर किसी संक्रामक रोग का असर होने की संभावना रहती है। जबकि पानी से नहा लेने से संक्रामक कीटाणु आदि पानी के साथ ही बह जाते हैं।
इसके साथ ही एक अन्य कारण भी तंत्र-शास्त्रों में बताया जाता है। शमशान भूमि पर लगातार ऐसा ही कार्य होते रहने से एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बन जाता है जो कमजोर मनोबल के इंसान को हानि पहुंचा सकता है। क्योंकि स्त्रियां अपेक्षाकृत पुरुषों के, कमजोर ह्रदय की होती हैं, इसलिये उन्हैं शमशान भूमि जाने से रोका जाता है।
दाह संस्कार के पश्चात भी मृतआत्मा का सूक्ष्म शरीर कुछ समय तक वहां उपस्थित होता है, जो अपनी प्रकृति के अनुसार कोई हानिकारक प्रभाव भी डाल सकता है।
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Tags: शवयात्रा से आने के बाद नहाना क्यों जरूरी माना जाता है? - Shavyatra se aane ke baad snan jaruri kyo? शमशान से आकर नहाना क्यों जरुरी है? Shamshan se aakar nahana kyon jaruri hai? अंतिम संस्कार के बाद क्यों जरूरी है स्नान करना? इस काम के बाद नहाना कभी न भूलें.
किसी भी शवयात्रा में जाना और मृत शरीर को कंधा देना लगभग सभी धर्मों में बड़े ही पुण्य कार्य माना गया है। धर्म शास्त्रों का कहना है कि शवयात्रा में शामिल होने और अंतिम संस्कार के मौके पर उपस्थित रहने से, इंसान को कुछ देर के लिए ही सही लेकिन जिंदगी की सच्चाई का आभास होता है और मन में वैराग्य होता है। जब शमशान जाने के आध्यात्मिक लाभ हैं, तो वहां से आकर तुरंत नहाने की जरूरत क्या है?
नहाया तो जब जाता है जब हम अशुद्ध हो जाते हैं। फिर पुण्य का कार्य करके तुरंत नहाने की क्या आवश्यकता है? दरअसल इसका कारण यह है कि शव का अंतिम संस्कार होने से पूर्व ही वह वातावरण में उपस्थित सूक्ष्म एवं संक्रामक कीटाणुओं से ग्रसित हो जाता है।
इसके अतिरिक्त स्वयं मृत व्यक्ति भी किसी संक्रामक रोग से ग्रसित हो सकता है। अत: वहां पर उपस्थित इंसानों पर किसी संक्रामक रोग का असर होने की संभावना रहती है। जबकि पानी से नहा लेने से संक्रामक कीटाणु आदि पानी के साथ ही बह जाते हैं।
इसके साथ ही एक अन्य कारण भी तंत्र-शास्त्रों में बताया जाता है। शमशान भूमि पर लगातार ऐसा ही कार्य होते रहने से एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बन जाता है जो कमजोर मनोबल के इंसान को हानि पहुंचा सकता है। क्योंकि स्त्रियां अपेक्षाकृत पुरुषों के, कमजोर ह्रदय की होती हैं, इसलिये उन्हैं शमशान भूमि जाने से रोका जाता है।
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