चमत्कारी है यह शिवलिंग! जहां चांद भी हुआ बेदाग - Chamatkari shivling
चमत्कारी है यह शिवलिंग! जहां चांद भी हुआ बेदाग, Chamatkari shivling, सोमनाथ ज्योर्तिलिंग का महत्व, सोमनाथ मंदिर का रहस्य, श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर, Shri Somnath Jyotirlinga Mandir, ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव मंदिर की छटा ही निराली है, आस्था व भक्ति का केंद्र श्री सोमनाथ आदि ज्योतिर्लिंग, प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर की महिमा.
भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में पहला सोमनाथ ज्योर्तिलिंग गुजरात राज्य में वेरावल नगर के समीप स्थित है, जो प्रभास तीर्थ भी कहलाता है। भारत की पश्चिम दिशा में अरबसागर के किनारे स्थित इस शिव मंदिर का महत्व यह है कि यहां भगवान शिव के ज्योर्तिलिंग की पूजा और दर्शन से कोढ़ व क्षय रोग सहित सभी गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यहीं पर क्षय रोग से शापित चंद्रदेव ने तप कर शिव की कृपा से शाप से मुक्ति पाई। तब चंद्रदेव द्वारा यहां सोने का शिवमंदिर बनाया। इसलिए इस ज्योर्तिलिंग का नाम सोमनाथ कहलाया।
मंदिर में शिव के सोमेश्वर रुप की पूजा होती है। सोमेश्वर का अर्थ है - चंद्र को सिर पर धारण करने वाले देवता यानि शिव। चंद्र को मन का कारक और शिवलिंग आत्मलिंग माना जाता है। इस तरह सोमनाथ ज्योर्तिलिंग के मात्र दर्शन से ही शरीर के रोगों के साथ-साथ मानसिक और वैचारिक शुद्धि भी होती है।
इसी क्षेत्र मे भगवान श्रीकृष्ण ने पैरों में बाण लगने के बाद देहत्याग दी और उनके वंश का नाश हुआ। यहां श्रावण पूर्णिमा, शिवरात्रि, चंद्र ग्रहण और सूर्यग्रहण पर मेला लगता है।
सोमनाथ ज्योर्तिलिंग के दर्शन के लिए हेमंत, शिशिर और वसंत ऋतु (जनवरी से अप्रैल के बीच) का मौसम अच्छा माना जाता है। गुजरात का वेरावल शहर सोमनाथ जाने के लिए मुख्य सड़क मार्ग है।
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भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में पहला सोमनाथ ज्योर्तिलिंग गुजरात राज्य में वेरावल नगर के समीप स्थित है, जो प्रभास तीर्थ भी कहलाता है। भारत की पश्चिम दिशा में अरबसागर के किनारे स्थित इस शिव मंदिर का महत्व यह है कि यहां भगवान शिव के ज्योर्तिलिंग की पूजा और दर्शन से कोढ़ व क्षय रोग सहित सभी गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यहीं पर क्षय रोग से शापित चंद्रदेव ने तप कर शिव की कृपा से शाप से मुक्ति पाई। तब चंद्रदेव द्वारा यहां सोने का शिवमंदिर बनाया। इसलिए इस ज्योर्तिलिंग का नाम सोमनाथ कहलाया।
मंदिर में शिव के सोमेश्वर रुप की पूजा होती है। सोमेश्वर का अर्थ है - चंद्र को सिर पर धारण करने वाले देवता यानि शिव। चंद्र को मन का कारक और शिवलिंग आत्मलिंग माना जाता है। इस तरह सोमनाथ ज्योर्तिलिंग के मात्र दर्शन से ही शरीर के रोगों के साथ-साथ मानसिक और वैचारिक शुद्धि भी होती है।
इसी क्षेत्र मे भगवान श्रीकृष्ण ने पैरों में बाण लगने के बाद देहत्याग दी और उनके वंश का नाश हुआ। यहां श्रावण पूर्णिमा, शिवरात्रि, चंद्र ग्रहण और सूर्यग्रहण पर मेला लगता है।
सोमनाथ ज्योर्तिलिंग के दर्शन के लिए हेमंत, शिशिर और वसंत ऋतु (जनवरी से अप्रैल के बीच) का मौसम अच्छा माना जाता है। गुजरात का वेरावल शहर सोमनाथ जाने के लिए मुख्य सड़क मार्ग है।
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