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जानिये, मुख्यद्वार पर शुभ-लाभ क्यों लिखते हैं? Ghar ke bahri darvaje par Shubh- Labh kyo likhte hai?
जानिये, मुख्यद्वार पर शुभ-लाभ क्यों लिखते हैं? Ghar ke bahri darvaje par Shubh- Labh kyo likhte hai? शुभ लाभ चिन्ह, घर के मुख्य द्वार पर क्यों लगाते हैं शुभ चिह्न, शुभ लाभ का महत्व, सही हो द्वार तो खुशियां आएं अपार, भवन का प्रवेश द्वार, प्रवेश द्वार शुभ लाभ का निशान, आप भी लिखे अपने घर के बाहर शुभ लाभ.
आपने अक्सर घर के मेन दरवाजे पर "शुभ लाभ" लिखते हुए देखा होगा, इससे क्या होता है? और यह क्यों लिखा जाता है? आइये आज जान लें..
किसी भी पूजन कार्य का शुभारंभ बिना स्वस्तिक के नहीं किया जा सकता। हमारे यहां मुख्यद्वार पर स्वस्तिक के आसपास शुभ-लाभ लिखने की परंपरा है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार श्री गणेश प्रथम पूजनीय हैं और शुभ व लाभ यानी शुभ व क्षेम को उनके पुत्र माना गया है।
कहते हैं जहां शुभ होता है वहां हर काम में फायदा यानी लाभ अपने आप होने लगता है या जहां हर कार्य में लाभ होता है वहां सबकुछ अपने आप शुभ होने लगता है।
इसीलिए वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसी मान्यता है कि घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाकर शुभ-लाभ लिखने से घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसे घर में हमेशा गणेशजी कृपा रहती है और धन-धान्य की कमी नहीं होती।
साथ ही स्वस्तिक के साथ ही शुभ-लाभ का चिन्ह भी धनात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, इसे बनाने से हमारे आसपास से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। इसलिए स्वस्तिक के चिन्ह के साथ ही हर-त्यौहार पर घर के मुख्यद्वार पर सिन्दूर से शुभ-लाभ लिखा जाता है।
जिससे घर पर किसी की बुरी नजर नहीं लगती और घर में सकारात्मक वातावरण बना रहता है। इसी वजह से मुख्यद्वार पर स्वस्तिक बनाने व शुभ-लाभ लिखने की परंपरा बनाई गई।
Thanks for reading...
Tags: जानिये, मुख्यद्वार पर शुभ-लाभ क्यों लिखते हैं? Ghar ke bahri darvaje par Shubh- Labh kyo likhte hai? शुभ लाभ चिन्ह, घर के मुख्य द्वार पर क्यों लगाते हैं शुभ चिह्न, शुभ लाभ का महत्व, सही हो द्वार तो खुशियां आएं अपार, भवन का प्रवेश द्वार, प्रवेश द्वार शुभ लाभ का निशान, आप भी लिखे अपने घर के बाहर शुभ लाभ.
आपने अक्सर घर के मेन दरवाजे पर "शुभ लाभ" लिखते हुए देखा होगा, इससे क्या होता है? और यह क्यों लिखा जाता है? आइये आज जान लें..
किसी भी पूजन कार्य का शुभारंभ बिना स्वस्तिक के नहीं किया जा सकता। हमारे यहां मुख्यद्वार पर स्वस्तिक के आसपास शुभ-लाभ लिखने की परंपरा है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार श्री गणेश प्रथम पूजनीय हैं और शुभ व लाभ यानी शुभ व क्षेम को उनके पुत्र माना गया है।
कहते हैं जहां शुभ होता है वहां हर काम में फायदा यानी लाभ अपने आप होने लगता है या जहां हर कार्य में लाभ होता है वहां सबकुछ अपने आप शुभ होने लगता है।
इसीलिए वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसी मान्यता है कि घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाकर शुभ-लाभ लिखने से घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसे घर में हमेशा गणेशजी कृपा रहती है और धन-धान्य की कमी नहीं होती।
साथ ही स्वस्तिक के साथ ही शुभ-लाभ का चिन्ह भी धनात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, इसे बनाने से हमारे आसपास से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। इसलिए स्वस्तिक के चिन्ह के साथ ही हर-त्यौहार पर घर के मुख्यद्वार पर सिन्दूर से शुभ-लाभ लिखा जाता है।
जिससे घर पर किसी की बुरी नजर नहीं लगती और घर में सकारात्मक वातावरण बना रहता है। इसी वजह से मुख्यद्वार पर स्वस्तिक बनाने व शुभ-लाभ लिखने की परंपरा बनाई गई।
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