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घर के पूर्वजों की पूजा भगवान के साथ क्यों नहीं करनी चाहिए? Ghar ke purvajo ki puja bhagwan ke saath kyo nahi karni chahiye?
घर के पूर्वजों की पूजा भगवान के साथ क्यों नहीं करनी चाहिए? Ghar ke purvajo ki puja bhagwan ke saath kyo nahi karni chahiye? घर के पूर्वजों की पूजा भगवान के साथ नहीं करने का क्या कारण वजह है? घर के पूर्वजों की पूजा भगवान के साथ करने की मनाही की जाती है.
आपने अक्सर देखा होगा कि लोग घरों में मंदिर बनाकर उसमें भगवान की तस्वीर लगाकर उसकी पूजा करते है और कुछ घरों में आपने मृत पूर्वजों की पूजा होती हुई भी देखी होगी, लेकिन इनके लिए अलग स्थान रखना होता है, पितृ और भगवान दोनों की तस्वीरें एक ही मंदिर में लगाकर पूजा नहीं की जा सकती है, आइये जाने क्यों?
हमारे हिन्दू धर्म में मृत पूर्वजों को पितृ माना जाता है। पितृ को पूज्यनीय माना जाता है। यहां पितृ की तिथि पर उनके आत्मा की शांति के लिए विभिन्न तरह का दान करते हैं। लेकिन ऐसा माना जाता है कि आपके घर के मंदिर में भगवान की ही मूर्तियां और तस्वीरें हों, उनके साथ किसी मृतात्मा का चित्र न लगाया जाए। साथ ही भगवान के साथ पितृ की पूजा नहीं करना चाहिए।
इसके पीछे कारण है सकारात्मक-नकारात्मक ऊर्जा और अध्यात्म में हमारी एकाग्रता का। मृतात्माओं से हम भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। उनके चले जाने से हमें एक खालीपन का एहसास होता है। मंदिर में इनकी तस्वीर होने से हमारी एकाग्रता भंग हो सकती है और भगवान की पूजा के समय यह भी संभव है कि हमारा सारा ध्यान उन्हीं मृत रिश्तेदारों की ओर हो। इस बात का घर के वातावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
हम पूजा में बैठते समय पूरी एकाग्रता लाने की कोशिश करते हैं ताकि पूजा का अधिकतम प्रभाव हो। ऐसे में मृतात्माओं की ओर ध्यान जाने से हम उस दु:खद घड़ी में खो जाते हैं जिसमें हमने अपने प्रियजनों को खोया था। हमारी मन:स्थिति नकारात्मक भावों से भर जाती है।
Thanks for reading...
Tags: घर के पूर्वजों की पूजा भगवान के साथ क्यों नहीं करनी चाहिए? Ghar ke purvajo ki puja bhagwan ke saath kyo nahi karni chahiye? घर के पूर्वजों की पूजा भगवान के साथ नहीं करने का क्या कारण वजह है? घर के पूर्वजों की पूजा भगवान के साथ करने की मनाही की जाती है.
आपने अक्सर देखा होगा कि लोग घरों में मंदिर बनाकर उसमें भगवान की तस्वीर लगाकर उसकी पूजा करते है और कुछ घरों में आपने मृत पूर्वजों की पूजा होती हुई भी देखी होगी, लेकिन इनके लिए अलग स्थान रखना होता है, पितृ और भगवान दोनों की तस्वीरें एक ही मंदिर में लगाकर पूजा नहीं की जा सकती है, आइये जाने क्यों?
हमारे हिन्दू धर्म में मृत पूर्वजों को पितृ माना जाता है। पितृ को पूज्यनीय माना जाता है। यहां पितृ की तिथि पर उनके आत्मा की शांति के लिए विभिन्न तरह का दान करते हैं। लेकिन ऐसा माना जाता है कि आपके घर के मंदिर में भगवान की ही मूर्तियां और तस्वीरें हों, उनके साथ किसी मृतात्मा का चित्र न लगाया जाए। साथ ही भगवान के साथ पितृ की पूजा नहीं करना चाहिए।
इसके पीछे कारण है सकारात्मक-नकारात्मक ऊर्जा और अध्यात्म में हमारी एकाग्रता का। मृतात्माओं से हम भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। उनके चले जाने से हमें एक खालीपन का एहसास होता है। मंदिर में इनकी तस्वीर होने से हमारी एकाग्रता भंग हो सकती है और भगवान की पूजा के समय यह भी संभव है कि हमारा सारा ध्यान उन्हीं मृत रिश्तेदारों की ओर हो। इस बात का घर के वातावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
हम पूजा में बैठते समय पूरी एकाग्रता लाने की कोशिश करते हैं ताकि पूजा का अधिकतम प्रभाव हो। ऐसे में मृतात्माओं की ओर ध्यान जाने से हम उस दु:खद घड़ी में खो जाते हैं जिसमें हमने अपने प्रियजनों को खोया था। हमारी मन:स्थिति नकारात्मक भावों से भर जाती है।
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