शाम के समय घर में दीपक जरूर लगाना चाहिए क्यों? Ghar me deepak kyo jaruri hai?
शाम के समय घर में दीपक जरूर लगाना चाहिए क्यों? Ghar me deepak kyo jaruri hai? दिन ढलने के बाद घर में दिया जलाने का क्या वजह कारण और महत्व है? क्यों जरुरी है सांय के वक्त घरों में प्रकाश? घर में संध्या के दीपक जलाना या प्रकाश रखना
क्यों आवश्यक है?
दीपक में अग्नि का वास होता है। जो पृथ्वी पर सूरज का रूप है। धर्म की लगभग हर एक प्रसिद्ध पुस्तक में संध्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। साथ ही संध्या के समय घर में दीपक लगाना या प्रकाश करना भी आवश्यक माना जाता है। संध्या का शाब्दिक अर्थ संधि का समय है यानि जहां दिन का समापन और रात शुरू होती है, उसे संधिकाल कहा जाता है।
ज्योतिष के अनुसार दिनमान को तीन भागों में बांटा गया है- प्रात:काल, मध्याह्न और सायंकाल।संध्या पूजन के लिए प्रात:काल का समय सूर्योदय से छह घटी तक, मध्याह्न 12 घटी तक तथा सायंकाल 20 घटी तक जाना जाता है।
एक घटी में 24 मिनट होते हैं। प्रात:काल में तारों के रहते हुए, मध्याह्न में जब सूर्य मध्य में हो तथा सायं सूर्यास्त के पहले संध्या करना चाहिए। संध्या से तात्पर्य पूजा या भगवान को याद करने से हैं शास्त्रों की मान्यता है कि नियमपूर्वक संध्या करने से पापरहित होकर ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।
रात या दिन में हम से जाने अनजाने जो बुरे काम हो जाते हैं, वे त्रिकाल संध्या से नष्ट हो जाते है। घर में संध्या के दीपक जलाना या प्रकाश रखना आवश्यक माना गया है क्योंकि घर में शाम के समय अंधेरा रखने पर घर में नकारात्मक ऊर्जा का निवास होता है।
घर में बरकत नहीं रहती और घर में अलक्ष्मी का वास होता है। इसलिए शाम को घर में अंधेरा नहीं रखना चाहिए। साथ ही संध्या के समय घी का दीपक भी इसी उदेश्य से लगाया जाता है। कहते हैं इस समय घर में घी का दीपक लगाने से घर में उपस्थित नकारात्मक ऊर्जा तो दूर होती ही है। घर में सुख-समृद्धि बढ़ती हैऔर घर में लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है।
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दीपक में अग्नि का वास होता है। जो पृथ्वी पर सूरज का रूप है। धर्म की लगभग हर एक प्रसिद्ध पुस्तक में संध्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। साथ ही संध्या के समय घर में दीपक लगाना या प्रकाश करना भी आवश्यक माना जाता है। संध्या का शाब्दिक अर्थ संधि का समय है यानि जहां दिन का समापन और रात शुरू होती है, उसे संधिकाल कहा जाता है।
ज्योतिष के अनुसार दिनमान को तीन भागों में बांटा गया है- प्रात:काल, मध्याह्न और सायंकाल।संध्या पूजन के लिए प्रात:काल का समय सूर्योदय से छह घटी तक, मध्याह्न 12 घटी तक तथा सायंकाल 20 घटी तक जाना जाता है।
एक घटी में 24 मिनट होते हैं। प्रात:काल में तारों के रहते हुए, मध्याह्न में जब सूर्य मध्य में हो तथा सायं सूर्यास्त के पहले संध्या करना चाहिए। संध्या से तात्पर्य पूजा या भगवान को याद करने से हैं शास्त्रों की मान्यता है कि नियमपूर्वक संध्या करने से पापरहित होकर ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।
रात या दिन में हम से जाने अनजाने जो बुरे काम हो जाते हैं, वे त्रिकाल संध्या से नष्ट हो जाते है। घर में संध्या के दीपक जलाना या प्रकाश रखना आवश्यक माना गया है क्योंकि घर में शाम के समय अंधेरा रखने पर घर में नकारात्मक ऊर्जा का निवास होता है।
घर में बरकत नहीं रहती और घर में अलक्ष्मी का वास होता है। इसलिए शाम को घर में अंधेरा नहीं रखना चाहिए। साथ ही संध्या के समय घी का दीपक भी इसी उदेश्य से लगाया जाता है। कहते हैं इस समय घर में घी का दीपक लगाने से घर में उपस्थित नकारात्मक ऊर्जा तो दूर होती ही है। घर में सुख-समृद्धि बढ़ती हैऔर घर में लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है।
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