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वैशाखी हमेशा चौदह अप्रैल को ही क्यों मनाते हैं? kyo manaai jati hai vaishakhi 14 april ko?
वैशाखी हमेशा चौदह अप्रैल को ही क्यों मनाते हैं? kyo manaai jati hai vaishakhi 14 april ko? Kya karan hai ki vaishakhi ka tyohar hamesha 14 april ko hi mnaya jata hai? आइये जानते है कि वैशाखी कब और क्यों मनाते है?
वैशाखी का त्योहार पंजाब, हरियाण आदि प्रदेशों में बड़ी ही धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। प्रतिवर्ष यह त्योहार अप्रैल माह में मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 14 अप्रैल, गुरुवार को है।
वैसे तो वैशाखी का पर्व मूलत: फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है। इस समय गेंहू की फसल पककर तैयार हो जाती है। किसान जब अपनी फसल लहलहाती देखता है तो उसके मन में अपने आप ही उमंग और उल्लास हिलोरे मारने लगता है।
इस खुशी को सभी लोग मिलकर नाच-गाकर मनाते हैं। इसी पर्व का नाम वैशाखी है। पंजाब में तरन-तारन की वैशाखी बहुत प्रसिद्ध है, जहां प्रतिवर्ष भव्य मेले का आयोजन होता है।
इस स्थान पर सन 1768 में सिक्खों के गुरु श्री राम दास जी की स्मृति में एक गुरुद्वारा स्थापित किया गया, जिसके साथ एक सरोवर भी है। वहां के लोगों का विश्वास है कि इस पवित्र सरोवर में स्नान करने से सभी असाध्य रोग दूर हो जाते हैं।
पंजाब की वैशाखी की विशेष महत्वता है। इस दिन सिक्खों के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
Thanks for reading...
Tags: वैशाखी हमेशा चौदह अप्रैल को ही क्यों मनाते हैं? kyo manaai jati hai vaishakhi 14 april ko? Kya karan hai ki vaishakhi ka tyohar hamesha 14 april ko hi mnaya jata hai? आइये जानते है कि वैशाखी कब और क्यों मनाते है?
वैशाखी का त्योहार पंजाब, हरियाण आदि प्रदेशों में बड़ी ही धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। प्रतिवर्ष यह त्योहार अप्रैल माह में मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 14 अप्रैल, गुरुवार को है।
वैसे तो वैशाखी का पर्व मूलत: फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है। इस समय गेंहू की फसल पककर तैयार हो जाती है। किसान जब अपनी फसल लहलहाती देखता है तो उसके मन में अपने आप ही उमंग और उल्लास हिलोरे मारने लगता है।
इस खुशी को सभी लोग मिलकर नाच-गाकर मनाते हैं। इसी पर्व का नाम वैशाखी है। पंजाब में तरन-तारन की वैशाखी बहुत प्रसिद्ध है, जहां प्रतिवर्ष भव्य मेले का आयोजन होता है।
इस स्थान पर सन 1768 में सिक्खों के गुरु श्री राम दास जी की स्मृति में एक गुरुद्वारा स्थापित किया गया, जिसके साथ एक सरोवर भी है। वहां के लोगों का विश्वास है कि इस पवित्र सरोवर में स्नान करने से सभी असाध्य रोग दूर हो जाते हैं।
पंजाब की वैशाखी की विशेष महत्वता है। इस दिन सिक्खों के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
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