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लड़कियों के लिए ये पांच श्रृंगार क्यों जरुरी है Ladkiyon ko ye 5 shringar kyo karne chahiye?
लड़कियों के लिए ये पांच श्रृंगार क्यों जरुरी है Ladkiyon ko ye 5 shringar kyo karne chahiye? Aisa kya hai in sharingaron me jo ladki ke liye bahut aniwarya hai? kya hai in sharingaron ki vosheshta jo inhen upyogi banati hai? लड़कियों के लिए अनिवार्य 5 श्रृंगार की जानकारी इन हिंदी.
हमारे यहां लड़की हो या लड़का सभी के लिए कुछ ना कुछ परंपराएं जरुर बनाई गई हैं। लड़कियों के श्रृंगार से जुड़ी भी कुछ परंपराएं है। जिन्हे परंपरा बनाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी है। ऐसे ही लड़कियों के लिए पांच श्रृंगार आवश्यक माने गए हैं। ऐसा माना जाता है कि इन पांच श्रृंगार के कई फायदे हैं।
लड़कियां बिंदी का उपयोग सुंदरता बढ़ाने के उद्देश्य से करती हैं और विवाहित महिलाओं के लिए यह सुहाग की निशानी मानी जाती है। हिंदू धर्म में शादी के बाद हर स्त्री को माथे पर लाल बिंदी लगाना आवश्यक परंपरा माना गया है।बिंदी का संबंध हमारे मन से भी जुड़ा हुआ है। योग शास्त्र के अनुसार जहां बिंदी लगाई जाती है वहीं आज्ञा चक्र स्थित होता है। यह चक्र हमारे मन को नियंत्रित करता है।
काजल को सोलह शृंगार में भी शामिल किया गया है। सभी यही सोचते हैं कि काजल का उपयोग सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है। परंतु सुंदरता बढ़ाने के साथ-साथ काजल के अन्य उपयोग भी हैं। जैसे काजल में औषधिय गुण होते हैं जो आंखों के लिए एक औषधि का काम करता है। जिससे आंखों की देखने क्षमता बढ़ती है और नेत्र रोगों से भी बचाव हो जाता है। साथ ही काजल दूसरों की बुरी नजर से भी रक्षा करता हैं।
नोजपिन या नथनी ट्रेडिशनल टच के साथ मार्डन लुक देकर खूबसूरत लड़कियों की सुन्दरता को और बढ़ा देती हैं। नाक छेदन हमारे शास्त्रों के अनुसार एक अनिवार्य परंपरा है। ऐसा उनकी शारीरिक संचरना को ध्यान में रखकर परंपरा से जोड़ा गया है। स्त्रियां शारीरिक रूप से काफी संवेदनशील होती हैं उन पर मौसम के छोटे-छोटे परिवर्तन का भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
सोने और चांदी के कड़े हड्डियों को मजबूत करते थे और लगातार घर्षण से इन धातुओं के गुण भी शरीर को मिलते थे, जिससे महिलाओं को आरोग्य मिलता था तथा अधिक उम्र में भी वे स्वस्थ्य रहती थीं। इसके पीछे एक और कारण यह भी था। वह यह कि सभी की जिंदगी में उतार -चढ़ाव आते हैं। उस बुरे समय ये गहने आर्थिक सहारा भी देते हैं इसीलिए हमारे यहां सोने के कंगन पहनने की परंपरा बनाई गई है।
पायल महिलाओं के सोलह श्रंगार में अहम भूमिका निभाती है। पायल पहनने के पीछे यह वजह है कि प्राचीन काल में महिलाओं को पायल एक संकेत मात्र के लिए पहनाई जाती थी। जब घर के सभी सदस्य एक साथ बैठे होते थे तब यदि कोई पायल पहनी स्त्री वहां आती थी तो उसकी छम-छम आवाज से सभी को अंदाजा हो जाता कि कोई महिला उनकी ओर आ रही है। जिससे वे सभी व्यवस्थित रूप से आने वाली महिला का स्वागत कर सके, उसे सम्मान दे सके।
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हमारे यहां लड़की हो या लड़का सभी के लिए कुछ ना कुछ परंपराएं जरुर बनाई गई हैं। लड़कियों के श्रृंगार से जुड़ी भी कुछ परंपराएं है। जिन्हे परंपरा बनाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी है। ऐसे ही लड़कियों के लिए पांच श्रृंगार आवश्यक माने गए हैं। ऐसा माना जाता है कि इन पांच श्रृंगार के कई फायदे हैं।
लड़कियां बिंदी का उपयोग सुंदरता बढ़ाने के उद्देश्य से करती हैं और विवाहित महिलाओं के लिए यह सुहाग की निशानी मानी जाती है। हिंदू धर्म में शादी के बाद हर स्त्री को माथे पर लाल बिंदी लगाना आवश्यक परंपरा माना गया है।बिंदी का संबंध हमारे मन से भी जुड़ा हुआ है। योग शास्त्र के अनुसार जहां बिंदी लगाई जाती है वहीं आज्ञा चक्र स्थित होता है। यह चक्र हमारे मन को नियंत्रित करता है।
काजल को सोलह शृंगार में भी शामिल किया गया है। सभी यही सोचते हैं कि काजल का उपयोग सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है। परंतु सुंदरता बढ़ाने के साथ-साथ काजल के अन्य उपयोग भी हैं। जैसे काजल में औषधिय गुण होते हैं जो आंखों के लिए एक औषधि का काम करता है। जिससे आंखों की देखने क्षमता बढ़ती है और नेत्र रोगों से भी बचाव हो जाता है। साथ ही काजल दूसरों की बुरी नजर से भी रक्षा करता हैं।
नोजपिन या नथनी ट्रेडिशनल टच के साथ मार्डन लुक देकर खूबसूरत लड़कियों की सुन्दरता को और बढ़ा देती हैं। नाक छेदन हमारे शास्त्रों के अनुसार एक अनिवार्य परंपरा है। ऐसा उनकी शारीरिक संचरना को ध्यान में रखकर परंपरा से जोड़ा गया है। स्त्रियां शारीरिक रूप से काफी संवेदनशील होती हैं उन पर मौसम के छोटे-छोटे परिवर्तन का भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
सोने और चांदी के कड़े हड्डियों को मजबूत करते थे और लगातार घर्षण से इन धातुओं के गुण भी शरीर को मिलते थे, जिससे महिलाओं को आरोग्य मिलता था तथा अधिक उम्र में भी वे स्वस्थ्य रहती थीं। इसके पीछे एक और कारण यह भी था। वह यह कि सभी की जिंदगी में उतार -चढ़ाव आते हैं। उस बुरे समय ये गहने आर्थिक सहारा भी देते हैं इसीलिए हमारे यहां सोने के कंगन पहनने की परंपरा बनाई गई है।
पायल महिलाओं के सोलह श्रंगार में अहम भूमिका निभाती है। पायल पहनने के पीछे यह वजह है कि प्राचीन काल में महिलाओं को पायल एक संकेत मात्र के लिए पहनाई जाती थी। जब घर के सभी सदस्य एक साथ बैठे होते थे तब यदि कोई पायल पहनी स्त्री वहां आती थी तो उसकी छम-छम आवाज से सभी को अंदाजा हो जाता कि कोई महिला उनकी ओर आ रही है। जिससे वे सभी व्यवस्थित रूप से आने वाली महिला का स्वागत कर सके, उसे सम्मान दे सके।
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