घर पर मंदिर की छाया क्यों नहीं पडनी चाहिए? Mandir ki chhaya ghar par nahi pade
घर पर मंदिर की छाया क्यों नहीं पडनी चाहिए? Mandir ki chhaya ghar par nahi pade aisa kyo mana jata hai? आइये जानने की कोशिश करते है कि क्यों नहीं पड़नी चाहिए घर पर मंदिर की छाया?
मंदिर में होने वाले नाद यानी शंख और घंटियों की आवाजें, ये आवाजें वातावरण को शुद्ध करती हैं। कहते हैं मंदिर जाने से आत्मिक शांति मिलती है। वहां लगाए जाने वाले धूप-बत्ती जिनकी सुगंध वातावरण को शुद्ध बनाती है।
इस तरह मंदिर में लगभग सभी ऐसी चीजें होती हैं जो वातावरण की सकारात्मक ऊर्जा को संग्रहित करती हैं। हम जब मंदिर में जाते हैं तो इसी सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हम पर पड़ता है और हमें भीतर तक शांति का अहसास होता है।
अक्सर लोग अपनी आस्था के कारण मंदिर के आसपास घर ढूंढते हैं लेकिन भविष्यपुराण में कहा गया है कि अपने घर में किए गए हवन, यज्ञ-अनुष्ठानों का फल निश्चित ही घर के मुखिया को मिलता है। इसके लिए कहा गया है कि देव-वेध से बचाना चाहिए यानी ऐसी जगह घर नहीं लेना चाहिए जिसके आसपास मंदिर हो।
मत्स्यपुराण में भी वेध को हर हाल में टालकर वास्तु निर्माण का निर्देश है। कहा जाता है कि जो लोग पुराने देवालय के सामने घर या व्यापारिक प्रतिष्ठान बनवाते हैं, वे धन तो पाते हैं किंतु शारीरिक आपदाओं से घिर जाते हैं। यदि शिवालय के सामने घर बना हो तो बीमारीयां पीछा नहीं छोड़ती। जैनालय के सामने बना हो तो घर शून्य रहेगा या वैभव से वैराग्य हो जाएगा।
भैरव, कार्तिकेय, बलदेव और देवी मंदिर के सामने घर बनाया गया तो क्रोध और कलह की आशंका रहेगी जबकि विष्णु मंदिर के सामने घर बनाने पर घर-परिवार को अज्ञात बीमारियां घेरे रहती हैं। इसी तरह मंदिर की जमीन या अन्य किसी हिस्से पर कब्जा नहीं करना चाहिए।
मंदिर के किसी टूटे पत्थर को भी चिनाई के कार्य में नहीं लेना चाहिए। यह भी कहा गया है कि घर के आसपास मंदिर होने पर व्यक्ति इसीलिए पुराने प्राचीन काल में ऐसा दोष होने पर मंदिर की दूरी के बराबर बड़ा द्वार या पोल बनाकर नई बस्ती को बसाया जाता था।
Thanks for reading...
Tags: घर पर मंदिर की छाया क्यों नहीं पडनी चाहिए? Mandir ki chhaya ghar par nahi pade aisa kyo mana jata hai? इस पोस्ट में जानकारी दी गई है कि क्यों नहीं पड़नी चाहिए घर पर मंदिर की छाया?
मंदिर में होने वाले नाद यानी शंख और घंटियों की आवाजें, ये आवाजें वातावरण को शुद्ध करती हैं। कहते हैं मंदिर जाने से आत्मिक शांति मिलती है। वहां लगाए जाने वाले धूप-बत्ती जिनकी सुगंध वातावरण को शुद्ध बनाती है।
इस तरह मंदिर में लगभग सभी ऐसी चीजें होती हैं जो वातावरण की सकारात्मक ऊर्जा को संग्रहित करती हैं। हम जब मंदिर में जाते हैं तो इसी सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हम पर पड़ता है और हमें भीतर तक शांति का अहसास होता है।
अक्सर लोग अपनी आस्था के कारण मंदिर के आसपास घर ढूंढते हैं लेकिन भविष्यपुराण में कहा गया है कि अपने घर में किए गए हवन, यज्ञ-अनुष्ठानों का फल निश्चित ही घर के मुखिया को मिलता है। इसके लिए कहा गया है कि देव-वेध से बचाना चाहिए यानी ऐसी जगह घर नहीं लेना चाहिए जिसके आसपास मंदिर हो।
मत्स्यपुराण में भी वेध को हर हाल में टालकर वास्तु निर्माण का निर्देश है। कहा जाता है कि जो लोग पुराने देवालय के सामने घर या व्यापारिक प्रतिष्ठान बनवाते हैं, वे धन तो पाते हैं किंतु शारीरिक आपदाओं से घिर जाते हैं। यदि शिवालय के सामने घर बना हो तो बीमारीयां पीछा नहीं छोड़ती। जैनालय के सामने बना हो तो घर शून्य रहेगा या वैभव से वैराग्य हो जाएगा।
भैरव, कार्तिकेय, बलदेव और देवी मंदिर के सामने घर बनाया गया तो क्रोध और कलह की आशंका रहेगी जबकि विष्णु मंदिर के सामने घर बनाने पर घर-परिवार को अज्ञात बीमारियां घेरे रहती हैं। इसी तरह मंदिर की जमीन या अन्य किसी हिस्से पर कब्जा नहीं करना चाहिए।
मंदिर के किसी टूटे पत्थर को भी चिनाई के कार्य में नहीं लेना चाहिए। यह भी कहा गया है कि घर के आसपास मंदिर होने पर व्यक्ति इसीलिए पुराने प्राचीन काल में ऐसा दोष होने पर मंदिर की दूरी के बराबर बड़ा द्वार या पोल बनाकर नई बस्ती को बसाया जाता था।
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