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नवरात्रै में केवल नौ दिन ही क्यों होते है? Navratron 9 din ke hi kyo manaaye jaate hai?
नवरात्रै में केवल नौ दिन ही क्यों होते है? Navratron 9 din ke hi kyo manaaye jaate hai? नवरात्रि का महत्व, आखिर नौ दिन तक ही क्यों मनाते हैं नवरात्र, नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण.
नवरात्रे 9 दिन के होते है, क्या कभी आपने इस विषय में सोचा है कि नवरात्रों में केवल 9 दिनों को ही क्यों चुना गया है, आज आज हम जानकारी लेते है इसके कारण की.
ऋतुविज्ञान के अनुसार ये दोनों महीनें (चैत्र व आश्विन) गर्मी और सर्दी की संधि के महत्वपूर्ण महीनें हैं। ठंड की शुरूआत आश्विन से हो जाती है और ग्रीष्म चैत्र से गर्मी की। वसंत ऋतु चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के प्रारंभिक नौ दिन चैत्र नवरात्र नाम से प्रसिद्ध हैं।
नव शब्द नवीन अर्थक और नौ संख्या का प्रतीक है। अत: नव संवत्सर के प्रारंभिक दिन होने के कारण उक्त दिनों को नव कहना ठीक है तथा दुर्गा मां के अवतारों की संख्या भी नौ होने से नौ दिन तक उपासना होती है।
कृषि प्रधान देश भारत में फसलों की दृष्टि से भी आश्विन और चैत्र मास का विशेष महत्व है। चैत्र में आषाढ़ी फसल मतलब गेहूं, जौं आदि और आश्विन में श्रावणी फसल धान तैयार होकर घरों में आने लगते हैं। अत: इन दोनों अवसरों पर नौ दिनों तक माता की आराधना की जाती है।
वैसे तो एक वर्ष में चार नवरात्र होते हैं उनमें से दो को गुप्तनवरात्र कहा जाता है और दो नवरात्र में से भी चैत्र नवरात्र को बड़ा माना जाता है। नवरात्रि का त्योहार नौ दिनों तक चलता है क्योंकि मुलत: देवी के तीन स्वरूप होते हैं।
इन नौ दिनों में तीन देवियों पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है। पहले तीन दिन पार्वती के तीन स्वरुपों (कुमार, पार्वती और काली), अगले तीन दिन लक्ष्मी माता के स्वरुपों और आखिरी के तीन दिन सरस्वती माता के स्वरुपों की पूजा करते है।
मान्यता है कि नवरात्र में नौ दिन सिद्धि प्राप्ति और कुंडलिनी जाग्ररण करने के दिन होते हैं। इन नौ दिनो में माता के पूजन के पहले दिन मुलाधार चक्र जागृत होता है। इस तरह नवे दिन निर्वाण चक्र की जागृति होती है ये नौ दिन विशेष सिद्धिदायक होते हैं। इसलिए नवरात्र नौ दिन के होते हैं।
Thanks for reading...
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नवरात्रे 9 दिन के होते है, क्या कभी आपने इस विषय में सोचा है कि नवरात्रों में केवल 9 दिनों को ही क्यों चुना गया है, आज आज हम जानकारी लेते है इसके कारण की.
ऋतुविज्ञान के अनुसार ये दोनों महीनें (चैत्र व आश्विन) गर्मी और सर्दी की संधि के महत्वपूर्ण महीनें हैं। ठंड की शुरूआत आश्विन से हो जाती है और ग्रीष्म चैत्र से गर्मी की। वसंत ऋतु चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के प्रारंभिक नौ दिन चैत्र नवरात्र नाम से प्रसिद्ध हैं।
नव शब्द नवीन अर्थक और नौ संख्या का प्रतीक है। अत: नव संवत्सर के प्रारंभिक दिन होने के कारण उक्त दिनों को नव कहना ठीक है तथा दुर्गा मां के अवतारों की संख्या भी नौ होने से नौ दिन तक उपासना होती है।
कृषि प्रधान देश भारत में फसलों की दृष्टि से भी आश्विन और चैत्र मास का विशेष महत्व है। चैत्र में आषाढ़ी फसल मतलब गेहूं, जौं आदि और आश्विन में श्रावणी फसल धान तैयार होकर घरों में आने लगते हैं। अत: इन दोनों अवसरों पर नौ दिनों तक माता की आराधना की जाती है।
वैसे तो एक वर्ष में चार नवरात्र होते हैं उनमें से दो को गुप्तनवरात्र कहा जाता है और दो नवरात्र में से भी चैत्र नवरात्र को बड़ा माना जाता है। नवरात्रि का त्योहार नौ दिनों तक चलता है क्योंकि मुलत: देवी के तीन स्वरूप होते हैं।
इन नौ दिनों में तीन देवियों पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है। पहले तीन दिन पार्वती के तीन स्वरुपों (कुमार, पार्वती और काली), अगले तीन दिन लक्ष्मी माता के स्वरुपों और आखिरी के तीन दिन सरस्वती माता के स्वरुपों की पूजा करते है।
मान्यता है कि नवरात्र में नौ दिन सिद्धि प्राप्ति और कुंडलिनी जाग्ररण करने के दिन होते हैं। इन नौ दिनो में माता के पूजन के पहले दिन मुलाधार चक्र जागृत होता है। इस तरह नवे दिन निर्वाण चक्र की जागृति होती है ये नौ दिन विशेष सिद्धिदायक होते हैं। इसलिए नवरात्र नौ दिन के होते हैं।
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