सेक्स के बारे में सवाल और उनके जवाब - Sex ke baare me sawal aur unke jawab
सेक्स के बारे में दस सवाल और उनके जवाब - Sex par uthe 10 questions and its answers. क्या सेक्स करना पाप है? क्या सेक्स की कोई उम्र होती है? क्या एक आदमी और एक औरत को बगैर शादी किए एक साथ रहने की इजाज़त है? क्या एक से ज़्यादा शादी करना सही है? हस्तमैथुन के बारे में क्या नज़रिया है? क्या फोन सेक्स, “सेक्सटिंग” या साइबर-सेक्स में कोई बुराई है? क्या परमेश्वर समलैंगिकता को स्वीकार करता है? क्या तलाक लेना सही है? क्या गर्भपात करवाना गलत है?
Sex ke baare me sawal aur unke jawab - भगवान ने सेक्स केवल संतान पैदा करने के लिए ही बनाया था लेकिन इन्सान अब पूर्ण रूप से सेक्स के वश में हो चूका है, इन्सान खाना, सोना और अपने जरुरी कामों को छोड़ सकता है लेकिन सेक्स को छोड़ने को तैयार नहीं है। सेक्स के बारे में मन में बहुत सवाल भी उठते रहते है, आइये आज इन पर विचार करें..
सेक्स के बारे में दस सवाल और उनके जवाब:-
1. क्या सेक्स करना पाप है?
जवाब - मनुष्य के दुखो का मूल कारण सेक्स है, सेक्स यदि संतान प्राप्ति के लिए दो शादीशुदा लोगों (पति और पत्नी) के बीच किया जाएँ तो पाप नहीं है परन्तु शादी से पहले और लाइफ पार्टनर के अलावा किसी अन्य के साथ किया गया सेक्स पाप है।
2. क्या सेक्स की कोई उम्र होती है?
जवाब - शादी से पहले सेक्स करना पाप है और शादी के बाद भी सेक्स तभी करें जब पति और पत्नी दोनों इसे करने के लिए सहमत हो, कभी भी अपने पार्टनर को मजबूर करके सेक्स ना करें, परमेश्वर ने लैंगिक अंगों को सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए नहीं बनाया बल्कि इस तरह बनाया ताकि पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए अपना प्यार ज़ाहिर कर सकें और इससे दोनों को सुख मिले। लैंगिक संबंधों से पति-पत्नी एक-दूसरे की शारीरिक ज़रूरतों और भावनाओं को समझ पाते हैं और उन्हें पूरा कर पाते हैं।
3. क्या एक आदमी और एक औरत को बगैर शादी किए एक साथ रहने की इजाज़त है?
जवाब - परमेश्वर की नज़र में एक आदमी और एक औरत का बिना शादी किए एक साथ रहना गलत है, फिर चाहे वे आगे चलकर शादी करने की क्यों न सोच रहे हों। भले ही एक लड़का-लड़की एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हों, फिर भी परमेश्वर उनसे यह चाहता है कि वे शारीरिक संबंधों का सुख लेने से पहले शादी करें। परमेश्वर ने ही हमें इस काबिल बनाया है कि हम प्यार कर सकें। परमेश्वर का सबसे खास गुण भी प्यार है। इसलिए उसका यह कहना एकदम सही है कि लैंगिक संबंधों का सुख सिर्फ शादीशुदा जोड़ों को लेना चाहिए।
4. क्या एक से ज़्यादा शादी करना सही है?
जवाब - एक से ज़्यादा पत्नी रखने का चलन, परमेश्वर ने शुरू नहीं किया था। उसने आदम को सिर्फ एक ही पत्नी दी थी। हर आदमी की अपनी एक ही पत्नी हो और हर स्त्री का अपना एक ही पति हो।
5. क्या शादीशुदा जोड़ों का गर्भ निरोधक इस्तेमाल करना गलत है?
जवाब - अगर पति-पत्नी फैसला करते हैं कि उन्हें बच्चा नहीं चाहिए, तो उनके इस फैसले को गलत नहीं ठहराया जा सकता है। इसलिए यह फैसला पति-पत्नी पर छोड़ा गया है कि वे अपना परिवार बढ़ाना चाहते हैं या नहीं। यह फैसला भी उन्हीं का होता है कि वे कितने बच्चे चाहते हैं और कब चाहते है। अगर एक पति-पत्नी गर्भ निरोध के ऐसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जिनसे गर्भपात नहीं होता तो यह उनका अपना फैसला है और इसके लिए वे खुद ज़िम्मेदार हैं। ऐसे में दूसरों को उन पर दोष नहीं लगाना चाहिए।
6. क्या गर्भपात करवाना गलत है?
जवाब - परमेश्वर की नज़र में जीवन पवित्र है और वह एक भ्रूण को भी एक अलग जान, एक ज़िंदा इंसान समझता है। अगर किसी व्यक्ति की वजह से अजन्मे बच्चे की मौत हो जाती है, तो उस व्यक्ति को इसकी सज़ा भुगतनी पड़ेगी क्योंकि एक अजन्मे बच्चे को मार डालना, हत्या है। लेकिन अगर बच्चे के जन्म के समय अचानक ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं कि माँ और बच्चे में से किसी एक को ही बचाया जा सकता है तो पति-पत्नी को मिलकर फैसला करना होगा कि किसकी जान बचाई जाए।
7. क्या तलाक लेना सही है?
जवाब - कई बार कुछ कारणों से तलाक लेना पड़ सकता है लेकिन यह तभी होना चाहिए जब कोई दूसरा रास्ता ही ना बचता हो, अगर कोई इन्सान (पुरुष या महिला) अपने साथी को धोखे से तलाक देता है, तो परमेश्वर इससे सख्त नफरत करता है। जो लोग बिना वाजिब कारण के अपने साथी को तलाक देते हैं, खासकर इस इरादे से कि वे दूसरे से शादी कर लेंगे, परमेश्वर उन्हें खुद सज़ा देगा।
8. क्या परमेश्वर समलैंगिकता को स्वीकार करता है?
जवाब - परमेश्वर समलैंगिकता को स्वीकार नहीं करता है।
9. क्या फोन सेक्स, “सेक्सटिंग” या साइबर-सेक्स में कोई बुराई है?
जवाब - फोन सेक्स का मतलब है फोन पर गलत तरीके से सेक्स के बारे में बात करना या ऐसे संदेश सुनना जो किसी के अंदर वासना जगाएँ। “सेक्सटिंग” का मतलब है मोबाइल से दूसरों को अश्लील तसवीरें और गंदे मेसेज भेजना। साइबर-सेक्स का मतलब है इंटरनेट पर ऐसी वेब साइट देखना या दूसरों से ऐसी बातचीत करना, जिससे वासना जागे। ये सभी हरकतें, सेक्स के बारे में गलत नज़रिए को बढ़ावा देती हैं और अपने जीवन-साथी को छोड़ दूसरों के साथ यौन-संबंधों का मज़ा उठाने के लिए उकसाती हैं। ये आदतें लोगों को अपनी लालसा पर काबू पाने में मदद देने के बजाय, अपनी इच्छाओं को पूरा करने पर ज़ोर देती हैं इसलिए यह सब भी गलत है।
10. हस्तमैथुन के बारे में क्या नज़रिया है?
जवाब - हस्तमैथुन का मतलब है अपने लैंगिक अंगों को जानबूझकर सहलाना या रगड़ना है जिससे लैंगिक इच्छाएँ पैदा हों और संभोग का सुख मिले। हस्तमैथुन से सेक्स के बारे में एक गलत सोच पनपती है और यह आदत लोगों को सिर्फ अपनी इच्छा पूरी करने के लिए उकसाती है। परमेश्वर का वचन है कि अपने शरीर के उन अंगों को अनदेखा करो जिनमें ऐसी लालसाएँ पैदा होती हैं।
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Sex ke baare me sawal aur unke jawab - भगवान ने सेक्स केवल संतान पैदा करने के लिए ही बनाया था लेकिन इन्सान अब पूर्ण रूप से सेक्स के वश में हो चूका है, इन्सान खाना, सोना और अपने जरुरी कामों को छोड़ सकता है लेकिन सेक्स को छोड़ने को तैयार नहीं है। सेक्स के बारे में मन में बहुत सवाल भी उठते रहते है, आइये आज इन पर विचार करें..
सेक्स के बारे में दस सवाल और उनके जवाब:-
1. क्या सेक्स करना पाप है?
जवाब - मनुष्य के दुखो का मूल कारण सेक्स है, सेक्स यदि संतान प्राप्ति के लिए दो शादीशुदा लोगों (पति और पत्नी) के बीच किया जाएँ तो पाप नहीं है परन्तु शादी से पहले और लाइफ पार्टनर के अलावा किसी अन्य के साथ किया गया सेक्स पाप है।
2. क्या सेक्स की कोई उम्र होती है?
जवाब - शादी से पहले सेक्स करना पाप है और शादी के बाद भी सेक्स तभी करें जब पति और पत्नी दोनों इसे करने के लिए सहमत हो, कभी भी अपने पार्टनर को मजबूर करके सेक्स ना करें, परमेश्वर ने लैंगिक अंगों को सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए नहीं बनाया बल्कि इस तरह बनाया ताकि पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए अपना प्यार ज़ाहिर कर सकें और इससे दोनों को सुख मिले। लैंगिक संबंधों से पति-पत्नी एक-दूसरे की शारीरिक ज़रूरतों और भावनाओं को समझ पाते हैं और उन्हें पूरा कर पाते हैं।
3. क्या एक आदमी और एक औरत को बगैर शादी किए एक साथ रहने की इजाज़त है?
जवाब - परमेश्वर की नज़र में एक आदमी और एक औरत का बिना शादी किए एक साथ रहना गलत है, फिर चाहे वे आगे चलकर शादी करने की क्यों न सोच रहे हों। भले ही एक लड़का-लड़की एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हों, फिर भी परमेश्वर उनसे यह चाहता है कि वे शारीरिक संबंधों का सुख लेने से पहले शादी करें। परमेश्वर ने ही हमें इस काबिल बनाया है कि हम प्यार कर सकें। परमेश्वर का सबसे खास गुण भी प्यार है। इसलिए उसका यह कहना एकदम सही है कि लैंगिक संबंधों का सुख सिर्फ शादीशुदा जोड़ों को लेना चाहिए।
4. क्या एक से ज़्यादा शादी करना सही है?
जवाब - एक से ज़्यादा पत्नी रखने का चलन, परमेश्वर ने शुरू नहीं किया था। उसने आदम को सिर्फ एक ही पत्नी दी थी। हर आदमी की अपनी एक ही पत्नी हो और हर स्त्री का अपना एक ही पति हो।
5. क्या शादीशुदा जोड़ों का गर्भ निरोधक इस्तेमाल करना गलत है?
जवाब - अगर पति-पत्नी फैसला करते हैं कि उन्हें बच्चा नहीं चाहिए, तो उनके इस फैसले को गलत नहीं ठहराया जा सकता है। इसलिए यह फैसला पति-पत्नी पर छोड़ा गया है कि वे अपना परिवार बढ़ाना चाहते हैं या नहीं। यह फैसला भी उन्हीं का होता है कि वे कितने बच्चे चाहते हैं और कब चाहते है। अगर एक पति-पत्नी गर्भ निरोध के ऐसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जिनसे गर्भपात नहीं होता तो यह उनका अपना फैसला है और इसके लिए वे खुद ज़िम्मेदार हैं। ऐसे में दूसरों को उन पर दोष नहीं लगाना चाहिए।
6. क्या गर्भपात करवाना गलत है?
जवाब - परमेश्वर की नज़र में जीवन पवित्र है और वह एक भ्रूण को भी एक अलग जान, एक ज़िंदा इंसान समझता है। अगर किसी व्यक्ति की वजह से अजन्मे बच्चे की मौत हो जाती है, तो उस व्यक्ति को इसकी सज़ा भुगतनी पड़ेगी क्योंकि एक अजन्मे बच्चे को मार डालना, हत्या है। लेकिन अगर बच्चे के जन्म के समय अचानक ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं कि माँ और बच्चे में से किसी एक को ही बचाया जा सकता है तो पति-पत्नी को मिलकर फैसला करना होगा कि किसकी जान बचाई जाए।
7. क्या तलाक लेना सही है?
जवाब - कई बार कुछ कारणों से तलाक लेना पड़ सकता है लेकिन यह तभी होना चाहिए जब कोई दूसरा रास्ता ही ना बचता हो, अगर कोई इन्सान (पुरुष या महिला) अपने साथी को धोखे से तलाक देता है, तो परमेश्वर इससे सख्त नफरत करता है। जो लोग बिना वाजिब कारण के अपने साथी को तलाक देते हैं, खासकर इस इरादे से कि वे दूसरे से शादी कर लेंगे, परमेश्वर उन्हें खुद सज़ा देगा।
8. क्या परमेश्वर समलैंगिकता को स्वीकार करता है?
जवाब - परमेश्वर समलैंगिकता को स्वीकार नहीं करता है।
9. क्या फोन सेक्स, “सेक्सटिंग” या साइबर-सेक्स में कोई बुराई है?
जवाब - फोन सेक्स का मतलब है फोन पर गलत तरीके से सेक्स के बारे में बात करना या ऐसे संदेश सुनना जो किसी के अंदर वासना जगाएँ। “सेक्सटिंग” का मतलब है मोबाइल से दूसरों को अश्लील तसवीरें और गंदे मेसेज भेजना। साइबर-सेक्स का मतलब है इंटरनेट पर ऐसी वेब साइट देखना या दूसरों से ऐसी बातचीत करना, जिससे वासना जागे। ये सभी हरकतें, सेक्स के बारे में गलत नज़रिए को बढ़ावा देती हैं और अपने जीवन-साथी को छोड़ दूसरों के साथ यौन-संबंधों का मज़ा उठाने के लिए उकसाती हैं। ये आदतें लोगों को अपनी लालसा पर काबू पाने में मदद देने के बजाय, अपनी इच्छाओं को पूरा करने पर ज़ोर देती हैं इसलिए यह सब भी गलत है।
10. हस्तमैथुन के बारे में क्या नज़रिया है?
जवाब - हस्तमैथुन का मतलब है अपने लैंगिक अंगों को जानबूझकर सहलाना या रगड़ना है जिससे लैंगिक इच्छाएँ पैदा हों और संभोग का सुख मिले। हस्तमैथुन से सेक्स के बारे में एक गलत सोच पनपती है और यह आदत लोगों को सिर्फ अपनी इच्छा पूरी करने के लिए उकसाती है। परमेश्वर का वचन है कि अपने शरीर के उन अंगों को अनदेखा करो जिनमें ऐसी लालसाएँ पैदा होती हैं।
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Tags: सेक्स के बारे में दस सवाल और उनके जवाब - Sex par uthe 10 questions and its answers. क्या सेक्स करना पाप है? क्या सेक्स की कोई उम्र होती है? क्या एक आदमी और एक औरत को बगैर शादी किए एक साथ रहने की इजाज़त है? क्या एक से ज़्यादा शादी करना सही है? हस्तमैथुन के बारे में क्या नज़रिया है? क्या फोन सेक्स, “सेक्सटिंग” या साइबर-सेक्स में कोई बुराई है? क्या परमेश्वर समलैंगिकता को स्वीकार करता है? क्या तलाक लेना सही है? क्या गर्भपात करवाना गलत है?
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