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शिवलिंग की पूजा कब और कैसे शुरू हुई? Shivling ko kab se puja jaane lagaa hai aur kyon?
शिवलिंग की पूजा कब और कैसे शुरू हुई? Shivling ko kab se puja jaane lagaa hai aur kyon? शिव के प्रतीक के रूप में शिवलिंग की पूजा करने का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ?
इसका जवाब लिंग महापुराण में मिलता है। एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया। दोनों में यह बहस छिड़ गई कि कौन सबसे श्रेष्ठ है। इस बहस में वे एक दूसरे का अपमान तक करने लगे, जब यह विवाद बढ़ गया तब अग्नि की ज्वाला से लिपटा हुआ एक स्तंभ उन दोनों के बीच आकर स्थित हो गया।
दोनों में से कोई भी इसका रहस्य नहीं समझ पा रहे थे। वह उस अग्नि स्तंभ की शुरुआत और अंत का पता लगाने की कोशिश करने लगे जिसमें दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा।
लिंग के स्रोत का पता लगाने के लिए ब्रह्मा जी आगे बढ़े लेकिन उन्हें कुछ हाथ नहीं लगा और उसके अंत का पता लगाने के लिए विष्णु जी ने बहुत प्रयत्न किए लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। हार कर वे दोनों वापस वहीं पहुंच गए जहां सर्वप्रथम उन्होंने लिंग को देखा था। उस लिंग में से ॐ की ध्वनि आ रही थी। ब्रह्मा जी और विष्णु जी समझ गए कि यह शक्ति है और वे स्वयं ॐ की आराधना करने लगे।
उनकी आराधना से भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और दोनों देवों को सद्बुद्धि का वरदान दिया। इसके बाद भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गए। लिंग महापुराण के अनुसार यह भगवान शिव का पहला शिवलिंग था। इस लिंग के स्थापित होने के बाद स्वयं भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने शिवलिंग की पूजा की थी। यही शिवलिंग के उद्भव और उनकी पहली बार पूजा की जाने की कहानी है।
Thanks for reading...
Tags: शिवलिंग की पूजा कब और कैसे शुरू हुई? Shivling ko kab se puja jaane lagaa hai aur kyon? शिव के प्रतीक के रूप में शिवलिंग की पूजा करने का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ?
इसका जवाब लिंग महापुराण में मिलता है। एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया। दोनों में यह बहस छिड़ गई कि कौन सबसे श्रेष्ठ है। इस बहस में वे एक दूसरे का अपमान तक करने लगे, जब यह विवाद बढ़ गया तब अग्नि की ज्वाला से लिपटा हुआ एक स्तंभ उन दोनों के बीच आकर स्थित हो गया।
दोनों में से कोई भी इसका रहस्य नहीं समझ पा रहे थे। वह उस अग्नि स्तंभ की शुरुआत और अंत का पता लगाने की कोशिश करने लगे जिसमें दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा।
लिंग के स्रोत का पता लगाने के लिए ब्रह्मा जी आगे बढ़े लेकिन उन्हें कुछ हाथ नहीं लगा और उसके अंत का पता लगाने के लिए विष्णु जी ने बहुत प्रयत्न किए लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। हार कर वे दोनों वापस वहीं पहुंच गए जहां सर्वप्रथम उन्होंने लिंग को देखा था। उस लिंग में से ॐ की ध्वनि आ रही थी। ब्रह्मा जी और विष्णु जी समझ गए कि यह शक्ति है और वे स्वयं ॐ की आराधना करने लगे।
उनकी आराधना से भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और दोनों देवों को सद्बुद्धि का वरदान दिया। इसके बाद भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गए। लिंग महापुराण के अनुसार यह भगवान शिव का पहला शिवलिंग था। इस लिंग के स्थापित होने के बाद स्वयं भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने शिवलिंग की पूजा की थी। यही शिवलिंग के उद्भव और उनकी पहली बार पूजा की जाने की कहानी है।
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