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कहीं आप अनजाने में राक्षसी स्नान तो नहीं कर रहे है - The right time of bath
कहीं आप अनजाने में राक्षसी स्नान तो नहीं कर रहे है - The right time of bath. स्नान कितने प्रकार के होते हैं? घर में समृद्धि चाहिए तो जानिए कब करें स्नान. सुबह 8 बजे के बाद किया गया स्नान नष्ट करता है जीवन. स्नान कब ओर केसे करे. धर्म के अनुसार स्नान करने का उचित समय. नहीं करना चाहिए सुबह 8 बजे के बाद स्नान. ब्राह्ममुहूर्त में स्नान के अद्भुत लाभ. ऐसे नहाने वालों को माना जाता है राक्षस. कंगाली से बचना है तो भूलकर भी सुबह के इस खास समय में स्नान ना करें.
स्नान कब और कैसे करे घर की समृद्धि बढ़ाना हमारे हाथ में है। खासकर जो घर की स्त्री होती थी। चाहे वह स्त्री मां के रूप में हो, पत्नी के रूप में हो, बहन के रूप में हो। घर के बुजुर्ग भी यही समझाते हैं कि सूरज निकलने से पूर्व ही स्नान करना सर्वश्रेष्ठ है। ऐसा करने से धन, घर में सुख-शांति और समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।
सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए हैं। पुराने जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे।
1. मुनि स्नान- यह स्नान सुबह सूरज निकलने से पूर्व 4 से 5 बजे के बीच किया जाता है। मुनि स्नान सर्वोत्तम है। इस दौरान स्नान करने वाले जातक के घर में सुख-शांति, समृद्धि, विद्या, बल, आरोग्य, चेतना सदैव बनी रहती हैं।
2. देव स्नान- यह स्नान सुबह 5 से 6 बजे के बीच किया जाता है। देव स्नान उत्तम है। इस बीच स्नान करने वाले जातक के जीवन में यश, किर्ती, धन, वैभव, सुख-शान्ति, संतोष का हमेशा वास रहता है।
3. मानव स्नान- यह स्नान सुबह 6 से 8 बजे के बीच किया जाता है। इस दौरान स्नान करने वालों को काम में सफलता, अच्छा भाग्य, अच्छे कर्मों की सूझ तो मिलती ही है, साथ ही परिवार में एकता भी बनी रहती है।
4. राक्षसी स्नान- यह स्नान सुबह 8 बजे के बाद किया जाता है। किसी भी मानव को आठ बजे के बाद स्नान नहीं करना चाहिए। यह स्नान हिन्दू धर्म में निषेध है। इस दौरान स्नान करने वालों के घर में दरिद्रता, हानि, कलेश, धन हानि, परेशानी, प्रदान करता है।
Thanks for reading...
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स्नान कब और कैसे करे घर की समृद्धि बढ़ाना हमारे हाथ में है। खासकर जो घर की स्त्री होती थी। चाहे वह स्त्री मां के रूप में हो, पत्नी के रूप में हो, बहन के रूप में हो। घर के बुजुर्ग भी यही समझाते हैं कि सूरज निकलने से पूर्व ही स्नान करना सर्वश्रेष्ठ है। ऐसा करने से धन, घर में सुख-शांति और समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।
सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए हैं। पुराने जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे।
1. मुनि स्नान- यह स्नान सुबह सूरज निकलने से पूर्व 4 से 5 बजे के बीच किया जाता है। मुनि स्नान सर्वोत्तम है। इस दौरान स्नान करने वाले जातक के घर में सुख-शांति, समृद्धि, विद्या, बल, आरोग्य, चेतना सदैव बनी रहती हैं।
2. देव स्नान- यह स्नान सुबह 5 से 6 बजे के बीच किया जाता है। देव स्नान उत्तम है। इस बीच स्नान करने वाले जातक के जीवन में यश, किर्ती, धन, वैभव, सुख-शान्ति, संतोष का हमेशा वास रहता है।
3. मानव स्नान- यह स्नान सुबह 6 से 8 बजे के बीच किया जाता है। इस दौरान स्नान करने वालों को काम में सफलता, अच्छा भाग्य, अच्छे कर्मों की सूझ तो मिलती ही है, साथ ही परिवार में एकता भी बनी रहती है।
4. राक्षसी स्नान- यह स्नान सुबह 8 बजे के बाद किया जाता है। किसी भी मानव को आठ बजे के बाद स्नान नहीं करना चाहिए। यह स्नान हिन्दू धर्म में निषेध है। इस दौरान स्नान करने वालों के घर में दरिद्रता, हानि, कलेश, धन हानि, परेशानी, प्रदान करता है।
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