भारत के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर कविता
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स्वतंत्रता दिवस पर कविता, 15 अगस्त को देश के आजाद होने पर अपने भावों की काव्यात्मक अभिव्यक्ति का प्रदर्शन है। हमारा देश 15 अगस्त 1947 को एक लम्बें स्वतंत्रता संग्राम के बाद आजाद हुआ था। तभी से हर साल 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाते हैं।
भारत के स्वतंत्रता दिवस पर कविता, 15 अगस्त के उपलक्ष्य में कविता:-
15 अगस्त 1947 को हो गए थे आजाद हम,
आजादी के 70 साल बाद भी क्या,
समझ पाए आजादी का मतलब हम,
पहले ब्रिटिश शासन के तहत,
जकड़े थे गुलामी के बेड़ियों में,
आज संविधान लागू होने के बाद भी,
जाति-पाति के कारण हो गए हैं,
अपने ही देश में गुलाम हम,
पहले रंग-भेद के जरिए गोरों ने हमको बाँटा था,
आज हमारे अपनो ने ही,
बाँट दिए जातिवाद और धर्मवाद के नाम पर हम,
जो भारत पहचान था कभी,
एकता, अखण्डता और विविधता का,
वो भारत ही झेल रहा है दंश अब आन्तरिक खंडता का,
बाँधा था जिन महान देशभक्त नेताओं ने,
अपने बलिदानों से एकता के सूत्र में हमें,
अपने ही कर्मों से अब उनकी आत्माओं को,
दे रहे हैं लगातार त्राश हम,
जातिवाद, आरक्षण और धर्मवाद ने,
बुद्धि हमारी को भ्रमाया है,
राजनेताओं ने अपने हित की खातिर,
हमको आपस में लड़वाया है,
बहुत हुआ सर्वनाश अपना,
कुछ तो खुद को समझाओं अब,
देश पर हुए शहीदों की खातिर,
समझो आजादी का मतलब अब।।
जय हिन्द, जय भारत।
....वन्दना शर्मा।
Thanks for reading...
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15 अगस्त 1947 को हो गए थे आजाद हम,
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समझ पाए आजादी का मतलब हम,
पहले ब्रिटिश शासन के तहत,
जकड़े थे गुलामी के बेड़ियों में,
आज संविधान लागू होने के बाद भी,
जाति-पाति के कारण हो गए हैं,
अपने ही देश में गुलाम हम,
पहले रंग-भेद के जरिए गोरों ने हमको बाँटा था,
आज हमारे अपनो ने ही,
बाँट दिए जातिवाद और धर्मवाद के नाम पर हम,
जो भारत पहचान था कभी,
एकता, अखण्डता और विविधता का,
वो भारत ही झेल रहा है दंश अब आन्तरिक खंडता का,
बाँधा था जिन महान देशभक्त नेताओं ने,
अपने बलिदानों से एकता के सूत्र में हमें,
अपने ही कर्मों से अब उनकी आत्माओं को,
दे रहे हैं लगातार त्राश हम,
जातिवाद, आरक्षण और धर्मवाद ने,
बुद्धि हमारी को भ्रमाया है,
राजनेताओं ने अपने हित की खातिर,
हमको आपस में लड़वाया है,
बहुत हुआ सर्वनाश अपना,
कुछ तो खुद को समझाओं अब,
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समझो आजादी का मतलब अब।।
जय हिन्द, जय भारत।
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