15 अगस्त 1947 को अंग्रेज भारत से चले जाने पर मजबूर हो गए
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के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर कविता, 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज भारत से चले जाने पर मजबूर हो गए.
प्यारे बच्चों, आज आप जहाँ चाहते हो चले जाते हो, जो चाहते हो करते हो, जैसा चाहते हो पहनते हो, मेरा कहना का मतलब है कि आप हर काम अपनी मर्जी से करते हो लेकिन क्या तुम्हें पता है कि हमें ये सब नहीं करने दिया जाता था.
15 अगस्त 1947 से पहले हमें अपनी मर्जी से कुछ भी करने की आजादी नहीं थी. फिर हमारे देश में भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और सुभाष चन्द्र बोस जैसे कई निडर क्रांतिकारी पैदा हुए और उन्होंने अंग्रेजों से मुकाबला किया और खुद के जीवन को मृत्यु के हवाले करके भी हमारे लिए आजादी की नीव रख दी. उनकी इस कुर्बानी से ही 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज भारत से चले जाने पर मजबूर हो गए.
बच्चो के लिए स्वतंत्रता दिवस पर कविता:-
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
आजादी का मतलब नहीं है समझते।
इस दिन पर स्कूल में तिरंगा है फहराते,
गाकर अपना राष्ट्रगान फिर हम,
तिरंगे का सम्मान है करते,
कुछ देशभक्ति की झांकियों से
दर्शकों को मोहित है करते
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
आजादी का अर्थ सिर्फ यही है समझते।
वक्ता अपने भाषणों में,
न जाने क्या-क्या है कहते,
उनके अन्तिम शब्दों पर,
बस हम तो ताली है बजाते।
हम नन्हें-मुन्ने है बच्चे,
आजादी का अर्थ सिर्फ इतना ही है समझते।
विद्यालय में सभा की समाप्ति पर,
गुलदाना है बाँटा जाता,
भारत माता की जय के साथ,
स्कूल का अवकाश है हो जाता,
शिक्षकों का डाँट का डर,
इस दिन न हमको है सताता,
छुट्टी के बाद पतंगबाजी का,
लुफ्त बहुत ही है आता,
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
बस इतना ही है समझते,
आजादी के अवसर पर हम,
खुल कर बहुत ही मस्ती है करते।।
भारत माता की जय।
...वन्दना शर्मा।
Thanks for reading...
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प्यारे बच्चों, आज आप जहाँ चाहते हो चले जाते हो, जो चाहते हो करते हो, जैसा चाहते हो पहनते हो, मेरा कहना का मतलब है कि आप हर काम अपनी मर्जी से करते हो लेकिन क्या तुम्हें पता है कि हमें ये सब नहीं करने दिया जाता था.
15 अगस्त 1947 से पहले हमें अपनी मर्जी से कुछ भी करने की आजादी नहीं थी. फिर हमारे देश में भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और सुभाष चन्द्र बोस जैसे कई निडर क्रांतिकारी पैदा हुए और उन्होंने अंग्रेजों से मुकाबला किया और खुद के जीवन को मृत्यु के हवाले करके भी हमारे लिए आजादी की नीव रख दी. उनकी इस कुर्बानी से ही 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज भारत से चले जाने पर मजबूर हो गए.
बच्चो के लिए स्वतंत्रता दिवस पर कविता:-
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
आजादी का मतलब नहीं है समझते।
इस दिन पर स्कूल में तिरंगा है फहराते,
गाकर अपना राष्ट्रगान फिर हम,
तिरंगे का सम्मान है करते,
कुछ देशभक्ति की झांकियों से
दर्शकों को मोहित है करते
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
आजादी का अर्थ सिर्फ यही है समझते।
वक्ता अपने भाषणों में,
न जाने क्या-क्या है कहते,
उनके अन्तिम शब्दों पर,
बस हम तो ताली है बजाते।
हम नन्हें-मुन्ने है बच्चे,
आजादी का अर्थ सिर्फ इतना ही है समझते।
विद्यालय में सभा की समाप्ति पर,
गुलदाना है बाँटा जाता,
भारत माता की जय के साथ,
स्कूल का अवकाश है हो जाता,
शिक्षकों का डाँट का डर,
इस दिन न हमको है सताता,
छुट्टी के बाद पतंगबाजी का,
लुफ्त बहुत ही है आता,
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
बस इतना ही है समझते,
आजादी के अवसर पर हम,
खुल कर बहुत ही मस्ती है करते।।
भारत माता की जय।
...वन्दना शर्मा।
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