चुगलखोर शायरी तेरी जय हो चमचे चुगलखोर - Chugalkhor shayri yahan se padhen
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हेल्लो फ्रेंड्स, यदि आप यहाँ पर चुगलखोर शायरी को ढूंढते हुए आए है तो हम आपकी इस इच्छा को जरुर पूरा करेंगे. आज हम आपके लिए चुगलखोर पर लिखी गई शायरी लेकर आए है. दोस्तों चुगलखोर से सदेव बचकर रहना चाहिए क्योंकि वो अपनी चुगली से आपको इतना बड़ा नुकसान कर सकता है जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी.
आइये चुगलखोर शायरी यहाँ से पढियें.
तेरी काली करतूतों से तो, भरा पड़ा इतिहास है।
मंथरा दासी बनके राम को, दिलवाया बनवास है।।
तू ही तो घाती जयचंद था, गोरी को दिया विश्वास है।
डच, यूनानी, गोरे आये, जिनका रहा तू खास है।।
तुझको तो हत्या से काम, बूढा हो चाहे हो किशोर।
जय हो चमचे चुगलखोर, तेरी जय हो चमचे चुगलखोर।।
घर दफ्तर विद्यालय, चाहे बैठा हो मंदिर में।
किंतु कतरनी चलती रहती, तेरे तो अंदर में।।
दिल में गुस्सा नफरत तेरे, तू फिर भी दांत दिखाता है।
मौका लगते चरण चूम ले, दुम श्वान की तरह हिलाता है।।
बात-बात पर देय बधाई, जरा से दुख में मुंह लटकाता है।
मतलब हो तो करे नमस्ते, अन्यथा मुंह को छिपाता है।।
सीधे सच्चे अधिकारी को, मार्ग से भटकाता है।
चमचागिरी करके प्यारे, बैस्ट अवार्ड को पाता है।।
गली गांव शहरों में, हो रहा तेरी कला का शोर।
जय हो चमचे चुगलखोर, तेरी जय हो चमचे चुगलखोर।।
संविधान निर्माता भूल गये, कोटा नियत करना।
फिर भी छूट तू ले गया प्यारे, बिन कोटा माल को चरना।।
बनते रहें कानून चाहे जितने, तुझको क्या परवाह?
तेरी निकासी के हेतु तो, बड़ी अनूठी राह।।
सभी धर्म जाति देशों में, मिलता तेरा वंश।
कौवे का हृदय तेरा, तू बनता निर्मल हंस।।
Thanks for reading...
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