देवर और भाभी की हिंदी प्रेम कहानी - Devar aur Bhabhi ki love story in hindi
देवर और भाभी की प्रेम कहानी - Devar aur Bhabhi ki love story in hindi. प्यार में पड़ गए देवर-भाभी. कड़ाके की ठंड में शुरू हुआ देवर-भाभी के बीच प्यार. बहाना करके देवर को अपने कमरे में ले आई भाभी. कमरे में देवर-भाभी कर रहे थे रोमांस. पति गया delhi, देवर से दिल लगा बैठी भाभी. देवर और भाभी के बीच चल रहा था प्रेम प्रसंग.
हेल्लो दोस्तों मेरा नाम तंवर है. मैं हरियाणा में रहता हूँ. आज मैं आपके सामने मेरे जीवन की एक सच्ची घटना लेकर आया हूँ. यह एक मेरी जिन्दगी से जुड़ी प्यार की कहानी है. यह वो घटना है जिसने मेरे और मेरी भाभी के बीच प्यार पैदा कर दिया. ये वो प्यार था जो एक पति पत्नी के बीच होता है. इसके बाद हम दोनों एक दुसरे के हो गए और एक दुसरे में खो गए.
आइये अब मैं आपको बताता हूँ कि यह सब कैसे हुआ. सन 2015 महिना था जनवरी का. सर्दी के इस मौषम में अकेला इन्सान भला क्या ना करे. मेरी भाभी का हाल भी कुछ ऐसा ही था. भैया कल ही 10 दिन के लिए कम्पनी के काम से दिल्ली थे. आज ही मम्मी और पापा को भी किसी जरुरी काम से एक रिश्तेदार के घर जाना पड़ गया था और उन्हें लोटने में काफी देर हो जाती इसलिए वो आज रात वहीँ रुक गए. आज भाभी बिलकुल अकेली थी. वो कभी कमरे में जाती तो कभी बरामदे में आ जाती थी, मैं मेरे कमरे की खिड़की से यह सब देख रहा था. मेरे कमरे की लाइट बंद थी इसलिए मैं भाभी को दिखाई नहीं दे रहा था.
इस बार भाभी बरामदे में आई और थोड़ी देर रुककर मेरे कमरे की तरफ आई. लेकिन मेरे कमरे की दहलीज से ही वापिस मुड़ गई. मैंने सोचा भाभी को मुझसे कोई काम होगा इसलिए मैंने मेरे कमरे की लाइट जला दी.कमरे की लाइट जलते ही बरामदे में भी थोड़ा प्रकाश हुआ. भाभी मेरे कमरे की तरफ मुड़ी और मेरे पास आई और बोली - अभी तक जाग रहे हो देवर जी.
मैंने कहा -भाभीजी आप भी तो अब तक नहीं सोई हो.
भाभी बोली - क्या बताऊ देवर जी, कभी अकेली नहीं रही थी इसलिए आज अकेले में डर लग रहा है.
मैंने कहा - भाभीजी, क्या मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूँ?
भाभी बोली -देवर जी, यदि आज आप हमारे कमरे में सो जाते तो..
यह कहकर भाभी बोलते हुए एकदम से रुक गई.
मैंने कहा - भाभी जी, बस इतनी सी बात है, ठीक है मैं आपके कमरे के आगे सो जाता हूँ.
भाभी बोली - नहीं देवर जी, सर्दी ज्यादा है और बाहर सोना ठीक नहीं है, आपको कमरे में ही मेरे साथ बैड पर सोना पड़ेगा.
मैंने हाँ कर दी और हम सोने के लिए कमरे में चले गए.
सर्दी ज्यादा थी इसलिए भाभी कमरे में और रजाई में होने के बाद भी कांप रही थी. काफी देर बाद भी जब वो ठीक नहीं हुई तो मैंने कहा - भाभी जी मैं आपके लिए चाय या गर्म दूध लेकर आऊ क्या?
भाभी ने इंकार कर दिया और थोड़ी - सी मेरी तरफ आई. मैं समझ गया और बस यहीं से हमारे प्यार का खेल शुरू हो गया.
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हेल्लो दोस्तों मेरा नाम तंवर है. मैं हरियाणा में रहता हूँ. आज मैं आपके सामने मेरे जीवन की एक सच्ची घटना लेकर आया हूँ. यह एक मेरी जिन्दगी से जुड़ी प्यार की कहानी है. यह वो घटना है जिसने मेरे और मेरी भाभी के बीच प्यार पैदा कर दिया. ये वो प्यार था जो एक पति पत्नी के बीच होता है. इसके बाद हम दोनों एक दुसरे के हो गए और एक दुसरे में खो गए.
आइये अब मैं आपको बताता हूँ कि यह सब कैसे हुआ. सन 2015 महिना था जनवरी का. सर्दी के इस मौषम में अकेला इन्सान भला क्या ना करे. मेरी भाभी का हाल भी कुछ ऐसा ही था. भैया कल ही 10 दिन के लिए कम्पनी के काम से दिल्ली थे. आज ही मम्मी और पापा को भी किसी जरुरी काम से एक रिश्तेदार के घर जाना पड़ गया था और उन्हें लोटने में काफी देर हो जाती इसलिए वो आज रात वहीँ रुक गए. आज भाभी बिलकुल अकेली थी. वो कभी कमरे में जाती तो कभी बरामदे में आ जाती थी, मैं मेरे कमरे की खिड़की से यह सब देख रहा था. मेरे कमरे की लाइट बंद थी इसलिए मैं भाभी को दिखाई नहीं दे रहा था.
इस बार भाभी बरामदे में आई और थोड़ी देर रुककर मेरे कमरे की तरफ आई. लेकिन मेरे कमरे की दहलीज से ही वापिस मुड़ गई. मैंने सोचा भाभी को मुझसे कोई काम होगा इसलिए मैंने मेरे कमरे की लाइट जला दी.कमरे की लाइट जलते ही बरामदे में भी थोड़ा प्रकाश हुआ. भाभी मेरे कमरे की तरफ मुड़ी और मेरे पास आई और बोली - अभी तक जाग रहे हो देवर जी.
मैंने कहा -भाभीजी आप भी तो अब तक नहीं सोई हो.
भाभी बोली - क्या बताऊ देवर जी, कभी अकेली नहीं रही थी इसलिए आज अकेले में डर लग रहा है.
मैंने कहा - भाभीजी, क्या मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूँ?
भाभी बोली -देवर जी, यदि आज आप हमारे कमरे में सो जाते तो..
यह कहकर भाभी बोलते हुए एकदम से रुक गई.
मैंने कहा - भाभी जी, बस इतनी सी बात है, ठीक है मैं आपके कमरे के आगे सो जाता हूँ.
भाभी बोली - नहीं देवर जी, सर्दी ज्यादा है और बाहर सोना ठीक नहीं है, आपको कमरे में ही मेरे साथ बैड पर सोना पड़ेगा.
मैंने हाँ कर दी और हम सोने के लिए कमरे में चले गए.
सर्दी ज्यादा थी इसलिए भाभी कमरे में और रजाई में होने के बाद भी कांप रही थी. काफी देर बाद भी जब वो ठीक नहीं हुई तो मैंने कहा - भाभी जी मैं आपके लिए चाय या गर्म दूध लेकर आऊ क्या?
भाभी ने इंकार कर दिया और थोड़ी - सी मेरी तरफ आई. मैं समझ गया और बस यहीं से हमारे प्यार का खेल शुरू हो गया.
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