शुभ दीपावली |
दिवाली पर अधिकतर घरों में रंगोली बनाई जाती है. इसे त्योहार, व्रत, पूजा, उत्सव, विवाह जैसे शुभ अवसरों पर सूखे और प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता है.
रंगोली का महत्व :-
सामान्यतः त्योहार, व्रत, पूजा, उत्सव विवाह आदि शुभ अवसरों पर सूखे और प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता है। इसमें साधारण ज्यामितिक आकार हो सकते हैं या फिर देवी देवताओं की आकृतियां, लेकिन इन सभी का प्रयोजन सजावट और सुमंगल है। इन्हें प्रायः घर की महिलाएं बनाती हैं।
कहा जाता है कि रंगोली घर में सकारात्मक ऊर्जा को लाती है और उसे बाहर नहीं निकलने देती । रंगोली बनाते समय मस्तिष्क के अधिक क्रियाशील होने से तनाव छू-मंतर हो जाता है ।
वास्तु के अनुसार घर में रंगोली बनाने से मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है। रंगोली को हटाने के नियम भी होते हैं ।
रंगोली को झाडू या कपड़े से पोछना शुभ नहीं माना जाता है, वास्तु के अनुसार रंगोली को जल की सहायता से हटाया जाना चाहिए, क्योंकि हिंदू धर्म में जल पवित्र कार्यों के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
लोक मान्यता के आधार पर जब रावण का वध करके भगवान श्रीराम माता सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास काट अयोध्या वापस आए, तब अयोध्यावासियों ने पूरी अयोध्या को दीपक तथा रंगोली से सजाया था। तब से ही प्रत्येक वर्ष दीपावली पर रंगोली बनाने का रिवाज शुरू हुआ । रंगोली के साथ मां लक्ष्मी की मूर्ति और उनके पद चिह्न रखने का रिवाज भी तभी से शुरू हुआ। इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि तमिलनाडु क्षेत्र की पूजनीय देवी मां थिरूमाल का विवाह मर्गाजी से दिवाली के महीने में हुआ था, इसलिए इस पूरे महीने के दौरान प्रत्येक घर में रंगोली बनाने की शुरुआत हुई। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से मां थिरूमाल की कृपा पूरे परिवार को खुश रखेगी। प्राचीनकाल में रंगोली के चित्र धार्मिक,कलात्मक तथा आस्था के प्रतीक थे,जो इस बात को पुख्ता करते थे कि ये कलात्मक चित्र गांव को धन-धान्य से भरे रखेंगे ।
भारत में आए दिन उत्सवों का मेला लगा रहता है। इन उत्सवों और संस्कारों में रंग भरती है रंगोली। चाहे हवन की वेदी हो, विवाह हो, नामकरण हो या यज्ञोपवीत जैसा शुभ कार्य, इन सभी में रंगोली बनाने की परंपरा मुख्य है । रंगोली में स्वस्तिक, कमल के फूल, लक्ष्मीजी के चरण के अलावा अन्य कलात्मक डिजाइन प्रमुख होते हैं। भारतीय त्योहार रंगों के बगैर अधूरे लगते हैं । कहा भी गया है कि रंग हमें खुशहाली प्रदान करते हैं और त्योहारों में जान डाल देते हैं । रंगोली को अल्पना भी कहा जाता है। अल्पना वात्स्यायन के कामसूत्र में वर्णित चौसठ कलाओं में से एक है। संस्कृत के इस शब्द का अर्थ है लीपना अथवा लेपन करना। रंगोली बनाने के पहले आंगन को लीपा जाता है।