भारत के सभी विश्वविद्यालय के नाम - Bharat ke sabhi Vishvavidhyalya ke naam ki suchi , भारत के विश्वविद्यालय की सूची , list of government universities in india , ugc approved university list 2019 , top 10 private universities in india , total number of universities in india 2019 , how many university in india 2020 , university ranking in india 2018 , top 10 government university in india , ugc approved university list 2018 pdf
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90 सब्जियों के नाम हिन्दी और अंग्रेजी में पढ़ें - Sabjiyon ke naam hindi aur angreji me padhen
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विश्व के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और उनके अविष्कारों की सूची
विश्व के प्रसिद्ध वैज्ञानिक के नाम और उनके अविष्कार: ( Name of Famous Scientists and Their Inventions in Hindi)
वैज्ञानिक उपकरण की सहायता से हमारे काम आसानी से हो जाते हैं। वैज्ञानिक उपकरण उन युक्तियों को कहते हैं जो किसी विज्ञान के कार्य को करने में सुविधा या सरलता या आसानी प्रदान करते हैं। वैज्ञानिक उपकरण उन वैज्ञानिक कार्यों को भी सहज से कर सकते हैं जो उनके बिना सम्भव ही नहीं होता। विश्व के प्रसिध्द वैज्ञानिको के नाम तथा उनके प्रमुख अविष्कारों का वर्णन नीचे दिया गया है:-
1. अलेक्ज़ांडर ग्राहम बेल (Alexander Graham Bell)
सन १८७५ में स्कॉटिस वैज्ञानिक अलेक्जेंडर ग्राहम बेल (१८४७-१९२२) ने पहली बार मनुष्य की आवाज को विद्युत तारो से सफलता पूर्वक प्रसारित किया। बेल ने अपने सहकर्मी को पहला शब्द कहा-थॉमस वाटसन। अगले वर्ष उन्होने टेलीफोन का पेटेन्ट करा लिया।
2. अल्फ्रेड नोबेल (Alfred Nobel)
स्वीडिस् रसायनज्ञ अल्फ्रेड नोबेल (१८३३ -१८९६) ने सन् १८६७ में डायनामाइट और सन् १८७५ में गेलिगानाईट, विस्फोटक पदार्थों का आविष्कार किया, जिसने उन्हें बहुत अमीर बना दिया। मरणोपरांत वे नोबेल पुरस्कार के लिए अपार संपदा छोड़ गए जो कि विज्ञान, कला और औषध के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धि के लिए दिया जाता है।
3. आर्मेडियो अवोगाद्रो (Amedeo Avogadro)
सन १८०६ में इटालियन वकील एमेडीयो एवोगेड्रो (१७७६-१८५६) ने भौतिकी के अध्ययन के लिए अपना पेशा छोड दिया। सन १८११ में एवोगेड्रो ने दर्शाया कि समान तापमान और समान दबाव में, समान आयतन की सभी गैसो में, कणो की संख्या समान होती है। यह नियम अब एवोगेड्रो का नियम कहलाता है।
4. एंटोइन लावोइसीयर (Antoin Lavoisier)
फ्रेंच रसायनज्ञ एंटोइन लावोइसियर (१७४३ -१७९४) ने बताया कि ज्वलनशीलता एक रासायनिक क्रिया है, वायु गैसों का एक सम्मिश्रण है व जल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का एक घटक है।
5. अरस्तू (Aristole)
ग्रीक दार्शनिक अरस्तू (३८४-३२२ इपू) मानते थे कि भारी वस्तु, हल्की वस्तु की तुलना में अधिक वेग से गिरती है। उनकी यह धारणा तब तक मान्य रही जब तक कि इटालियन भौतिकविद गेलीलियो गेलीलि ने दिखाया कि गुरुत्वाकर्षण सभी वस्तुओ को समान वेग से अपनी ओर खींचती है।
6. अगस्तिन फ्रेसनेल (Augustin Fresnel)
फ्रेन्च भौतिकविद ऑगस्टिन फ्रेसनेल (१७८८-१८२७) ने प्रयोगो से सिध्द किया कि प्रकाश तरंगो के रुप में चलता है। उन्होने ध्रुवित प्रकाश का अविष्कार किया। उन्होने एक ऐसे लेंस का निर्माण किया जिसकी सतह केंद्रित छल्लेनुमा सिढीयो की ऋंखला की तरह कटी हुइ थी। इस तरह के लेंस को फ्रेसनेल लेंस कहते है। यह प्रकाश केन्द्रीयकरण के लिये अच्छा लेंस है। फ्रेसनेल लेंस का उपयोग लाइट हाउस, सर्च लाइट और कार हेड लाइट में होता है।
7. क्रिश्चियन डॉप्लर (Christian Doppler)
जब कोई गतिशील ध्वनि स्त्रोत हमारे नजदीक आता है, तो प्रतीत होता है कि ध्वनि की तीव्रता क्रमश: बढ रही है और दूर जाने पर घट रही है। ध्वनि के इस प्रभाव की व्याख्या सन १८४२ में ऑस्ट्रीयन भौतिकविद क्रिश्चियन डॉप्लर (१८०३-१८५३) ने की। उन्होने बताया कि ध्वनि तरंगो के रुप में चलती है और जैसे जैसे यह पर्यवेक्षक के समीप आती जाती है तो इसकी आवृति बढती जाती है व दूर जाने पर क्रमश: घटती जाती है। यह प्रभाव अब " डॉप्लर प्रभाव " से जाना जाता है।
8. एडमंड हैली (Edmond Healley)
धूमकेतुओं का नाम सामान्यतः उनके खोजकर्ता के नाम पर रखा जाता है परन्तु एक धूमकेतु है जिसका नाम अंग्रेज खगोलविद एडमंड हैली (१६५६ - १७४२) के मरणोपरांत रखा गया। वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने बताया की धूमकेतु आवर्ती होते है और यह एक निश्चित कक्षा में भ्रमण करते हुए बारम्बार पृथ्वी के आसमान में नजर आते है।
9. एडविन हबल (Edwin Hubble)
सन १९२३ में अमेरिकन खगोलविद एडविन हबल (१८८९-१९५३) ने सिध्द किया कि मंदाकिनी के अलावा भी अन्य आकाशगंगाओ का अस्तित्व है। उन्होने आकार के अनुसार आकाशगंगाओ का वर्गीकरण किया। उन्होने दर्शाया कि आकाशगंगाएं एक दूसरे से दूर जा रही है और सिध्द किया कि ब्रह्माण्ड फैल रहा है।
10. एमिल बेर्लिनेर (Emile Berliner)
जर्मन अविष्कारक एमिल बेर्लिनेर (१८५१-१९२९) ने ग्रामोफोन का अविष्कार किया, जिसमें फ्लेट डीस्क में दोबारा ध्वनि रिकॉर्डींग की जा सकती थी। उन्होने इस तारीके का भी अविष्कार किया जिसमें एक मास्टर कॉपी से सौ से भी अधिक रिकॉर्डींग की जा सकती थी।
11. एन्रीको फर्मी (Enrico Fermi)
इटालियन भौतिकविद एनरिको फर्मी (१९०१-१९५४) सन १९३८ में इटली छोडकर कार्य करने अमेरिका चले गये। उन्होने पहला नाभकीय रियेक्टर शिकागो के विश्वविद्यालय के अप्रचलित स्क्वेश कोर्ट में बनाया। रियेक्टर का उपयोग कर उन्होने नाभकीय विखण्डन अभिक्रिया ऋंखला प्राप्त की।
12. फ्रेड हॉयल (Fred Hoyle)
अंग्रेज खगोलविद् फ्रेड हॉयल (१९१५ -२००१) ने बीसवीं सदी के कई महत्वपूर्ण खगोलीय प्रश्नों को हल करने में अहम् भूमिका निभाई है। जिसमे मुख्य रूप से न्युक्लियोसिंथेसिस को समझाना है कि कैसे रासायनिक तत्व तारों की भीतर हाइड्रोजन बनाते है।
13. फ्रिट्ज हैबर (Fritz Haber)
सन १९०८ में जर्मन रशायनशास्त्री फ्रित्ज हाबेर (१८६८-१९३४) ने क्षारीय अमोनिया बनाने की प्रक्रिया का विकास किया जिसका उपयोग उर्वरक और विस्फोटक बनाने में किया जाता है। हाबेर ने वायु में अमोनिया को गर्म कर नाइट्रिक अम्ल बनाने के तरीके का अविष्कार किया।
14. गैलीलियो गैलिली (Galileo Galilei)
इटालियन खगोलविद और भौतिकशास्त्री गेलीलियो गेलीलि (१५६४-१६४२) ने सन १६१० में बहुत शक्तिशाली टेलीस्कोप का निर्माण किया। इस टेलीस्कोप की सहायता से उन्होने सैकड़ो तारो को देखा जो पहले कभी देखे नहीं गये थे। मंदाकिनी का अवलोकन कर उन्होने बताया कि इसमें विभिन्न आकारो के असंख्य तारो और क्लस्टरो के समूह एक साथ रहते है।
15. गिओवानी केसीनी (Giovanni Cassini)
शनि ग्रह के छल्लो में कई खाली स्थान है जिसमें सबसे बडा केसीनी विभाजन फ्रेन्च खगोलशास्त्री गिओवानी केसीनी (१६२५-१७१२) के नाम पर रखा गया है। वे एक निपुण पर्यवेक्षक थे, उन्होने शनि के चार चंद्रमाओं की खोज की थी। उनका मंगल ग्रह का पर्यवेक्षण सौरमंडल में दूरियों के निर्धारण में बहुत मददगार रहा।
16. गुगलीएल्मो मार्कोनी (Guglielmo Marconi)
इटालियन अभियंता गुगलीएल्मो मार्कोनी (१८७४-१९३७) पहले व्यक्ति थे जिन्होने संकेतो को रेडियो के माध्यम से भेजने के सिध्दांत का पेटेन्ट कराया था। मार्कोनी युवावस्था में इटली में अपनी पुस्तैनी अटारी में रेडियो तरंगो के साथ परिक्षण करते रहते थे। १९०१ में उन्होने पहली बार मोर्स कोड का उपयोग कर रेडियो संकेत अटलांटिक महासागर के पार भेजा।
17. सर आइज़क न्यूटन (Issac Newton)
इसाक न्यूटन (१६४३-१७२७) विश्व के प्रसिध्द वैज्ञानिको में से एक थे, उनका जन्म इंग्लेण्ड के वूल्सथोर्प में हुआ था। उन्होने गति के तीन नियमो की रचना की थी। वे १६७२ में रॉयल सोसाइटी के फेलो चूने गये।
18. जेम्स क्लार्क मैक्सवेल (James Clerk Maxwell)
स्कॉटिस भौतिकविद जेम्स क्लेर्क मैक्सवेल (१८३१-१८७९) पहले व्यक्ति थे जिन्होने बताया कि प्रकाश विद्युतचुंबकीय विकिरण का ही एक रुप है। सन १८६४ में उन्होने गणितीय समीकरणो से विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम के अस्तित्व को सिध्द किया। मैक्सवेल ने वर्ण और वर्ण अंधत्व का भी अध्ययन किया था।
19. जान इंगेनहाउज (Jan Ingenhousz)
डच नागरिक जान इंगेनहाउज (१७३०-१७९९) ने भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र और चिकित्साशास्त्र का अध्ययन किया था। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होने प्रकाश संश्लेषण का अध्ययन किया। उन्होने जोसेफ प्रिस्टली की खोज कि पौधे ऑक्सीजन छोडते है को आगे बढाया और बाद में उन्होने पौधो में गैसो के आदान-प्रदान के कार्यो को प्रकाशित किया। इंगेनहाउज ने दिखाया कि पौधो के हरे भाग उजाले में कार्बन डाइ ऑक्साईड ग्रहण कर, ऑक्सीजन छोडते है तथा अंधेरे में ठीक इसके विपरित व्यवहार करते है।
20. जॉन नैपियर (John Napier)
जॉन नेपियर (१५५०-१६१७) एक स्कॉटिस गणितज्ञ थे। उन्होने संख्याओं से संबंधित कई महत्वपूर्ण खोजे की थी। नेपियर लघुगणक की खोज के कारण बहुत प्रसिध्द थे। लघुगणक ने जटिल गणनाओं को बहुत आसान बना दिया था। कई गणितज्ञ एवं वैज्ञानिक लघुगणक का उपयोग समस्याओ को हल करने और नये सिध्दांत बनाने में करते है।
21. जोसेफ प्रिस्टले (Joseph Priestly)
अंग्रेज वैज्ञानिक और पादरी जोसेफ प्रिस्टली (१७३३-१८०४) ने सन १७३४ में ऑक्सीजन की खोज की थी। प्रिस्टली ने इसके अलावा कई अन्य गैसो, जैसे नाइट्रस ऑक्साइड (हंसाने वाली गैस) और अमोनिया का भी अविष्कार किया था। उन्होने कार्बन डाई ऑक्साइड का अध्ययन किया और कार्बनिकृत (द्रव) जल का अविष्कार किया।
22. जेसेफ वॉन फ्रॉनहॉफर (Joseph Von Fraunhofer)
जर्मन भौतिकविद जोसेफ् वोन फ्रानहाफर (१७८७-१८२६) का ध्यान दर्पण बनाने और लेंस पॉलीस करने के प्रशिक्षण के दौरान प्रकाश की प्रकृति की ओर आकर्षित हुआ। इस प्रशिक्षण ने उन्हे स्पेक्ट्रोस्कोप का अविष्कारक बनाया। १८१४ से १८१७ तक उन्होने इसका उपयोग सूर्य उत्सर्जित वर्णक्रम के वैज्ञानिक अध्ययन के लिये किया।
23. लिनस पाउलिंग (Linus Pauling)
अमेरिकन रशायनशास्त्री लीनस पाउलिंग (१९०१-९४) को रसायनशास्त्र में किये गये उनके कार्य " रसायनिक बंध और अणु की संरचना " पर १९५४ का नोबेल पुरुष्कार दिया गया। उन्होने परमाणु बंधो में लगने वाली ऊर्जा, इनके बीच के कोण और बीच की दूरीयों का आकलन किया था। नाभकीय हथियारो के परीक्षण पर रोक संबंधी प्रयासो के कारण उन्हे १९६२ का नोबेल शांति पुरुष्कार भी दिया गया।
24. लाइस मिट्नर (Lise Meitner)
ऑस्ट्रियन मूल की भौतिकविद् लाइस मिट्नर (१८६८ -१९७८) ने नाभकीय भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण खोजें की।उन्होंने अपने सहकर्मी भौतिकविद् ओट्टो हान के साथ मिलकर प्रोटेक्टीनियम तत्व की खोज की।
25. निकोलस कोपरनिकस (Nicolaus Copernicus)
पोलैण्ड के खगोलविद निकोलस कॉपरनिकस (१४७३-१५४३) ने ब्रह्माण्ड के प्रति तत्कालीन धारणा को बदल कर रख दिया। कॉपरनिकस ने बताया कि सूर्य ब्रह्माण्ड का केन्द्र है ना कि पृथ्वी। उनके इस सिध्दांत को साधारणतया अपना लिया गया। १७ वी सदी में खगोलविदो ने यह सिध्द किया कि पृथ्वी और अन्य ग्रह अपनी अपनी कक्षाओ में सूर्य का चक्कर लगाते है।
26. मेरी क्युरी (Marie Curie)
पोलेंड में जन्मीं भौतिकविद् मेरी क्युरी (१८६७ -१९३४) रेडियोधर्मी पदार्थों के अध्ययन के लिए जानी जाती है। उन्होंने दो नयें तत्वों पोलोनियम और रेडियम की खोज की। उन्हें सन् १९०३ में भौतिकी और सन १९११ में रसायनशास्त्र के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए नोबल पुरुष्कार दिया गया।
27. मैक्स प्लांक (Max Planck)
जर्मन भौतिकविद मैक्स प्लांक (१८५८-१९४७) ने क्वांटम भौतिकी की नींव रखी। प्लांक ने विकिरण की विद्युत चुंबकीय प्रकृति ज्ञात की। उन्होने कृष्ण वस्तु पर अनेक शोध किये। सन १९१८ में उन्हे नोबेल पुरष्कार से सम्मनित किया गया।
28. मोर्टिमर ह्वीलर (Mortimer Wheeler)
तत्कालिन प्रसिध्द पुरातत्ववेत्ता मोर्टिमर च्हीलर (१८९०-१९७६) ने पुरातत्व संस्थान लंदन की नींव डाली। सन १९४४ में वे भारत में पुरातत्व विभाग के निदेशक बने। उन्होने सिंधु घाटी सभ्यता की खोज की।
29. रॉबर्ट वाटसन-वाट (Robert Watson-Watt)
स्कॉटिस भौतिकविद रॉबर्ट वाटसन-वाट (१८९२-१९७३) ने १९३० में पहले प्रायोगिक राडार व्यवस्था का विकास किया था। द्वितिय विश्वयुध्द में इस व्यवस्था का उपयोग हवाई हमलो से पूर्व सचेत करने के लिये किया गया।
30. सत्येन्द्र नाथ बसु (Satyendra Nath Bose)
भारतीय भौतिकविद एवं गणितज्ञ सत्येन्द्रनाथ बोस (१८९४-१९७४) क्वांटम यांत्रिकी में किये गये कार्य से जाने जाते है। ब्रह्माण्ड में पाये जाने वाले दो तरह के कणो में से एक " बोसॉन " बोस के नाम पर रखा गया है। बोस-आइंस्टाइन सांख्यिकी से कणो के व्यवहार को समझा जा सकता है। बोस को सन १९५४ में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
31. स्वान्ते अर्हिनियस (Svante arrhenius)
स्वीडिस वैज्ञानिक स्वेन्ट अर्हेनियस (१८५९-१९२७) को अपने इस अनुसंधान के लिए काफी प्रशंसा मिली कि कैसे कोई घटक विलयन में आयन बनाते है। अपने कार्यो से उन्होने समझाया कि यह हाइड्रोजन आयन ही है जो अपने विशेष गुणो से अम्ल का निर्माण करते है।
32. थॉमस यंग (Thomas Young)
अंग्रेज चिकित्सक एवं भौतिकविद थॉमस यंग (१७७३-१८२९) ने प्रकाश के तरंग व्यवहार को सिध्द करने के लिए अनेक परीक्षण किये। उन्होने बताया कि विभिन्न वर्ण, विभिन्न लम्बाई की प्रकाश तरंगे है। १८०१ मे यंग ने वर्ण दृष्टि की खोज की और समझाया कि मनुष्य की आंखो में तीन तरह के वर्ण संवेदक होते है, जिन्हे अब शंकु कोशिका के नाम से जाना जाता है, जो कि नीले, लाल और हरे प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती है।
33. विलियम हेनरी ब्रैग (William Henry Bragg)
अंग्रेज भौतिकविद विलियम हेनरी ब्रेग (१८६२-१९४२) और उनके पुत्र विलियम लॉरेन्स ब्रेग ने खोज की कि जब क्ष-किरण क्रिस्टल में से होकर गुजरती है तो वो फोटोग्रफिक फिल्म पर बिन्दुओ की विशिष्ट प्रतिकृति बनाती है। यह प्रतिकृति क्रिस्टल के भीतर मौजुद परमाणुओ कि विशिष्ट व्यवस्था को दर्शाती है।
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Top 10 Courses after 12th in Arts Stream to get Attractive Salary
12वीं के बाद आर्ट्स के ये 10 कोर्सेज दिलाएंगे मोटी सैलरी (Top 10 Courses after 12th in Arts Stream in Hindi)
12वीं परीक्षा के बाद स्टूडेंट्स के बीच सबसे ज्यादा यह टेंशन रहती है कि आगे वह क्या पढ़े जिससे भविष्य अच्छा हो, कई बार स्टूडेंट्स अपने माता-पिता, रिश्तेदारों और दोस्तों की सलाह पर कोर्स का चयन करते हैं। बेहतर है कि स्टूडेंट्स अपनी रुचि का ख्याल रखें और अपनी मेरिट के अनुसार विषयों का चयन करें।
अगर बात आर्ट्स के विषयों की हो तो यह आम धारणा हो गई है कि आर्ट्स पढ़कर अच्छा भविष्य नहीं बन पाता है। अगर आपकी दिलचस्पी आर्ट्स में है तो किसी अन्य की बात पर ध्यान न दें, आप जो पढ़ना चाहते हैं वहीं पढ़ें। आर्ट्स में दर्जनों ऐसे विषय हैं जिसकी पढ़ाई करने के बाद आप मोटी सैलरी पा सकते हैं।
1. इवेंट मैनेजमेंट: अगर आपको पार्टियों में जाना-आना, जश्न मनाना अच्छा लगता है तो इसमें भी करियर बना सकते हैं। इवेंट मैनेजमेंट ग्लोबल लेबल पर तेजी से बढ़ने वाला फिल्ड है। इसमें संभावनाओं की कमी नहीं है, बस आपके पास अच्छे प्लान होने चाहिए। आपके पास इमेजिनेटिव स्किल्स, टाइम मैनेजमेंट, टीम स्प्रीट, मैनेजमेंट स्किल्स होने चाहिए। आप इसमें डिग्री कोर्सेज और डिप्लोमा दोनों कर सकते हैं।
इंस्टीट्यूट्स:
- एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट
- इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इवेंट मैनेजमेंट
2. मैनेजमेंट: यह आम धारणा है कि मैनेजमेंट की पढा़ई कॉमर्स स्ट्रीम वाले स्टूडेंट्स करते हैं, मगर ऐसा नहीं है। अगर आप मैनेजमेंट कोर्स करना चाहते हैं तो आप बीबीए यानी बैचलर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, बीबीएम यानी बैचलर इन बिजनेस मैनेजमेंट और बैचलर इन बिजनेस स्टडीज की पढ़ाई कर सकते हैं। इन कोर्सेज को करने के बाद आप इनसे संबंधित कंपनियों में नौकरी कर सकते हैं या ग्रेजुएशन के बाद एमबीए कर सकते हैं।
इंस्टीट्यूट:
- इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज
- क्राइस्ट यूनिवर्सिटी
- एसआरएम यूनिवर्सिटी
3. ऑडियो विजुअल मीडिया एंड एनिमेशन कॉर्सेज: यह करियर जर्नलिज्म, फिल्म इंडस्ट्री, ब्रांड प्रोमोशन, फोटोग्राफी से जुड़ा हुआ है। अगर आप के पास क्रियेटिव स्किल्स हैं तो आप इसमें आ सकते हैं। आर्ट्स के क्षेत्र में उभरता हुआ यह करियर जॉब देने में भी आगे है। इस कोर्स को करने के बाद आप चाहेंगे तो खुद की बिजनेस शुरू कर सकते हैं और काफी मोटी कमाई भी कर सकते हैं।
इंस्टीट्यूट्स:
- मास कम्यूनिकेशन रिसर्च सेंटर, जामिया
- रबीन्द्र भारती यूनिवर्सिटी
- फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट
4. टूरिज्म: हमारे देश या विदशों में भी टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए काफी रुपये इंवेस्ट किए जा रहे हैं। टूरिज्म क्षेत्र को बेहतर प्रोफेशनल्स की जरुरत है जो इस फील्ड की चुनौतियों को समझता हो। यहां टूरिस्ट गाइड से लेकर मैनेजमेंट तक में काम करने के मौके मिलेंगे।
इंस्टीट्यूट्स:
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रैवेल मैनेजमेंट
- एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेवेल एंड टूरिज्म
- स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज
5. बैचलर इन सोशल वर्क: देश भर में एनजीओ का तेजी से विकास हो रही है। विदेश एनजीओ भी भारत में तेजी से अपना काम बढ़ा रहे हैं। अगर आपकी दिलचस्पी सोशल वर्क में है तो आपके लिए इससे बेहतर करियर कुछ हो ही नहीं सकता है। इस क्षेत्र में कई संगठन किसी एक क्षेत्र में काम करते हैं। यह आपको तय करना होगा कि आप किस दिशा में काम करना चाहते हैं। यहां आपको सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां के बीच काम करने के तरीके को सिखाया जाएगा।
इंस्टीट्यूट्स:
- दिल्ली यूनिवर्सिटी
- भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी
- अदिति महाविद्यालय
6. डिजास्टर मैनजेमेंट: प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ने के साथ ही इस समस्या से निपटने वालों की भूमिका अहम हो गई है। इस समस्याै से निपटने का काम काम करते हैं डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स को इस खास काम के लिए ट्रेंड किया जाता है। डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स का काम आपदा के शिकार लोगों की जान बचाना और उन्हें नई जिंदगी देना है।
इंस्टीट्यूट्स:
- नेशनल इंस्टीसट्यूट ऑफ डिजास्ट र मैनेजमेंट, नई दिल्ली
- इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू), नई दिल्ली
- नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी, दार्जिलिंग
7. वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी: अगर आपको फोटो खींचने में मजा आता है तो आप वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी में करियर बना सकते हैं। इस करियर में एक तरफ तो जंगल आपको अपनी तरफ आकर्षित करेगा मगर दूसरी तरफ इसमें जंगल में होनेवाले खतरे का भी सामना करना पड़ेगा। 12वीं के बाद आप बीए इन फोटोग्राफी के अलावे सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं।
इंस्टीट्यूट्स:
- वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट्स ऑफ इंडिया
- भारती विद्यापीठ स्कूल ऑफ फोटोग्राफी
- दिल्ली स्कूल ऑफ फोटोग्राफी
8. पर्सनल स्टाइलिस्ट: पर्सनल स्टाइलिस्ट का काम होता है लोगों का मेकओवर करना और लोगों के ड्रेसिंग सेंस को भी बढ़ाना। एक्टर, मॉडल अपने आस-पास ऐसे लोगों को हरवक्त रखते हैं ताकि वे हर मौके पर कुछ अलग दिख सकें। पर्सनल स्टाइलिस्ट बनने के लिए जो बेसिक जरूरत है वो है अपने क्लाइंट के मन को पढ़ना कि वह क्या चाहता है? इसके लिए आपको थोड़ा सी रिसर्च करना होगा। वे लोग इस प्रोफेशन में करियर बना सकते हैं जो लोगों के मूड, शख्सियत, ड्रेसिंग सेंस को जानते हैं। इसके लिए आपको हर दिन की फैशन जगत की अपडेट ररखनी होगी।
इंस्टीट्यूट्स:
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद
- पर्ल अकेडमी ऑफ फैशन, दिल्ली
9. ज्वेलरी डिजाइनिंग: अगर आप की रुचि डिजाइनिंग क्षेत्र में जाने की है तो ज्वेलरी डिजाइनिंग आपके लिए बेहतर करियर विकल्प हो सकता है। भारत एक ऐसा देश है जहां लोगों में ज्वेलरी के प्रति सबसे ज्यादा क्रेज रहता है। इस वजह से ज्वेलरी इंडस्ट्री भी देश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस इंडस्ट्री की क्षमता 2015 तक 2।15 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
इंस्टीट्यूट्स:
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, दिल्ली
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेम्स एंड ज्वेलरी, जयपुर
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ज्वेलरी, मुंबई
- सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई
10. एंथ्रोपोलॉजी: आपकी रुचि मानव के विकास को जानने में है तो एंथ्रोपोलॉजी आपके करियर के लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। इस कोर्स में मानव विकास के इतिहास और वर्तमान का अध्ययन किया जाता है। एंथ्रोपोलॉजी में जीव विज्ञान, मानविकी और भौतिक विज्ञान की जानकारियों का अध्ययन कर मानव विकास के बारे में नई जानकारी निकाली जाती है। एंथ्रोपोलॉजी में मानव की तुलना अन्य जानवरों से भी की जाती है। खासकर के मानव और बंदर के शरीर की तुलना।
इंस्टीट्यूट्स:
- पंजाब यूनिवर्सिटी
- यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे
- यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली
- यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता
- कर्नाटक यूनिवर्सिटी
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